दलित सहयोगी के उत्पीड़न में दोषी पाए गए IIT कानपुर के 4 प्रोफेसर

सहायक प्रोफेसर सेद्रला ने आईआईटी के निदेशक को एक ईमेल भेज कर उनके शिकायत पर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. ताकि भविष्य में किसी नए संकाय सदस्य को कभी भी शर्मनाक और अपमानजनक स्थिति का सामना न करना पड़े.

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इस मामले में बीओजी की मीटिंग 6 सितंबर को होनी है इस मामले में बीओजी की मीटिंग 6 सितंबर को होनी है

परवेज़ सागर

  • कानपुर,
  • 05 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:13 PM IST

आईआईटी कानपुर के चार प्रोफेसरों को अनुसूचित जाति के जूनियर सहयोगी का उत्पीड़न करने का दोषी पाया गया है. उनके खिलाफ शिकायत मिलने पर एक जांच समिति का गठन किया गया था. जिसने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि उन चारों प्रोफेसरों ने संस्थान के नियमों का उल्लंघन किया है.

न्यायमूर्ति सईदुज़्जमां सिद्दीकी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में गठित की गई जांच समिति ने वरिष्ठ संकाय सदस्यों को भी इस मामले में दोषी पाया. वे भी भर्ती प्रक्रिया में सवाल पूछने वाले पैनल का हिस्सा थे.

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टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक जांच आईआईटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर ने की थी. जिसकी रिपोर्ट अगस्त के तीसरे सप्ताह में दाखिल कर दी गई थी. आईआईटी कानपुर के सूत्रों के अनुसार, बीओजी के सदस्यों के 6 सितंबर को मिलने की संभावना है. तब ये मामला चर्चा में आ सकता है.

इससे पहले फरवरी 2018 में तीन सदस्यीय फेक्ट फाइंडिंग कमेटी ने प्राथमिक जांच में पाया कि आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र और अब सहायक प्रोफेसर सुब्रह्मण्यम सेद्रला का उत्पीड़न किया गया था. कमेटी ने इस मामले में एससी-एसटी एक्ट 1989 के तहत कार्रवाई करने की सिफारिश की थी.

1 जनवरी, 2018 को आईआईटी कानपुर में बतौर सहायक प्रोफेसर काम शुरू करने वाले सुब्रह्मण्यम सेद्रला की शिकायत के बाद प्रोफेसर सी.एस. उपाध्याय, प्रोफेसर संजय मित्तल, प्रोफेसर इशान शर्मा और प्रोफेसर राजीव शेखर के खिलाफ जांच शुरू की गई थी.

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इस मामले में बारह दिनों बाद सहायक प्रोफेसर सेद्रला ने आईआईटी के निदेशक को एक ईमेल भेज कर उनके शिकायत पर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. ताकि भविष्य में किसी नए संकाय सदस्य को कभी भी शर्मनाक और अपमानजनक स्थिति का सामना न करना पड़े.

सेद्रला ने आरोप लगाया कि अक्टूबर 2017 में आयोजित एक संगोष्ठी में प्रोफेसर इशान शर्मा ने लगातार सवाल पूछे और इस तरह से मजाक किया कि उसे उनका मजाक समझा गया. जब इस संबंध में प्रो. उपाध्याय और प्रो. शेखर से बात की गई तो, उन्होंने कहा कि उन लोगों ने रिपोर्ट नहीं देखी है. जबकि प्रोफेसर शर्मा से सम्पर्क नहीं हो पाया.

इस मामले में बीओजी के अध्यक्ष और मारुति उद्योग लिमिटेड के अध्यक्ष आर सी भार्गव ने कहा कि इस मामले में अभी कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती क्योंकि कार्यवाही अभी भी चल रही है. इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिया जाना अभी तक बाकी है.

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