कर्नाटक कैडर के दिवंगत आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी केस की जांच अब सीबीआई करेगी. सोमवार को परिजनों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई थी. केस की जांच कर रही एसआईटी की डेडलाइन खत्म होने के बाद आधी-अधूरी जांच से पीड़ित परिवार खासा नाराज था.
सोमवार को अनुराग तिवारी की मौत के मामले में उनके भाई ने हजरतगंज कोतवाली में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी के परिजनों ने सीएम योगी से मुलाकात कर केस की निष्पक्ष जांच की मांग की. जिसके बाद सीएम ने उन्हें उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था. इसके कुछ देर बाद ही यूपी डीजीपी सुलखान सिंह ने इस केस की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने की बात कही.
दरअसल अनुराग तिवारी केस की जांच कर रही एसआईटी की तीन दिन की मियाद खत्म हो गई थी. तीन दिन बाद भी एसआईटी केस की जांच को पूरा नहीं कर पाई. एसआईटी ने और मोहलत मांगी थी. परिजनों की मानें तो एसआईटी अभी तक एलडीए वीसी पीएन सिंह का बयान तक दर्ज नहीं कर पाई थी.
ऑटोप्सी करने वाले डॉक्टर्स के बयान भी दर्ज नहीं हो पाए. वहीं एसआईटी ने अभी तक अनुराग के परिजनों के भी बयान दर्ज नहीं किए थे. जिससे नाराज पीड़ित परिजनों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर अनुराग की मौत के जल्द खुलासे की मांग की.
क्या था मामला
बीते बुधवार को हजरतगंज के मीराबाई सरकारी गेस्ट हाऊस के बाहर कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी मृत पाए गए. सूत्रों की मानें तो आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के खिलाफ हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश करने वाले थे. इस वजह से कर्नाटक के राजनेता और कुछ अधिकारी उनके पीछे पड़ गए थे.
काम से खुश नहीं था एक मंत्री
2007 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी बंगलुरु में खाद्य और आपूर्ति विभाग में तैनात थे. अनुराग तिवारी के बड़े भाई मयंक ने बताया कि अनुराग को पहले से खतरा था. उन्होंने कहा, भाई अनुराग तिवारी ने दो महीने पहले उन्हें बताया था कि एक मंत्री उनके काम से खुश नहीं है. वह एक घोटाले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. मयंक की मानें तो अनुराग ने पहले ही अपने साथ किसी तरह का हादसा होने की आशंका जताई थी.
कुमार अभिषेक