लीबियाः पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में धमाका, अब तक 65 की मौत

लीबिया में एक पुलिस प्रशिक्षण केंद्र पर हुए धमाके में 65 लोगों की जान चली गई. अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है.

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अभी तक किसी संगठन ने धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है अभी तक किसी संगठन ने धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है

परवेज़ सागर

  • त्रिपोली,
  • 07 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 4:14 AM IST

लीबिया के पश्चिमी जिल्टेन शहर में एक पुलिस प्रशिक्षण केंद्र पर ट्रक बम हमले में 65 लोगों की मौत हो गयी और कई दर्जन लोग घायल हो गए.

जिल्टेन शहर के मेयर मिफताह हमादी ने बताया कि राजधानी त्रिपोली और मिसराता के बंदरगाह के बीच एक तटीय शहर में कई रंगरूट पुलिस प्रशिक्षण केंद्र पर जमा हुए थे. तभी वहां खड़े एक ट्रक में यह जोरदार घमाका हुआ. जिसमें 65 लोगों की जान चली गई. जबकि कई दर्जन लोग घायल हो गए.

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प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इस हमले में कुछ आम नागरिकों की जान भी चली गई. इस धमाके में लोग बुरी तरह जख्मी हो गए हैं. उन्हें इलाज के लिए कई एंबुलेंस और कारों से मिसराता के अस्पतालों में भेजा गया है.

एक चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस हमले में एक अधिकारी समेत तकरीबन 65 लोगों की जान चली गई है. जिसमें कुछ नागरिक भी शामिल थे. लीबिया में इस धमाके के बाद आपातकाल जैसे हालात नजर आ रहे हैं.

लंबे समय तक सत्ता में रहे तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के वर्ष 2011 में अपदस्थ होने के बाद से लीबिया अराजकता की गिरफ्त में है. देश में इस्लामिक स्टेट का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. इस्लामी उग्रवादी इस देश को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में लेना चाहते हैं.

उग्रवादी अराजकता के जरिए इस देश में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहे हैं. माना जा रहा है कि इस धमाके में ऐसे ही किसी संगठन का हाथ है. हालांकि अभी तक किसी ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. स्थानीय सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस मामले की जांच में जुट गई हैं.

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लीबिया में संयुक्त राष्ट्र के दूत मार्टिन कोबलर ने ट्वीट किया कि मैं जिल्टेन में आज हुए घातक आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करता हूं और लीबियावासियों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होने का आह्वान करता हूं.

इस्लाम समर्थित मिलिशिया गठबंधन के त्रिपोली पर कब्जा कर लेने के बाद से ही लीबिया में अगस्त 2014 से प्रतिद्वंद्वी गुट का शासन है. उस समय सरकार को देश के पूर्व भाग में शरण लेनी पड़ी थी.

संयुक्त राष्ट्र दोनों पक्षों पर सत्ता साझेदारी समझौते को स्वीकार करने के लिए दबाव बना रहा है, जिस पर दोनों पक्ष दिसंबर में सहमत हुए थे.

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