14 साल जेल में, 15 साल बाद सजा और 78 दिनों में रिहाई... हैरान कर देगी सौम्या विश्वनाथन के कातिलों की ये कहानी

ये अजीब अंजाम है उन खूंखार क़ातिलों का, जिन्होंने सिर्फ लूटपाट और मज़े के लिए दफ्तर से घर लौटती एक बेगुनाह लड़की को बीच सड़क पर गोली से उड़ा दिया. कातिल लूटपाट के इरादे से तो दिल्ली की सड़कों पर घूम ही रहे थे, लेकिन जब उन्हें कार में एक अकेली लड़की दिखाई दी, तो अपना निशाना चेक करने के लिए उनमें से एक ने गोली चलाई थी.

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सौम्या के कातिलों को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया है सौम्या के कातिलों को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया है

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:34 PM IST

पिछले साल नवंबर में दिल्ली की एक अदालत ने इंडिया टुडे की पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद उन चारों ने दिल्ली हाई कोर्ट में निचली अदालत के इस फैसले को चुनौती दे डाली. और अब दिल्ली हाई कोर्ट ने महज ढाई महीने पहले उम्रकैद की सजा पाने वाले उन चारों कातिलों को जमानत पर रिहा कर दिया. यकीनन ये मामला हैरान करने वाला है. चलिए आपको बताते हैं उन चारों के रिहा होने के वजह.  

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खूंखार क़ातिलों का अजीब अंजाम
ये अजीब अंजाम है उन खूंखार क़ातिलों का, जिन्होंने सिर्फ लूटपाट और मज़े के लिए दफ्तर से घर लौटती एक बेगुनाह लड़की को बीच सड़क पर गोली से उड़ा दिया. कातिल लूटपाट के इरादे से तो दिल्ली की सड़कों पर घूम ही रहे थे, लेकिन जब उन्हें अपनी कार से घर लौटती एक अकेली लड़की दिखाई दी, तो अपना निशाना चेक करने के लिए उनमें से एक ने गोली चलाई, जो सीधे लड़की के सिर में जा लगी. और इसी के साथ एक जिंदगी का अंत हो गया.

सौम्या के घरवालों को लगा झटका
मामला पत्रकार सौम्या विश्वनाथन का है, जिसके सभी के सभी चार कातिलों को अब दिल्ली हाई कोर्ट ने ये कहते हुए जमानत दे दी है कि वो फैसला आने से पहले ही 14 साल जेल में काट चुके हैं, ऐसे में जब तक उनकी सजा पर आखिरी फैसला नहीं हो जाता, उन्हें जमानत मिलनी चाहिए. कहने की जरूरत नहीं है कि ये फैसला सौम्या के घरवालों के लिए किसी झटके से कम नहीं है, जिन्होंने अपनी बेटी के कातिलों के लिए फांसी नहीं बल्कि उम्र कैद की सजा मांगी थी, ताकि वो पूरी उम्र जेल से बाहर न आ सके.

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ऐसे हुआ था सौम्या का मर्डर
सौम्या का 30 और 31 सितंबर 2008 की दरम्यानी रात को तब कत्ल हो गया था, जब वो दफ्तर से अपने घर लौट रही थी. तब वसंतकुंज के नेल्सन मंडेला मार्ग पर रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार ने सौम्या के सिर में गोली मार कर उसकी जान ले ली थी. कातिलों की ये टोली दिल्ली में लूटपाट के लिए घूम रही थी और इसी दौरान उन्हें सौम्या के तौर पर एक आसान शिकार मिल गया. 

जिगीशा की हत्या के साथ कबूली थी सौम्या के मर्डर की बात
इस मामले की तफ्तीश कर रही दिल्ली पुलिस करीब छह महीने तक अंधेरे में रही, लेकिन जब जिगीशा घोष नाम की एक और लड़की के कत्ल के मामले की जांच करते हुए पुलिस ने इस गैंग को पकड़ा और उनसे पूछताछ की, तो उन्होंने पहले सौम्या विश्वनाथन का कत्ल करने की बात भी कबूल कर ली. तब से लेकर अब से ठीक 78 दिन तक दिल्ली की साकेत कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चलती रही. 

पिछले साल मिली थी उम्रकैद की सजा
और आखिरकार अदालत ने 26 नवंबर 2023 को सौम्या के चारों मुल्जिमों रवि कपूर, अजय कुमार, बलजीत मलिक और अजय कुमार को गुनहगार पाते हुए उन्हें ताउम्र क़ैद यानी आजीवन कारावास की सजा सुनाई दी. बल्कि अदालत ने चारों दोषियों को यूपीएपीए और कत्ल के मामले में 25-25 साल की सजा सुनाई थी और दोनों सजाओं के अलग-अलग चलने की बात कही थी. यानी इस हिसाब से दोषियों को कम से कम 50 साल जेल में गुजारना था.

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14 साल जेल की सजा काट चुके हैं चारों दोषी
आरोपी लोअर कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे, जहां उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और मनोज जैन की पीठ ने पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा साथ ही पीठ ने चारों दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को उनकी याचिका पर फैसला न होने तक निलंबित कर दिया. क्योंकि चारों दोषी पहले ही 14 साल जेल में काट चुके हैं. ये हालत तब है, जब आजीवन कारावास की सही समय सीमा को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में की एक मामला लंबित है.

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