दिल्ली: फ्लाईओवर पर बने गड्ढे ने ली एक शख्स की जान

दिल्ली में सरकार की लापरवाही एक शख्स के लिए जानलेवा साबित हुई. वह शख्स अपने भाई के साथ एक फ्लाईओवर से गुजर रहा था. अचानक स्कूटी का पहिया सड़क के बीच बने गड्ढे में पड़ा और स्कूटी अनियंत्रित होकर गिर गई. इस घटना में दोनों घायल हो गए. मौके पर मौजूद लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां एक शख्स की मौत हो गई.

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मनोज ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया मनोज ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया

परवेज़ सागर / अनुज मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 5:34 PM IST

दिल्ली में सरकार की लापरवाही एक शख्स के लिए जानलेवा साबित हुई. वह शख्स अपने भाई के साथ एक फ्लाईओवर से गुजर रहा था. अचानक स्कूटी का पहिया सड़क के बीच बने गड्ढे में पड़ा और स्कूटी अनियंत्रित होकर गिर गई. इस घटना में दोनों घायल हो गए. मौके पर मौजूद लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां एक शख्स की मौत हो गई.

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मामला दिल्ली के आउटर रिंग रोड का है. सड़कों और फ्लाई ओवर के बनने का श्रेय सरकार बढ़ चढ़कर तो लेती है लेकिन हादसा होने पर कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. दरअसल बीते दिन, बुराड़ी संत नगर निवासी 42 वर्षीय मनोज श्रीवास्तव अपने छोटे भाई के साथ स्कूटी से घर लौट रह थे.

जैसे ही दोनों भाई हैदरपुर मेट्रो के पास बने एक फ्लाई ओवर से गुजरने लगे. अचानक सड़क पर करीब एक गहरा गड्ढा आ गया. स्कूटी स्पीड में होने की वजह से अनियंत्रित होकर तेजी से गिर पड़ी. जिस वजह से दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए.

मौके पर मौजूद राहगीरों ने दोनों घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया. जहां इलाज के दौरान मनोज की मौत हो गई. इस मामले की सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पहुंची. जिसके बाद पुलिस ने एक्सीडेंटल केस दर्ज कर लिया.

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दूसरी तरफ, मृतक मनोज के घर मातम का माहौल छाया हुआ है. मनोज तीन बेटियों का पिता है. सरकार की लापरवाही ने उन बेटियों से उनका पिता छीन लिया. मनोज के परिजनों ने इस मामले में पीडब्लूडी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने की मांग की है. इसके साथ ही अब पीड़ित परिवार कोर्ट भी जाएगा.

आपको बता दें, जब यह फ्लाई ओवर बना था तो दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खूब ढोल बजाए थे. लेकिन अब इस फ्लाई ओवर पर हुए हादसे की जिम्मेदारी कोई लेने कोई तैयार नही है. यहां तक की इस हादसे के बाद भी विभाग नहीं जागा है. घटना के करीब 5 दिन बाद भी सड़क पर गड्ढा ज्यों का त्यों ही है.

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