सीरिया पर कब्जा करने वाले 'विद्रोही गुट' हयात तहरीर अल-शाम की कहानी, जो बेहद घातक है!

Syria Civil War: सीरिया के विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने दावा किया कि राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं. सीरिया अब आज़ाद हो गया है. सीरिया पर कब्जे का दावा करने वाले विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम का गठन अल-नसरा फ्रंट के नाम से हुआ था.

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सीरियाई विद्रोही अलेप्पो के प्राचीन महल के सामने जश्न मनाते हुए. (AP Photo) सीरियाई विद्रोही अलेप्पो के प्राचीन महल के सामने जश्न मनाते हुए. (AP Photo)

आजतक ब्यूरो

  • दमिश्क,
  • 08 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:29 PM IST

सीरिया के विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने दावा किया कि राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं. सीरिया अब आज़ाद हो गया है. सीरिया पर कब्जे का दावा करने वाले विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम का गठन अल-नसरा फ्रंट के नाम से हुआ था. गठन के अगले साल ही संगठन ने अल-क़ायदा के प्रति अपनी निष्ठा रखने की कसम खाई. हालांकि, साल 2016 में अल नसरा ने अल-क़ायदा से अपने संबंध तोड़ लिए. एक साल बाद दूसरे विद्रोही गुटों में विलय के दौरान अपना नाम हयात तहरीर अल-शाम रख लिया.

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सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ लड़ रहे विद्रोहियों के सभी गुटों में हयात तहरीर अल-शाम ही सबसे घातक और असरदार रहा है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सीरिया में ऐसे तो कई विद्रोही गुट हैं, लेकिन तीन बड़े विद्रोही गुटों का प्रभाव अच्छा खासा इलाकों पर हैं, जिसमें हयात तहरीर अल-शाम के अलावा अमेरिकी समर्थित कुर्द विद्रोही गुट और तुर्किए समर्थित सीरियन नेशनल आर्मी शामिल है. उत्तर-पश्चिम इलाके में जहां तहरीर अल-शाम का प्रभुत्व है, वहीं उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में कुर्द नेतृत्व वाले सशस्त्र समूहों का नियंत्रण है. 

तुर्किए समर्थित विद्रोही गुट-जिन्हें सीरियन नेशनल आर्मी के तौर पर जाना जाता है, उनका उत्तर-पश्चिमी प्रांतों अलेप्पो और इदलिब के बड़े इलाके पर कब्जा है. सीरिया की सत्ता अपने हाथों में लेने का दावा करने वाले हयात तहरीर अल-शाम के चीफ अबू मोहम्मद अल-जुलानी हैं. वो पहले ही कह चुके थे कि उनका लक्ष्य सीरिया के राष्ट्रपति असद का तख्तापलट करना है. इसके साथ ही सीरिया में एक इस्लामी सरकार की स्थापना करना है. अब वो अपने लक्ष्य में कामयाब होते हुए भी दिख रहे हैं. 

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इधर, हयात तहरीर अल-शाम ने अपने टेलीग्राम चैनल पर बयान जारी कर कहा है कि देश में एक काले अध्याय का अंत हो गया है. नई शुरुआत हो रही है. विद्रोही गुट ने कहा कि बीते पांच दशकों से असद की सत्ता के कारण विस्थापित हुए लोग या वो लोग जिन्हें कैद कर रखा गया था, वो अब वापिस आ सकते हैं. विद्रोहियों का कहना है कि ये एक नया सीरिया होगा जहां हर कोई शांति से रह सकेगा. न्याय का शासन होगा.

इससे पहले समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दो वरिष्ठ सीरियाई अधिकारियों के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति बशर अल-असद दमिश्क से चले गए हैं, लेकिन ये साफ नहीं है कि वो कहां गए हैं. सीरिया सरकार का विरोध कर रहे विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने राजधानी दमिश्क में सेना मुख्यालय पर कब्जे का भी दावा किया है. रेडियो और टेलिविज़न मुख्यालयों को अपने नियंत्रण में लेने की बात कही है.

इससे पहले विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने सीरिया के दूसरे बड़े शहर अलेप्पो और तीसरे सबसे बड़े शहर होम्स पर कब्ज़ा कर लिया था. विद्रोही हमा और देरा शहर के अधिकांश हिस्सों पर भी कब्ज़ा जमाने में कामयाब रहे थे. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक साल 2011 में भी सीरिया के विद्रोही गुटों ने देश पर कब्जे की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब नहीं हो सकते थे. 

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ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय राष्ट्रपति बशर अल-असद की शासन को ताकतवर सहयोगी ईरान, रूस और लेबनान के हिज़्बुल्लाह से मदद मिली थी. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. अमेरिकी प्रतिबंध और इजरायल से तनाव के कारण ईरान की हालत जहां कमज़ोर हैं. वहीं लेबनान के हथियारबंद संगठन हिज़्बुल्लाह अंतिम सांसे ले रहा है. रूस खुद पिछले ढ़ाई साल से यूक्रेन जंग में उलझा हुआ है.

बताते चलें कि साल 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू हुआ था, लेकिन देखते ही देखते ये विद्रोह एक गृह युद्ध में तब्दील हो गया. इससे न केवल देश को तबाह कर दिया बल्कि जान माल का भी बड़ा नुकसान हुआ. इस जंग में अबतक 5 लाख से अधिक सीरियाई मारे जा चुके हैं. जबकि एक करोड़ 20 लाख विस्थापित हुए हैं. 

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