राजस्थान में इन दिनों कोरोना माहमारी के साथ बर्ड फ्लू का प्रकोप भी छाया हुआ है, जिसकी वजह से प्रदेश में सैकड़ों कौओं की मौत हो चुकी है और इस माहमारी को देखते हुए भरतपुर में स्थित विश्व विरासत राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में अलर्ट जारी कर दिया गया है. साथ ही टीम निगरानी के लिए लगा दी गयी है जिससे हर स्थिति से निपटा जा सके.
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के सहायक उप वन संरक्षक अभिषेक शर्मा ने बताया कि बर्ड फ्लू के चलते गाइडलाइन जारी हुई है उसके चलते एडवाइजरी जारी कर दी गई है जिससे पक्षियों में फैल रही बीमारी से निपटा जा सके. राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में तैनात कर्मचारियों की टीम गठित कर दी गई है जो उद्यान के अंदर सभी जगह निगरानी रखेंगे. यदि किसी भी पक्षी की मौत हुई तो तुरंत सूचित करेंगे जिससे इस बीमारी का आकलन कर काबू पाया जा सके. हालांकि, इससे पहले भी उद्यान के कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है और पशुपालन विभाग के साथ मिलकर बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए कार्य किया जा रहा है.
खासकर पक्षियों में बीमारी फैलने का ऐसा ही मामला वर्ष 2019 में भी आया था जब प्रदेश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील सांभर में देशी, विदेशी हजारों पक्षियों की अचानक मौत हो गयी थी. आज भी जब प्रदेश में बर्ड फ्लू का प्रकोप जारी है तब भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में अलर्ट जारी किया गया है. जहां नवंबर महीने से एशिया, यूरोप, साइबेरिया सहित कई देशों से माइग्रेटरी पक्षी यहां आते हैं जो मार्च महीने के शुरू में वापस अपने देशों को लौट जाते हैं. पार्क प्रशासन अलर्ट पर है और जगह-जगह टीम गठित कर मॉनिटरिंग की जा रही है. साथ ही सभी जगह पक्षियों पर निगाह रखी जा रही है.
केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान जयपुर आगरा नेशनल हाईवे पर स्थित है जो 19 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां नवंबर शुरू होते ही देश विदेशों से करीब 363 प्रकार की प्रजातियों के पक्षी आते हैं. जहां वे ब्रीडिंग करते हैं और बच्चे जन्म होते ही उनका पालन पोषण करते हैं और मार्च महीने के प्रारम्भ में जब गर्मी शुरू होती है तब वह सभी अपने देशों को वापस लौट जाते हैं.
इसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है. यहां मानसून और सर्दी के मौसम में यूरोप, एशिया, साइबेरियन सहित कई देशों से अप्रवासी पक्षी यहां आते हैं और ब्रीडिंग करते हैं और अंडे देते हैं. इसके बाद जैसे-जैसे यहां तापमान बढ़ता जाता है उसके बाद मार्च के महीने से क्षियों का अपने देशों को वापस जाने का दौर शुरू हो जाता है. इन पक्षियों को निहारने के लिए यहां देश-विदेशों से हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं जिससे बर्ड सैंक्चुअरी की आमदनी होती है.
केवलादेव पक्षी उद्यान को 1982 में राष्ट्रीय पक्षी उद्यान की सूची में सम्मलित कर लिया था. बाद में, यूनेस्को ने 1985 में इसे विश्व विरासत की सूची में सम्मलित कर लिया था लेकिन पानी की कमी के चलते पार्क को यूनेस्को ने इसे 2008 में डेंजर जोन में डाल दिया था. उसके बाद पार्क में करौली के पांचना बांध से पानी मिलने और बारिश होने के बाद पानी की पूर्ती के बाद यह डेंजर जोन से बाहर निकला है.
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सुरेश फौजदार