15 दिन, 14 मर्डर और 17 नाबालिग आरोपी... हर दिन कत्ल की एक वारदात से दहली दिल्ली, चाकू बना घातक हथियार

देश की राजधानी दिल्ली में अपराधी बेलगाम दिख रहे हैं. इस महीने के पहले 15 दिनों में यहां 14 हत्या की वारदातों को अंजाम दिया गया. जिनमें 17 नाबालिग भी शामिल पाए गए हैं. हैरानी की बात ये है कि अधिकतर वारदातों में हमलावरों ने चाकू का इस्तेमाल किया. इसकी वजह भी चौंकाने वाली है.

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हत्या की वारदातों में कई नाबालिग शामिल पाए गए हैं (फोटो-ITG) हत्या की वारदातों में कई नाबालिग शामिल पाए गए हैं (फोटो-ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST

Delhi Crime: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस महीने के पहले 15 दिनों के भीतर कम से कम 14 लोगों का कत्ल किया गया. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक ये घटनाएं अलग-अलग इलाकों में अंजाम दी गई. जिनके सिलसिले में केस दर्ज किए हैं. हत्या के मामलों की बढ़ती गिनती राजधानी की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है. इन वारदातों में न सिर्फ वयस्क बल्कि नाबालिग अपराधियों की भूमिका भी सामने आई है. इसके अलावा पुलिस जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. 

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17 नाबालिगों की संलिप्तता ने बढ़ाई चिंता
दिल्ली पुलिस के अनुसार इन 14 हत्याओं में कम से कम 17 नाबालिग आरोपी शामिल पाए गए हैं. कुछ मामलों में नाबालिग मुख्य आरोपी थे, जबकि कुछ में सहयोगी की भूमिका में थे. पुलिस अधिकारियों ने इसे बेहद गंभीर चिंता का विषय बताया है. कई मामलों में नाबालिगों ने सीधे तौर पर हमला किया. कहीं-कहीं उन्होंने घातक वार भी किए. यह रुझान पुलिस और समाज दोनों के लिए चुनौती बन गया है.

महिला और नाबालिग भी बने शिकार
हत्या के शिकार लोगों में एक महिला और एक नाबालिग भी शामिल है. इससे इन अपराधों की क्रूरता और संवेदनशीलता और बढ़ जाती है. पुलिस के मुताबिक पीड़ितों की उम्र और पृष्ठभूमि अलग-अलग रही. इससे साफ है कि हिंसा किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं है. परिवारों पर इसका गहरा मानसिक असर पड़ा है. कई मामलों में विवाद बेहद मामूली बातों से शुरू हुआ था.

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कई इलाकों में वारदातें
कत्ल की ये वारदातें राजधानी के रोहिणी, पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली जैसे इलाकों में हुईं हैं. अलग-अलग थाना क्षेत्रों में दर्ज इन मामलों ने पूरे शहर को चपेट में लिया है. पीटीआई के मुताबिक, पुलिस का कहना है कि अपराध का कोई एक हॉटस्पॉट नहीं है. लगभग हर हिस्से से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं. इससे राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं.

लेन-देन और लूट से जुड़े विवाद
पुलिस जांच में सामने आया कि कई हत्याएं पैसों के लेन-देन और लूट से जुड़ी थीं. कुछ मामलों में झपटमारी की कोशिश जानलेवा साबित हुई. कहीं लूट के दौरान पीड़ित ने विरोध किया और उसकी हत्या कर दी गई. आर्थिक तनाव और अपराध की मानसिकता इन मामलों में साफ दिखती है. कई आरोपी अचानक हिंसक और हमलावर हो उठे.

रिश्तों और पड़ोस के झगड़े
हत्या की कुछ घटनाएं निजी रिश्तों के विवाद से जुड़ी रहीं. वहीं कई मामले पड़ोस के झगड़ों से शुरू हुए, जिनमें सफाई जैसी छोटी बातों पर विवाद बढ़ गया. पुलिस का कहना है कि मामूली कहासुनी अचानक हिंसा में बदल गई. गुस्से और आवेश में लोगों ने घातक कदम उठा लिए. इन मामलों में पहले से किसी साजिश के संकेत नहीं मिले हैं.

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नाबालिगों की भूमिका
एक मामले में नाबालिगों ने बदले की भावना से हत्या की वारदात को अंजाम दे डाला. पुलिस के अनुसार, उन्हें बड़े अपराधियों ने पहले जबरन वसूली या चोरी के काम में धकेला था. बाद में उन्होंने उसी का बदला लिया. इस तरह नाबालिगों का अपराध की दुनिया में फंसना सामने आया. बड़े अपराधी उन्हें इस्तेमाल करते रहे. यह ट्रेंड बेहद खतरनाक माना जा रहा है.

कोई तय पैटर्न नहीं
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इन हत्याओं में कोई एक जैसा पैटर्न नहीं है. अधिकतर घटनाएं अचानक गुस्से या उकसावे में हुईं हैं. ये पूर्व नियोजित अपराध नहीं लगते. छोटी-छोटी बातों पर हालात बेकाबू हो गए. यही वजह है कि अपराध की प्रकृति अलग-अलग रही.

चाकू बना सबसे आसान हथियार
पुलिस के मुताबिक, 15 दिसंबर को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दो भाइयों की गोली मारकर हत्या किए जाने के अलावा बाकी सभी मामलों में हमले के लिए चाकू का इस्तेमाल हुआ. तेजधार हथियारों से वार कर हत्याएं की गईं. इस दौरान चाकू सबसे आम हथियार के तौर पर सामने आया है. इसकी वजह इसकी आसान उपलब्धता बताई गई है. इसे खरीदते समय शक भी नहीं होता.

अलग-अलग वर्गों से थे पीड़ित
हत्या के शिकार लोग अलग-अलग सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से थे. इनमें ऑटो रिक्शा चालक, दिहाड़ी मजदूर और कानून की पढ़ाई कर रहा एक प्रथम वर्ष का छात्र भी शामिल था. एक मंदिर के पुजारी की पत्नी भी पीड़ितों में शामिल थी. इससे साफ है कि हिंसा ने हर वर्ग को प्रभावित किया. कोई भी ऐसी वारदातों से अछूता नहीं रहा.

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नाबालिगों की सक्रिय भूमिका
पुलिस ने बताया कि कई मामलों में नाबालिग सिर्फ मौके पर मौजूद नहीं थे. उन्होंने हमले में सक्रिय भूमिका निभाई, कुछ मामलों में घातक चोटें भी नाबालिगों ने ही पहुंचाईं. यह तथ्य जांच अधिकारियों को खास तौर पर परेशान कर रहा है. इससे अपराध की दिशा और गंभीर हो जाती है.

किशोर न्याय कानून का फायदा?
अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा किशोर न्याय कानून के तहत नाबालिगों को वयस्कों जैसी सजा नहीं मिलती. इसका फायदा उठाकर अपराधी नाबालिगों को शामिल करते हैं. उन्हें पता होता है कि सजा अपेक्षाकृत कम होगी. हालांकि पुलिस ने यह भी साफ किया कि कानून का उद्देश्य सुधार है, सजा नहीं. फिर भी इसका दुरुपयोग हो रहा है.

कहां है कमी?
पुलिस ने तेजधार हथियारों की आसान उपलब्धता, निगरानी की कमी, नशे की लत और हिंसक माहौल को प्रमुख कारण बताया. अधिकारियों के अनुसार इस समस्या से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं. परिवार, स्कूल, कम्युनिटी पुलिसिंग और किशोर न्याय संस्थानों को साथ आना होगा. तभी नाबालिगों को अपराध की राह पर जाने से रोका जा सकेगा.

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