केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 15000 करोड़ रुपये से अधिक के 'बाइक बोट' घोटाले की जांच के लिए एक FIR दर्ज की है. ये घोटाला हीरा व्यापारियों से जुड़े पीएनबी मामले से भी अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी है. FIR में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश स्थित बाइक बोट के मुख्य प्रबंध निदेशक संजय भाटी ने 14 अन्य लोगों के साथ मिलकर देशभर में निवेशकों से करीब 15,000 करोड़ रुपये ठगे.
रखी गई थीं आकर्षक इंवेस्टमेंट स्कीम्स
बाइक बोट घोटाले में आरोपी ने बाइक-टैक्सी सेवा की आड़ में बाइक बोट के नाम से आकर्षक निवेश योजनाएं बनाई थीं. इसमें एक ग्राहक 1, 3, 5 या 7 बाइक में निवेश कर सकता था, जिसे बनाए रखा जाएगा. निवेशक को मासिक किराया, ईएमआई और बोनस (एकाधिक बाइक में निवेश के मामले में) और बाइनरी संरचना में अधिक इंवेस्टर्स को जोड़ने पर और प्रोत्साहन का भुगतान किया जाएगा.
कई शहरों में डिस्ट्रीब्यूट की गई थी फ्रेंचाइजी
कंपनी ने कथित तौर पर विभिन्न शहरों में फ्रेंचाइजी डिस्ट्रीब्यूट की लेकिन इन शहरों में बाइक और टैक्सियों का संचालन मुश्किल से होता था. अगस्त 2017 में योजनाएं शुरू की गईं और निवेशकों, ग्राहकों से भुगतान लिया गया. उन्हें ये पुनर्भुगतान 2019 की शुरुआत तक जारी रहा. नवंबर 2018 में, कंपनी ने ई-बाइक के लिए इसी तरह की योजनाएं जारी कीं, जिसमें कहा गया था कि पेट्रोल बाइक, रजिस्ट्रेशन और ऑपरेशन के मुद्दों का सामना कर रही थीं. ई-बाइक की सदस्यता राशि नियमित पेट्रोल बाइक के लिए निवेश राशि से लगभग दोगुनी थी.
'पुलिस ने नहीं की इंवेस्टर्स की शिकायत पर कार्रवाई'
इन्वेस्टर्स की शिकायतें नोएडा एडमिनिस्ट्रेशन के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों के ज्ञान में थी, जिन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. बल्कि एसएसपी और एसपी क्राइम ने शिकायतकर्ताओं पर अपनी शिकायतें वापस लेने का दबाव डाला. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि संजय भाटी और उसके साथियों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत निवेशकों को ठगा है और कारोबार के नाम पर देश भर से कम से कम 15,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं.
इससे पहले, ईडी ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड, इसके प्रमोटर संजय भाटी और अन्य के खिलाफ गौतमबुद्धनगर के दादरी पुलिस स्टेशन में कई एफआईआर के आधार पर बाइक बोट घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी. वित्तीय जांच एजेंसी ने इस मामले में 216 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति भी कुर्क की है.
तनसीम हैदर