छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में गुरुवार को हुए IED ब्लास्ट में डिस्ट्रिक्ट फोर्स की महिला कांस्टेबल मुचाकी दुर्गा घायल हो गईं. ये घटना उस वक्त हुई जब गुरुवार दोपहर 1 बजे केरलापाल पुलिस स्टेशन की सीमा में बनाए गए गोगुंडा सिक्योरिटी कैंप से DRG और डिस्ट्रिक्ट फोर्स की एक संयुक्त टीम एरिया डोमिनेशन ऑपरेशन के तहत पहाड़ी जंगलों की तरफ आगे बढ़ रही थी.
इस ऑपरेशन के दौरान संयुक्त टीम जिस जंगली पहाड़ी इलाके में पहुंची, वहां नक्सलियों द्वारा दबाया गया एक प्रेशर इम्प्रूवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस सक्रिय अवस्था में मौजूद था. महिला कांस्टेबल मुचाकी दुर्गा अनजाने में इस IED के संपर्क में आ गईं और तेज धमाके के साथ विस्फोट हो गया. इस ब्लास्ट की चपेट में आने से उनके बाएं पैर में गंभीर चोट लग गई.
उनको तत्काल प्राथमिक उपचार शुरू कर दिया गया. इसके बाद बेहतर इलाज के लिए रायपुर एयरलिफ्ट किया गया. उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है, लेकिन चोट गहरी है. मेडिकल टीम लगातार निगरानी में रखे हुए है. बस्तर का यह इलाका वर्षों से नक्सली हमलों का गढ़ रहा है. सुरक्षा बलों की पेट्रोलिंग के दौरान इसी तरह का IED ब्लास्ट अक्सर सामने आता है.
माओवादी सड़कों, कच्ची पगडंडियों, नदी किनारों और जंगलों में सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रेशर IED लगाते हैं. इनका खतरा केवल पुलिस तक सीमित नहीं, बल्कि आम ग्रामीण भी कई बार इन बारूदी का शिकार बन जाते हैं. इस साल 9 जून में भी सुकमा जिले में एक बड़ा हादसा हुआ था, जब IED ब्लास्ट में एक पुलिस अफसर की मौत हो गई.
एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस आकाश राव गिरेपुंजे इस धमाके का शिकार हो गए. उनके साथ अन्य अधिकारी घायल हुए थे. केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है. लेकिन सुकमा जैसे इलाकों में लगातार सामने आ रहे ऐसे हमले साबित करते हैं कि आगे की राह अभी भी चुनौतीपूर्ण है. जंगलों में छिपे खतरे बने हुए हैं.
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