मंदिर के बाहर भीख मांगता था आईएसआईएस का संदिग्ध

अंबाला से गिरफ्तार किया गया आईएसआईएस का संदिग्ध मूक बधिर होने के बावजूद कैसे जासूसी करता था, इस बात की जांच पड़ताल चल रही है.

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मूक बधिर जासूस कैसे काम करता था, यह एक बड़ा सवाल है. मूक बधिर जासूस कैसे काम करता था, यह एक बड़ा सवाल है.

परवेज़ सागर

  • राजकोट,
  • 28 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST

हरियाणा से गिरफ्तार किया गया आईएसआईएस का संदिग्ध मूक बधिर होने के बावजूद कैसे जासूसी करता था, यह बात खुफिया एजेंसियों को परेशान कर रही है.

हरियाणा के अंबाला शहर में पुलिस के हत्थे चढ़ा संदिग्ध पूरी तरह से मूक बधिर है. वह न तो सुन सकता है और न ही बोल सकता है. उसे पढ़ना लिखना भी नहीं आता. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि वह जासूसी का काम कैसे करता था.

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पुलिस और खुफिया एजेंसियों के मुताबिक संदिग्ध पिछले दस साल से राजकोट के साईं मंदिर के बाहर भीख मांगता था. वह राजकोट में ही रेलवे के खंडहर बन चुके एक क्वॉर्टर में रह रहा था.

एजेंसियों को पता चला है कि संदिग्ध का अहमदाबाद में रहने वाले आईएसआईएस के एक गुर्गे के साथ संबंध था. अभी तक उस गुर्गे का नाम सामने नहीं आया है.

खुफिया एजेंसियों ने राजकोट रेलवे स्टेशन के आस पास के काम करने वालों और वहां दुकान चलाने वालों से भी संदिग्ध के बारे में पूछताछ की. उन्होंने बताया कि संदिग्ध का नाम असलम है और वह साईं मंदिर के पास भीख मांगने का काम करता था.

पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अब इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि संदिग्ध जासूसी कैसे करता था. और उसका आईएसआईएस के साथ क्या रिश्ता है. कौन है जो उसके सम्पर्क में था.

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