CrPC Section 18: जानिए, क्या है सीआरपीसी की धारा 18?

सीआरपीसी की धारा 18 विशेष महानगर मजिस्ट्रेट (Special Metropolitan Magistrate) और उसके न्यायलय (Court) के बारे में जानकारी देती है. आइए जानते हैं कि CrPC की धारा 18 (Section 18) क्या जानकारी देती है?

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CrPC की धारा 18 विशेष महानगर मजिस्ट्रेट के संबंध में है CrPC की धारा 18 विशेष महानगर मजिस्ट्रेट के संबंध में है

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 10:06 PM IST
  • SMM से है CrPC की धारा 18 का संबंध
  • नियुक्ति और तैनाती के बारे में बताती है धारा 18
  • 1974 में लागू हुई थी CrPC

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) यानी सीआरपीसी (CrPC) में कोर्ट और मजिस्ट्रेट से संबंधित जानकारी मिलती है. इसी प्रकार सीआरपीसी की धारा 18 विशेष महानगर मजिस्ट्रेट (Special Metropolitan Magistrate) और उसके न्यायलय (Court) के बारे में जानकारी देती है. आइए जानते हैं कि CrPC की धारा 18 (Section 18) क्या जानकारी देती है?

सीआरपीसी की धारा 18 (CrPC Section 18)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 18 (Section 18) हमें विशेष महानगर मजिस्ट्रेट के बारे में बताती है. 

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(1) अगर केंद्र (Central) या राज्य सरकार (State Government) उच्च न्यायालय (High Court) से ऐसा करने के लिए अनुरोध करती है तो हाई कोर्ट किसी व्यक्ति को जो सरकार के अधीन (Under government) कोई पद धारण करता है या जिसने कोई पद धारण किया है, अपनी स्थानीय अधिकारिता (Local jurisdiction) के भीतर किसी महानगर क्षेत्र (Metropolitan area) में विशेष मामलों के या विशेष वर्ग के मामलों के संबंध में महानगर मजिस्ट्रेट (Metropolitan Magistrate) को इस संहिता द्वारा या उसके अधीन प्रदत्त या प्रदत्त की जा सकने वाली सभी या कोई शक्तियां (Powers) प्रदत्त कर सकता है. लेकिन ऐसी कोई शक्ति किसी व्यक्ति को प्रदान नहीं की जाएगी, जब तक उसके पास विधिक मामलों के संबंध में ऐसी अर्हता (Qualification) या अनुभव (Experience) नहीं है जो उच्च न्यायालय, नियमों द्वारा विनिर्दिष्ट करे.  
 
(2) ऐसे मजिस्ट्रेट विशेष महानगर मजिस्ट्रेट (Special Metropolitan Magistrate) कहलाएंगे और एक समय में एक वर्ष से अनधिक की इतनी अवधि के लिए नियुक्त (Appoint) किए जाएंगे, जितनी उच्च न्यायालय (High Court), साधारण (General) या विशेष आदेश (Special order) द्वारा, निर्दिष्ट करे.

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(3) यथास्थिति, उच्च न्यायालय (High Court) या राज्य सरकार (State Government) किसी महानगर मजिस्ट्रेट (Metropolitan Magistrate) को, महानगर क्षेत्र ((Metropolitan Area) के बाहर किसी स्थानीय क्षेत्र में प्रथम वर्ग (First Class) के न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate) की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए सशक्त कर सकती है.

क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. दंड प्रिक्रिया संहिता यानी CrPC में 37 अध्याय हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं आती हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन भी किए गए है.

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