बीच सड़क पर दिन-दहाड़े हुआ था पहलू खान का कत्ल, पर कातिल 'कोई नहीं'

वारदात के वक्त जब आरोपी उस बुजुर्ग के साथ दरिंदगी कर रहे थे, तो कुछ लोग वहां खड़े होकर घटना का वीडियो बना रहे थे. तमाशा देख रहे  थे. लेकिन कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया.

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पहलू खान गाय खरीदकर वापस मेवात लौट रहे थे, तभी उन पर हमला किया गया (फाइल फोटो) पहलू खान गाय खरीदकर वापस मेवात लौट रहे थे, तभी उन पर हमला किया गया (फाइल फोटो)

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 7:50 PM IST

हरियाणा के मेवात की नूह तहसील में रहने वाले पहलू खान को एक दर्दनाक मौत मिली, जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं होगा. पहलू खान डेयरी चलाते थे. उनके काम में दूध की ज्यादा खपत थी. लिहाजा, वह अप्रैल 2017 में एक भैंस खरीदने के लिए राजस्थान के जयपुर जिले में गए थे. लेकिन ज्यादा दूध के लालच में पहलू खान ने एक गाय का सौदा कर लिया. बस वही गाय उनके लिए जानलेवा साबित हुई.

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1 अप्रैल 2017

यही वो तारीख थी, जिस पहलू खान अपने आखिरी सफर पर निकले थे. मेवात के नूह कस्बे में रहने वाले पहलू खान भैंस खरीदने के लिए जयपुर पहुंचे थे. वहां अधिक दूध के लालच में उन्होंने एक गाय खरीद ली. बस उनका यही फैसला उनके लिए मौत का सबब बन गया. जब वह गाय लेकर लौट रहे थे, तो अलवर जिले की बहरोड़ पुलिया के पास कुछ अतिवादी संगठनों के लोगों ने उन्हें घेर लिया. और उन्हें तस्कर समझकर उन पर हमला बोल दिया. सड़क पर खींच कर पहलू खान की बुरी तरह से मार पिटाई की गई. इस हमले में पहलू खान सहित उनके दो बेटे और अन्य दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

जब आरोपी दरिंदे उस बेगुनाह बुजुर्ग के साथ दरिंदगी कर रहे थे, तो कुछ लोग वहां खड़े होकर घटना का वीडियो बना रहे थे. इस दौरान लोग तमाशा देखते रहे और आरोपी पहलू खान को पीटते रहे. उन्हें सड़क पर खींचा गया, पीटा गया. वह मदद के लिए चिल्लाते रहे लेकिन कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया. हालात को देखते हुए मौके पर पहुंची पुलिस फोर्स ने भीड़ को मौके से हटाने के लिए लाठीचार्ज किया. बाद में पहलू खान को बुरी हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 3 अप्रैल की रात पहलू खान की इलाज के दौरान मौत हो गई थी.

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इस केस में वायरल वीडियो और जांच के आधार पर पुलिस 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. मगर उस वक्त सत्ताधारी दल के प्रभाव में आरोपियों को पुलिस ने थाने से ही छोड़ दिया था. बाद में सितंबर 2017 में सीबीसीआईडी ने सभी 6 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी.

उस समय तर्क दिया गया था कि किसी स्थानीय व्यक्ति ने जानबूझकर इन लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज करवाए थे. ऐसे में इन लोगों को गिरफ्तार करने से पूरा केस कमजोर हो जाता, क्योंकि ये लोग मौके पर मौजूद नहीं थे.

घटना के बाद सिविल सोसाइटी के कुछ लोगों ने इस संबंध में दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और पहलू खान मामले की जांच पर गंभीर सवाल उठाए थे. फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने पुलिस जांच में तमाम खामियां गिनाते हुए केस को कोर्ट में चैलेंज करने की बात कही थी.

इस दौरान जांच करने वाले स्वतंत्र पत्रकार अजित साही समेत मशहूर वकील प्रशांत भूषण और इंदिरा जयसिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे. जहां उन्होंने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया.

रिपोर्ट के आधार पर जांच में इन 10 बड़ी खामियों का दावा:

1. एफआईआर के मुताबिक पुलिस को पहलू खान की घटना के बारे में 2 अप्रैल को सुबह 4.24 बजे पता चला. जबकि ये घटना 1 अप्रैल को शाम 7 बजे हुई. घटनास्थल से पुलिस स्टेशन की दूरी महज 2 किलोमीटर है. एफआईआर के मुताबिक पुलिस को करीब 9 घंटे बाद घटना की सूचना मिली.

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2. वहीं दूसरी तरफ, उसी एफआईआर में लिखा है कि पहलू खान का बयान रात 11 बजकर 50 मिनट पर रिकॉर्ड कर लिया था. ऐसे में सवाल ये है कि जब पुलिस को घटना की जानकारी ही सुबह चार बजे के बाद मिली तो फिर 4 घंटे पहले ही पुलिस ने पहलू खान का बयान कैसे दर्ज करा लिया.

3. हमले के आधा घंटे बाद पुलिस पहलू खान और उनके बेटे को अस्पताल ले गई. जबकि एफआईआर में किसी चश्मदीद पुलिसकर्मी का नाम नहीं है. उन्हें केस में गवाह तक नहीं बनाया गया.

4. डायिंग डिक्लेरेशन में पहलू खान ने 6 लोगों के नाम लिए थे. पहलू खान के बयान के मुताबिक उन पर हमला करने वाले कह रहे थे कि वह बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के सदस्य हैं. ऐसे में सवाल ये है कि जब पहलू खान उस इलाके का रहने वाला था नहीं, तो उसे इन्हीं 6 लोगों के नाम कैसे याद रहे. आखिर किसने उसे ये नाम दिए?

5. पुलिस की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि पहूल खान के डायिंग डिक्लेरेशन की जांच की गई और ये पाया गया कि सभी 6 आरोपी घटना के वक्त एक गौशाला में मौजूद थे.

6. इन सभी 6 आरोपियों ने जांच में पुलिस को ये बताया कि क्राइम सीन पर उनके मोबाइल फोन नहीं थे और पुलिस ने उनके इसी बयान को सबूत मान लिया.

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7. ये आरोपी 5 महीने तक फरार रहे और अचानक आकर पुलिस को अपने बयान रिकॉर्ड कराते हुए ये कहा कि वे घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे. पुलिस ने उनके ये बयान सबूत मान लिए.

8. बहरोड़ के तीन सरकारी डॉक्टरों ने बताया कि पहलू खान की मौत चोट की वजह से हुई थी, जो उन्हें हमले के दौरान लगी थीं.

9. जबकि पुलिस ने सरकारी डॉक्टरों की रिपोर्ट को अनदेखा किया और एक प्राइवेट अस्पताल (जो कि बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री का है) के डॉक्टरों की बात मानी.

10. बीजेपी नेता के अस्पताल के डॉक्टरों ने पुलिस को बताया कि जब पहलू खान अस्पताल पहुंचा, तब उसकी हालत ठीक थी. उसकी नाक से खून बह रहा था और उसने सीने में दर्द की शिकायत की. इस आधार पर डॉक्टरों ने पहलू खान की मौत की वजह हार्ट अटैक बताया.

सिविल सोसाइटी ने पुलिस जांच और उसकी थ्योरी में ये तमाम खामियां बताते हुए मामले की तफ्तीश को डायवर्ट करने का आरोप लगाया था.

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