मर्डर थ्योरी, साइंटिफिक सबूत, 150 गवाह.... श्रद्धा के कातिल को सजा दिलाने के लिए पुलिस ऐसे जोड़ रही कड़ियां

श्रद्धा मर्डर केस में दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को अदालत में चार्जशीट दाखिल की. जिसमें कत्ल का मकसद भी लिखा है और आफताब की पूरी साजिश को भी बयां किया गया है. चार्जशीट में आफताब की उन शातिर हरकतों का तफ्सील से जिक्र किया गया है, जो उसने कानून से बचने के लिए अंजाम दीं.

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आफताब को कड़ी सजा दिलाने के मकसद से चार्जशीट मजूबत बनाई गई है आफताब को कड़ी सजा दिलाने के मकसद से चार्जशीट मजूबत बनाई गई है

श्रेया चटर्जी / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST

Shraddha Walker Murder Case: श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस की चार्जशीट 6 हजार से ज्यादा पन्नों की है. जिसमें इस सनसनीखेज वारदात के हर पहलू को दर्ज किया गया है. इस चार्जशीट में मर्डर की थ्योरी भी है और साइंटिफिक सबूतों का जिक्र भी. केस से जुड़े 150 गवाहों के बयान भी हैं और आरोपी का इकबालिया बयान भी. कुल मिलाकर कहें तो पुलिस ने चार्जशीट की शक्ल में वो दस्तावेज तैयार किया है. जिसमें आफताब के जुर्म का हर हिसाब लिखा गया है.

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श्रद्धा मर्डर केस में दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को अदालत में चार्जशीट दाखिल की. जिसमें कत्ल का मकसद भी लिखा है और आफताब की पूरी साजिश को भी बयां किया गया है. खुद दिल्ली पुलिस की ज्वाइंट सीपी ने इसकी जानकारी दी. चार्जशीट में आफताब की उन शातिर हरकतों का तफ्सील से जिक्र किया गया है, जो उसने कानून से बचने के अंजाम दीं. 

श्रद्धा वॉल्कर का मर्डर
चार्जशीट में बताया गया कि पुलिस के पास श्रद्धा की 18 मई की सीसीटीवी फुटेज भी है, जब वो गुरुग्राम से लौट कर सुबह तकरीबन 11 बजे अपने फ्लैट में वापस पहुंची थी. उसके बाद ही आफताब और श्रद्धा के बीच झगड़ा हुआ था. लेकिन थोड़ी देर में ही दोनों शांत हो गए थे. फिर उन्होंने बाहर से खाना मंगवाया था. खाना खाने के बाद आफताब फिर से श्रद्धा के नए दोस्त को लेकर उससे झगड़ा करने लगा. श्रद्धा उसे गालियां देने लगी. तब आफताब ने उसे उठाकर जमीन पटका और उसके सीने पर बैठकर दोनों हाथों से उसका गला दबा दिया. कुछ देर में ही श्रद्धा की मौत हो गई थी. 

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हिमाचल में ठिकाने लगाना चाहता था लाश
पुलिस ने चार्जशीट में श्रद्धा की लाश को ठिकाने लगाने के लिए आफताब की ओर से रची गई पूरी साजिश को डिटेल में बताया है. पूछताछ में आफताब ने पुलिस को बताया है कि वो श्रद्धा की हत्या करने के बाद पहले उसकी लाश को बैग में डाल कर हिमाचल प्रदेश ले जाना चाहता था. उसका इरादा लाश को वहीं ठिकाने लगाने का था. इसके लिए वो 1200 रुपये का एक काले रंग का बड़ा सा बैग भी खरीद कर लाया था. आफताब ने कैब बुक करने के लिए कुछ ट्रैवल एजेंट से बात भी की थी. लेकिन फिर उसने सोचा कि हिमाचल के रास्ते में जगह-जगह चेकिंग होती है, कहीं ऐसा ना हो कि चेकिंग के दौरान वो लाश के साथ ही पकड़ लिया जाए. इसलिए उसने अपना ये प्लान कैंसल कर दिया था. 

पहचान मिटाने के लिए किए थे लाश के टुकड़े
आफताब इसके बाद अपने घर की छत पर बैठ कर देर तक लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सोचता रहा. तभी उसे अपने दोस्त बद्री का ख्याल आया, जिसकी छत पर बैठ कर वो अक्सर सिगरेट पीया करता था. उसे याद आया कि बद्री की छत से महरौली का जंगल दिखाई देता है, जो काफी घना है. तब उसने श्रद्धा की लाश के टुकड़े कर उसी जंगल में ठिकाने लगाने का फैसला किया. इसके बाद वो उसी रात से बाथरूम में लाश के टुकड़े करने लगा. उसने इतने छोटे-छोटे टुकड़े किए कि अगर कोई टुकड़ा कहीं किसी को नजर भी आ जाए, तो ये समझना मुश्किल हो कि ये टुकड़े इंसानी लाश के ही हैं. और तो और आफताब ने लाश की ऊंगलियों और उसके नाखुनों को अलग करके उन्हें जला दिया था. ताकि कोई उन्हें देख कर इंसानी लाश के टुकड़े होने की बात पहचान ना सके.

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कत्ल का इकलौता आरोपी है आफताब 
दिल्ली पुलिस की ज्वाइंट सीपी नीलू चौधरी के मुताबिक, चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने श्रद्धा के कत्ल के लिए आफताब को इकलौता आरोपी बनाया है. यानी श्रद्धा के कत्ल की साजिश में कोई और शामिल नहीं है. श्रद्धा के कत्ल से लेकर लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाने का काम आफताब ने अकेले ही किया. आफताब ने श्रद्धा का कत्ल और लाश के टुकडे करने के लिए कई हथियारों का इस्तेमाल किया था. चार्जशीट के मुताबिक इनमें से कई हथियार अब तक नहीं मिले हैं. 

साइंटिफिक मेथड से की गई तफ्तीश
चार्जशीट के मुताबिक आफताब के खिलाफ एक मजबूत केस तैयार करने के लिए पुलिस ने तमाम पहलू से ना सिर्फ मामले की जांच की, बल्कि हर छोटे बड़े सबूत भी इकट्ठा किए. साइंटिफिक मैथड के तहत खून, हड्डियां, डीएनए टेस्ट, पॉलीग्राफ, नार्को, लेयर्ड वॉयस, वॉयस स्पेक्टोग्राफ जैसे तमाम सबूत जमा किए गए. कुछ एडवांस्ड टेस्ट के लिए नमूनों को हैदराबाद की लैब भी भेजा गया.

जुटाए गए साइंटिफिक और डिजिटल एविडेंस
साइंटिफिक जांच के अलावा केस को मजबूत करने के लिए तमाम डिटिजल एविडेंस भी हासिल किए गए. इनमें आफताब और श्रद्धा का मोबाइल फोन, लैप टॉप, डेटिंग एप, सोशल मीडिया के तमाम एकाउंट और यहां तक कि जीपीएस लोकेशन को भी टैक किया गया. साइंटिफिक और डिजिटल एविडेंस के अलावा केस की कड़ियों को जोड़ने के लिए सीसीटीवी कैमरों से बरामद फुटेज को भी चार्जशीट में एक अहम सबूत के तौर पर पेश किया गया है. 

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जांच के लिए 9 टीम और 1 एसआईटी
चार्जशीट के मुताबिक श्रद्धा मर्डर केस की तफ्तीश के लिए नौ अलग-अलग टीमें बनाने के अलावा एसआईटी का भी गठन किया गया था. केस से जुड़े सबूत हासिल करने के लिए दिल्ली और गुरुग्राम के अलावा, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा उत्तराखंड और महाराष्ट्र भी टीमें भेजी गईं. आफताब ने श्रद्धा से जुड़े कुछ सबूत महाराष्ट्र में छुपाए थे.

जंगल में फेंके थे लाश के ज्यादातर टुकड़े
चार्जशीट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि श्रद्धा के कत्ल की जानकारी, कत्ल होने के करीब छह महीने बाद पुलिस को मिली थी, इस दौरान श्रद्धा की लाश के टुकड़े कर आफताब उन्हें अलग-अलग जगहों पर फेंक चुका था. चार्जशीट के मुताबिक उसने लाश के ज्यादातर टुकड़े छतरपुर में महरौली के जंगलों में ही ठिकाने लगाए थे. आफताब की निशानदेही पर महरौली के जंगल से ही श्रद्धा की लाश के कुछ टुकड़े मिले, जो डीएनए में श्रद्धा के पिता से मैच कर गए थे.

पुलिस की थ्योरी को सर्पोट करते हैं सबूत!
दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि इस कत्ल से जुड़े तमाम सबूत उसके पास हैं. खास तौर पर साइंटिफिक और टेक्नीकल एविडेंस भी दिल्ली पुलिस की थ्योरी को सपोर्ट करते हैं. इसलिए पुलिस को उम्मीद है कि इस केस में आफताब को वो अदालत से सख्त से सख्त सजा दिलवाएगी. ट्रायल शुरू होने पर दिल्ली पुलिस पैरवी के लिए बाकायदा वकीलों की एक स्पेशल टीम की तैनाती की भी कोशिश कर रही है. 

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वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आरोपी की पेशी
चार्जशीट में तमाम सबूतों के अलावा 150 लोगों के बयान दर्ज किए जाने का भी जिक्र है. इनमें बाकी लोगों के अलावा श्रद्धा और आफताब के परिवार के लोग भी शामिल हैं. अदालत में चार्जशीट दाखिल करते वक्त आफताब तिहाड़ जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सारी कार्रवाई को देख रहा था. उसने अदालत से ये पूछा कि चार्जशीट की पूरी कॉपी उसे कब तक मिलेगी? इतना ही नहीं उसने अदालत से ये भी कहा कि वो अपना वकील बदलनेवाला है. लिहाजा, चार्जशीट की कॉपी उसके पुराने वकील को ना दी जाए. 

फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की कोशिश
दिल्ली पुलिस ने बेशक 75 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल कर दी हो, मगर क्या इस केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए होगी, ये अभी साफ नहीं है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने बार-बार ये कहा है कि उसकी कोशिश यही होगी कि मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो. ताकि इस सनसनीखेज मामले में जल्द से जल्द फैसला हो सके. 

 

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