श्रद्धा मर्डर केस: हमले के बाद बढ़ी आफताब की सुरक्षा, तिहाड़ जेल में अफसरों की अहम मीटिंग

श्रद्धा मर्डर केस में आरोपी आफताब से सोमवार को दिनभर पूछताछ की गई, उसके बाद शाम को तिहाड़ जेल भेज दिया गया. वहां उसका मेडिकल करवाया गया. डॉक्टर्स के मुताबिक, आफताब पूरी तरह फिट है. आफताब को अलग बैरक (Separate cell) में शिफ्ट किया गया है. Separate cell में सिर्फ एक कैदी को रखा जाता है, इस सेल से कैदी को जल्दी नहीं निकाला जाता है.

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श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस में आरोपी आफताब से पुलिस पूछताछ कर रही है. श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस में आरोपी आफताब से पुलिस पूछताछ कर रही है.

अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:48 AM IST

श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस के आरोपी आफताब पर हमले की कोशिश के बाद दिल्ली पुलिस और तिहाड़ जेल प्रशासन अलर्ट हो गया है. सोमवार देर शाम आफताब की सुरक्षा को लेकर तिहाड़ में जेल अधिकारियों के बीच एक अहम मीटिंग हुई है. इसमें मंगलवार को आफताब को फिर से एफएसएल लैब और अस्पताल ले जाने के दौरान सुरक्षा का खाका खींचा गया. बताया जा रहा है कि आफताब की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है. अदालत ने जेल अधिकारियों को आदेश दिया था कि आफताब को 28-29 नवंबर और 5 दिसंबर को FSL के सामने पेश करें, ऐसे में मंगलवार को भी आफताब को एफएसएल लाया जाएगा.

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वहीं, सोमवार को आफताब से दिनभर पूछताछ के बाद शाम को तिहाड़ जेल भेज दिया गया. वहां उसका मेडिकल करवाया गया. डॉक्टर्स के मुताबिक, आफताब पूरी तरह फिट है. आफताब को अलग बैरक (Separate cell) में शिफ्ट किया गया है. Separate cell में सिर्फ एक कैदी को रखा जाता है, इस सेल से कैदी को जल्दी नहीं निकाला जाता है. पुलिस की मौजूदगी में खाना दिया जाता है. सेल के बाहर एक सुरक्षाकर्मी हमेशा तैनात रहता है. इस सेल के कैदियों को बाकी कैदियों से अलग रखा जाता है. सुरक्षा कारणों से Separate cell में रखा गया है.

श्रद्धा के दोस्त से पूछताछ की गई

वहीं, दिल्ली पुलिस ने सोमवार को श्रद्धा के दोस्त जिमेश नाम्बियार से पूछताछ की और उसके बयान दर्ज किए. जिमेश वही शख्स हैं, जिन्होंने श्रद्धा को 2021 में एक आईटी कंपनी में जॉब के लिए रेफर किया था. जिमेश और श्रद्धा की पहचान इंस्टाग्राम पर हुई थी. श्रद्धा कॉल सेंटर की जॉब छोड़कर दूसरी नौकरी तलाश रही थी, जिसके लिए जिमेश ने उसकी मदद की थी.

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दोस्त के रेफरेंस पर मिली थी श्रद्धा को नई जॉब

श्रद्धा को जिमेश ने IT सेल्स कम्पनी में रेफर किया और श्रद्धा उस कंपनी के लिए घर से काम करने लगी थी. श्रद्धा ने उस आईटी सेल्स कंपनी के लिए 5 से 6 महीने तक काम किया. बाद में कंपनी ने कुछ कर्मचारियों को काम से निकाल दिया, जिसमें श्रद्धा भी शामिल थी.

श्रद्धा के पिता ने भी बयान रिकॉर्ड करवाए

इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने श्रद्धा के पिता का बयान भी रिकॉर्ड किया है. हालांकि श्रद्धा के पिता की तबीयत पूरी तरह से ठीक नहीं है, इसलिए वो डीसीपी ऑफिस से बाहर निकले. पहली बार श्रद्धा के पिता कैमरे पर आए. वे भारी सुरक्षा के बीच डीसीपी ऑफिस पहुंचे थे. डीसीपी साउथ के हाउजखास ऑफिस में स्पेशल कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर और केस के IO की मौजूदगी में श्रद्धा के पिता का बयान दर्ज किया गया. आजतक ने श्रद्धा के पिता से बात करने की कोशिश की, लेकिन, श्रद्धा के पिता ने कुछ कहा नहीं. बस खामोश रहे. श्रद्धा के पिता के साथ जांच अधिकारी श्रद्धा केस से जुड़ी तमाम फाइल लेकर पहुंचे थे.

आफताब पर हमले की कोशिश

आरोपी आफताब पर शाम को रोहिणी इलाके में हमला करने की कोशिश की गई है. आरोपी आफताब जैसे ही एफएसएल कार्यालय के बाहर वैन में सवार होकर निकला, तभी हमलावरों ने अपनी कार आगे खड़ी कर दी और तलवारें लेकर दौड़े. हमलावरों के पास 5 तलवारें थीं. ये पूरा घटनाक्रम 15 मिनट के अंदर हुआ. दिल्ली पुलिस को भी कुछ पल तक घटनाक्रम समझ में नहीं आया. पुलिस ने एक हमलावर निगम गुर्जर नाम के एक शख्स को हिरासत में ले लिया है. हमलावर ने कहा- आफताब को काटना था. हम गुरुग्राम से 15 लोग आए थे. सभी लोग सुबह दिल्ली आ गए थे और वारदात को अंजाम देने की फिराक में बैठे थे. लैब के बाहर रैकी करते रहे. 

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आफताब ने हमारी बहन के 35 टुकड़े किए

निगम गुर्जर ने पुलिस पूछताछ में कहा कि आफताब के 70 टुकड़े करने आए थे. उसने हमारी-बहन बेटी के 35 टुकड़े किए थे. इसी बात से गुस्सा था. आफताब की हत्या करके ही वापस लौटना था. लेकिन पुलिस ने रोक लिया. ये सभी लोग कार से आए थे. एक मारुति कार (maruti zen) को पुलिस ने बरामद कर लिया. पुलिस को बरामद कार में हथौड़ा, विकेट, तलवारें मिली हैं. 

हमलावरों पर एफआईआर

आफताब पर हमला करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. इस संबंध में थाना प्रशांत विहार में धारा 186/353/147/148/149 के तहत केस दर्ज किया गया है.

5 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में था आफताब

बता दें कि कैदियों को FSL ले जाने का जिम्मा दिल्ली पुलिस की तीसरी बटालियन का होता है. पुलिस के मुताबिक, आफताब के साथ जेल वैन में 5 पुलिसकर्मी मौजूद थे. इन 5 पुलिसकर्मियों में एक सब इंस्पेक्टर था जो इनका हेड था. दो पुलिसकर्मी बड़े हथियारों के साथ थे, जबकि 2 के पास छोटे हथियार थे. डीसीपी थर्ड बटालियन ने बताया कि जेल वैन बेहद सुरक्षित होती है. इसके बावजूद दिल्ली पुलिसकर्मियों ने साहस और सूझबूझ का परिचय दिया और आफताब की गाड़ी को बाहर निकाल लिया.

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गुरुग्राम के दो हमलावर हिरासत में

डीसीपी रोहिणी ने बताया कि हरियाणा के गुरुग्राम के रहने वाले दो लोगों कुलदीप ठाकुर और निगम गुर्जर को हिरासत में लिया गया है. ये लोग एक कार में आए थे. हमने कार बरामद कर ली है. 3-4 लोग थे. पूछताछ के दौरान अन्य लोगों की संलिप्तता सामने आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. घटनाक्रम में किसी को चोट नहीं आई. जेल वैन पूरी तरह सुरक्षित है. हमने कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है.

 

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