तमिलनाडु: जबरन धर्म परिवर्तन के बाद सुसाइड करने वाली लड़की का वीडियो सामने, हुए ये खुलासे

तमिलनाडु में आत्महत्या करने वाली लड़की का वीडियो सामने आया, जिसमें वह स्कूल द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए छात्रावास में काम करने के लिए मजबूर करने की शिकायत की, जिससे उसकी पढ़ाई डिस्टर्ब हुई.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रमोद माधव

  • चेन्नई,
  • 27 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST
  • लड़की ने जहर खाकर दे दी थी जान
  • अब सामने आया वीडियो, लगे कई आरोप

तमिलनाडु के तंजावुर में आत्महत्या करने वाली लड़की का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा रही है. लड़की ने अपने वीडियो में स्कूल द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए छात्रावास में काम करने के लिए मजबूर करने की शिकायत की, जिससे उसकी पढ़ाई डिस्टर्ब हुई.

वीडियो में लड़की का आरोप है कि वार्डन ने उससे बहीखाता का काम करवाया, हॉस्टल के गेट को खोलने और बंद करने के अलावा पानी के मोटर चालू और बंद करने का काम कराया गया. यह पूछे जाने पर कि क्या उसे स्कूल में बिंदी पहनने से रोका गया? लड़की ने जवाब दिया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

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लड़की ने खुलासा किया कि उसने 10वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और अच्छी तरह से पढ़ना चाहती थी. उसने आरोप लगाया कि उसे सौंपे गए काम के कारण वह अच्छी तरह से पढ़ाई नहीं कर पा रही थी. वीडियो में लड़की कहती है कि पारिवारिक मुद्दों के कारण उसने इस साल के अंत में स्कूल में दाखिला लिया था.

लड़की ने कहा, 'हॉस्टल में सिस्टर हमेशा मुझसे हिसाब मांगती है, मैंने उनसे कहा कि मैंने देर से ज्वाइन किया है और मैं इसे बाद में करूंगी, लेकिन वह समझी नहीं, उसने (सिस्टर) कहा कि काम खत्म करो और फिर दूसरे काम करो, अगर मैं इसे ठीक से करती भी थी, तो वह कहती कि यह गलत है और मुझसे दोबारा लिखवाती थी.

लड़की ने कहा, 'इस वजह से मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर सकी और कम नंबर आए, मैंने जहर पी लिया क्योंकि मैं इसे सहन नहीं कर सकता थी.' उसने कहा कि स्कूल ने उसे घर जाने दिया क्योंकि वह बीमार थी लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उसने जहर खा लिया है. उसने खुलासा किया कि सिस्टर का नाम समया मैरी था.

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स्कूल ने आरोपों से किया इनकार

लड़की का वीडियो सामने आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने सभी आरोपों से इनकार किया है. प्रबंधन ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि प्रबंधन ने कभी भी छात्रों की धार्मिक मान्यताओं में हस्तक्षेप नहीं किया. उन्होंने कहा कि हाशिए पर रहने वालों और शिक्षा से बच्चों को शिक्षित करने के एकमात्र उद्देश्य से 180 वर्षों से संस्था चला रहे हैं.

 

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