CrPC Section 190: जब मजिस्ट्रेट लेता है अपराध का संज्ञान, लागू होती है धारा 190

सीआरपीसी की धारा 190 के तहत मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान लेने के संबंध में प्रावधान किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 190 इस बारे में क्या बताती है?

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अपराधों का संज्ञान लेने से संबंधित है ये धारा अपराधों का संज्ञान लेने से संबंधित है ये धारा

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:12 PM IST
  • अपराधों का संज्ञान लेने से संबंधित है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) और पुलिस (Police) के लिए विभिन्न प्रकार के कानूनी प्रावधान (Legal provision) किए गए हैं. इसी प्रकार सीआरपीसी की धारा 190 के तहत मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान लेने के संबंध में प्रावधान किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 190 इस बारे में क्या बताती है?  
 
सीआरपीसी की धारा 190 (CrPC Section 190)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 190 में मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान लेने के संबंध में प्रावधान किया गया है. CrPC की धारा 190 के अनुसार-

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(1) इस अध्याय के उपबंधों के अधीन रहते हुए, कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट और उपधारा (2) के अधीन विशेषतया सशक्त किया गया कोई द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट, किसी भी अपराध का संज्ञान निम्नलिखित दशाओं में कर सकता है-

(क) उन तथ्यों का, जिनसे ऐसा अपराध बनता है परिवाद प्राप्त होने पर;

(ख) ऐसे तथ्यों के बारे में पुलिस रिपोर्ट पर,

(ग) पुलिस अधिकारी से भिन्न किसी व्यक्ति से प्राप्त इस इत्तिला पर या स्वयं अपनी इस जानकारी पर कि ऐसा अपराध किया गया है.

(2) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट को ऐसे अपराधों का, जिनकी जांच या विचारण करना उसकी क्षमता के अन्दर है, उपधारा (1) के अधीन संज्ञान करने के लिए सशक्त कर सकता है.

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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 
 
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

 

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