"अस्पताल में मिलता सही इलाज तो बच जाता प्रद्युम्न"

प्रद्युम्न हत्याकांड के एक अहम गवाह ने बड़ा खुलासा किया है. रेयान इंटरनेशनल स्कूल की एक दूसरी बस के कंडक्टर मनोज का दावा है कि कार में प्रद्युम्न जिंदा था. उसकी आंखें खुली थी. उसकी सांसें चल रही थी. अगर सैफहैंड अस्पताल में प्रद्युम्न को इलाज मिल जाता तो वह बच जाता. मनोज खुद भी उस कार में सवार था.

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पुलिस ने भी दो बार मनोज के बयान दर्ज किए हैं पुलिस ने भी दो बार मनोज के बयान दर्ज किए हैं

परवेज़ सागर / चिराग गोठी

  • गुडगांव,
  • 15 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

प्रद्युम्न हत्याकांड के एक अहम गवाह ने बड़ा खुलासा किया है. रेयान इंटरनेशनल स्कूल की एक दूसरी बस के कंडक्टर मनोज का दावा है कि कार में प्रद्युम्न जिंदा था. उसकी आंखें खुली थी. उसकी सांसें चल रही थी. अगर सैफहैंड अस्पताल में प्रद्युम्न को इलाज मिल जाता तो वह बच जाता. मनोज खुद भी उस कार में सवार था.

प्रद्युम्न की हत्या के मामले में गुडगांव पुलिस ने दो बार मनोज के बयान भी दर्ज किए हैं. मनोज ने आजतक से खास बातचीत में खुलासा किया कि उस वक्त कुछ टीचर्स चिल्ला रही थी कि कोई साथ में चलो. तब वह साथ गया था. उसने बताया कि वैगनआर कार में ले जाते वक्त प्रद्युम्न जिंदा था. उसकी आंखें खुली हुई थी. सांसें चल रही थी.

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मनोज के मुताबिक उस गाड़ी में थॉमस सर, एक ड्राइवर, मिनी मैडम और वह मौजूद था. प्रद्युम्न को वैगनआर की पिछली सीट पर लेटा रखा था. उसके गले से खून आ रहा था. उसके मुंह से भी खून आ रहा था. मिनी मैडम और मनोज सीट के बराबर में नीचे की तरफ बैठे थे. प्रद्युम्न का सिर मनोज की तरफ था.

मनोज का कहना है कि वे 15 से 20 मिनट में सैफहैंड अस्पताल पहुंच गए थे. लेकिन वहां से बच्चे को एंबुलेंस के जरिए आर्टेमिस हॉस्पिटल भेज दिया गया था. उसका कहना है कि अगर सैफहैंड अस्पताल उसी वक्त बच्चे को सही इलाज दे देता तो शायद वह बच सकता था. मनोज के अनुसार अस्पताल के पास जरूरी चिकित्सा सुविधाएं नहीं थी.

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