बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन-तीन केंद्रीय एजेंसी जांच कर रही हैं. जांच का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दिया था. लेकिन ड्रग्स कनेक्शन का खुलासा होते ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) भी हरकत में आ गया. बाद में पैसे के लेन देन का एंगल आया तो प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम भी इस केस में शामिल हो गई. तीनों एजेंसियां जांच के दौरान लगातार पूछताछ और छापेमारी कर रही हैं. ऐसे में एक सवाल उठता है कि आखिर ये एजेंसियां रेड करती कैसे हैं? क्या होता है इनका तरीका? आइए समझने की कोशिश करते हैं.
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की तीनों बड़ी एजेंसियों का काम चाहे अलग-अलग हो, लेकिन सर्च, रेड और सर्वे का तरीका लगभग एक जैसा ही है. तीनों बड़ी एजेंसी फील्ड में सर्वे, सर्च और रेड एक ही प्रक्रिया के अनुसार करती हैं. एजेंसियों के अधिकारियों का आचरण संबंधित घर या स्थान पर एक जैसा ही होता है. हालांकि एजेंसी के सूत्र इस बात की पुष्टि नहीं करते कि किसी घर में रेड के दौरान बिस्तर, तकीये, गद्दे फाड़ दिए जाते हों. ऐसा अक्सर फिल्मों में देखने को मिलता है, हकीकत में नहीं. चलिए जानते हैं कि रेड, सर्च और सर्वे में क्या अंतर होता है.
छापेमारी / रेड
इसके लिए अदालत या अधिकृत प्राधिकारी पहले तलाशी वारंट जारी करते हैं. वारंट जारी होने के बाद ही छापेमारी यानी रेड की जा सकती है. यह किसी भी समय हो सकती है. छापेमारी किसी भी इमारत या जगह पर अधिकृत अधिकारियों द्वारा किया गया एक व्यापक तलाशी अभियान होता है. ये तभी संभव होता है, जब उनके पास किसी भी अज्ञात संपत्ति के बारे में विश्वास करने या अपराध के बारे में कुछ भी संदिग्ध होने का कोई मजबूत सबूत हो. अगर उन्हें छापेमारी के दौरान कोई अघोषित संपत्ति मिलती है, तो एजेंसी को उसे जब्त करने का अधिकार भी प्राप्त होता है.
खोजबीन / सर्च
यह संबंधित अधिकृत अधिकारी के नेतृत्व में किसी भी इमारत या जगह पर हो सकती है, बर्शते कि वो जगह उस अफसर के अधिकार क्षेत्र में हो. सर्च की कार्रवाई आईजी स्तर के किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जा सकती है. यह सूर्योदय के बाद किसी भी दिन हो सकती है और प्रक्रियाएं पूरी होने तक जारी रह सकती है. सर्च के दौरान अघोषित संपत्ति का पता लगाने के लिए पूरी जगह की तलाशी ली जा सकती है, ताले खोले जा सकते हैं. संबंधित अधिकारी के पास जब्त करने का अधिकार भी होता है. इस काम में पुलिस अधिकारियों की मदद ली जा सकती है.
सर्वेक्षण / सर्वे
इसके तहत कार्रवाई केवल व्यवसायिक या कारोबार के स्थान पर हो सकती है. सर्वे की कार्रवाई आवासीय स्थान पर तब तक नहीं हो सकती, जब तक कि संबंधित दस्तावेजों को आवासीय स्थान पर नहीं रखा गया हो. सर्वेक्षण केवल व्यावसायिक दिनों में काम के घंटों के दौरान ही किया जा सकता है. अगर सर्वे पूरा नहीं हुआ तो काम के घंटों के बाद भी यह जारी रह सकता है. इसमें संबंधित अधिकारी के पास कुछ जब्त करने का कोई अधिकार नहीं होता है. इस काम के लिए पुलिस की मदद नहीं ली जा सकती.
परवेज़ सागर / मुनीष पांडे