जेसिका मर्डरः पैरोल पर जेल से कई बार निकला था मनु शर्मा, फरलो लेकर रचाई थी शादी

मनु शर्मा का नाम जेसिका लाल हत्याकांड के बाद सुर्खियों में आया था. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा का बेटा है. जेसिका नई दिल्ली में रहने वाली एक मॉडल थी. घटना 29 अप्रैल 1999 की है. उस दिन जेसिका एक पार्टी में बारमेड का काम कर रही थी. मनु शर्मा अपने दोस्तों के साथ उस पार्टी में मौजूद था.

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मनु शर्मा सजायाफ्ता होते हुए कई बार पैरोल लेकर जेल से बाहर आया था (फाइल फोटो) मनु शर्मा सजायाफ्ता होते हुए कई बार पैरोल लेकर जेल से बाहर आया था (फाइल फोटो)

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2020,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

  • जेल में अच्छे आचरण के चलते मिली थी पैरोल
  • मनु शर्मा को फरलो का भी मिला था फायदा

जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा को 17 साल बाद आखिरकार जेल से रिहाई मिल ही गई. लेकिन इससे पहले भी उसके अच्छे आचरण की वजह से वह कई बार जेल से बाहर आया और वापस गया. ये सुविधा उसे पैरोल और फरलो की वजह से मिली थी. मुन एक बार नहीं बल्कि कई बार सजायाफ्ता कैदियों को मिलने वाली इन सुविधाओं के सहारे जेल से बाहर आया था.

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दरअसल, मनु शर्मा का नाम जेसिका लाल हत्याकांड के बाद सुर्खियों में आया था. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा का बेटा है. जेसिका नई दिल्ली में रहने वाली एक मॉडल थी. घटना 29 अप्रैल 1999 की है. उस दिन जेसिका एक पार्टी में बारमेड का काम कर रही थी. मनु शर्मा अपने दोस्तों के साथ उस पार्टी में मौजूद था. तभी वहां शराब परोसने को लेकर जेसिका का उन लोगों से कुछ विवाद हुआ और गोली चल गई. गोली सीधी जेसिका लाल को लगी और उसकी मौत हो गई. मामला पुलिस में जा पहुंचा. मनु शर्मा और उसके तीनों दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया गया.

ज़रूर पढ़ेंः जेसिका लाल मर्डर केस के दोषी मनु शर्मा रिहा, उपराज्यपाल ने दी अनुमति

सात साल मुकदमा चला और 21 फरवरी 2006 को मनु शर्मा और उसके साथियों को जेसिका लाल हत्याकांड से बरी कर दिया गया. इस बात से जनता का गुस्सा भड़क गया. जबरदस्त दबाव के बाद अभियोजन पक्ष ने फिर अदालत में अपील दायर की. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कार्रवाई करते हुए फास्ट ट्रैक पर दैनिक सुनवाई की. 25 दिनों तक केस चला और मनु शर्मा को जेसिका लाल की हत्या का दोषी करार दिया गया. इसके बाद 20 दिसंबर 2006 के दिन मनु शर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. तभी से मनु शर्मा जेल में बंद था.

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2009 में मिली थी पैरोल

हत्या का दोषी ठहराए जाने के बाद मनु शर्मा दस साल से तिहाड़ जेल में बंद था. इस दौरान उसने कई बार पैरोल के लिए आवेदन किया. जिसके चलते 24 सितंबर 2009 को मनु शर्मा को पैरोल मिल गई और उसे एक महीने के लिए छोड़ा गया. ये पैरोल मनु शर्मा को उसकी दादी के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए दी गई थी. बाद में उसके आवेदन पर दिल्ली सरकार ने पैरोल की अवधि एक महीना और बढ़ा दी थी. लेकिन इसी दौरान मनु शर्मा दिल्ली के एक डिस्कोथेक में देखा गया. ये खबर मीडिया में छा गई. मनु ने पैरोल नियमों को तोड़ा तो दिल्ली सरकार की काफी फजीहत हुई. इसके बाद उसे वापस जेल जाना पड़ा.

2012 में मिली थी फरलो

वर्ष 2010 में तिहाड़ जेल में फरलो की सुविधा लागू तो की गई लेकिन फांसी और आजीवन कारावास पाने वाले कैदियों को इस सुविधा से दूर रखा गया. हत्यांकाड में उम्रकैद की सजा काट रहे मनु शर्मा को फरलो के बारे में जानकारी मिली और उसने अपने वकीलों का माध्यम से फरलो के लिए आवेदन किया. मगर उपरोक्त कारण के चलते उस वक्त मनु शर्मा को फरलो नहीं मिली. साल 2012 में 7 सितंबर को मनु शर्मा ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. जिसमें उसने कहा कि 19 महीने से उसके फरलो आवदेन पर विचार नहीं किया जा रहा है. इसके बाद कोर्ट ने सरकार से 17 सितंबर 2012 तक अपना जवाब देने को कहा. इसके बाद सरकार हरकत में आई. रिपोर्ट मांगी गई.

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जेल में रहते वक्त मनु शर्मा का आचरण ठीक रहा. यही वो साल था, उसका फरलो आवेदन तिहाड़ जेल प्रशासन ने स्वीकृत कर लिया और सितंबर 2012 में उसे एक सप्ताह के लिए फरलो दिया गया. यह पहला मौका था, जब मनु शर्मा को फरलो की सुविधा दी गई थी. इससे पहले बड़े अपराधों में शामिल कैदियों को फरलो नहीं दी जाती थी. मनु शर्मा को फरलो पर तिहाड़ जेल से 29 सितंबर को बाहर निकला गया और 7 अक्टूबर को उसकी जेल में वापसी हुई.

2014 में पढ़ाई के लिए मिली पैरोल

जेल में सजा काट रहे मनु शर्मा ने मानवाधिकार की पढ़ाई की. उसने मास्टर डिग्री हासिल की थी. परीक्षा के लिए दिसंबर 2014 में उसे पैरोल मिली थी. दरअसल, मनु जेल में कैदियों को पेंटिंग सिखाता था. कैदियों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाता था. इसी आधार पर उसे पैरोल मिली थी. मनु ने जेल में रहते हुए कैदियों के सुधार की दिशा काम भी किया था. व्यवहार ठीक होने के कारण उसे पैरोल मिलती रही.

शादी के लिए 2015 में मिली थी पैरोल

सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को भी शादी करने की छूट प्रदान की. इसी के तहत मनु शर्मा ने भी जेल में रहते हुए शादी रचाई. अप्रैल 2015 में मनु को शादी करने के लिए पैरोल मिली थी. 22 अप्रैल 2015 को चंडीगढ़ में उसकी शादी हुई थी. दोनों ने प्रेम विवाह किया था. लड़की के परिजन मुंबई से चंडीगढ़ आए थे. इस शादी में कुछ ही लोग शामिल हुए थे. मनु शर्मा के जीजा रजनीश कुमार, विनोद शर्मा के भाई श्याम सुंदर शर्मा, कार्तिक शर्मा, बहन डॉ प्राची शेट्टी और जीजा राजे शेट्टी आदि इन लोगों में शामिल थे. इससे कुछ माह पहले भी मनु को अपने छोटे भाई शादी के लिए एक सप्ताह की पैरोल मिली थी.

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क्या है फरलो

फरलो पैरोल की तरह ही होता है. सजायाफ्ता कैदी को एक साल में तीन बार कुल सात सप्ताह के लिए फरलो दी जा सकती है. इसमें शर्त यह होती है कि कैदी कम से कम तीन साल की सजा काट चुका हो. जेल में उसका आचरण अच्छा हो. फरलो के आवेदन पर विचार करने का अधिकार जेल महानिदेशक को होता है. जबकि पैरोल में यह अधिकार सरकार और कोर्ट के पास होता है. जेल अधिकारियों के मुताबिक पहले हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, दुष्कर्म, वसूली और आपराधिक प्रवृत्ति के कैदियों को यह सुविधा नहीं मिलती थी. बाद में फरलो के नियमों में कुछ बदलाव किए गए थे. तभी मनु को इसका लाभ मिला था.

क्या है पैरोल

जेल में बंद किसी भी कैदी को आपातकालीन स्थिति या विशेष परिस्थितियों में अल्प समय के लिए जेल रिहा किए जाने की प्रक्रिया पैरोल कहलाती है. इसमें कैदी से जुड़े हालात का जायजा लिया जाता है. उसके आचरण को भी देखा जाता है. पैरोल देने का अधिकार सरकार या कोर्ट के पास होता है. जबकि किसी कैदी को फरलो दिए जाने का अधिकार जेल महानिदेशक के पास होता है.

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