केरल पुलिस के एक अफसर की एक शर्मनाक हरकत सामने आई है, जिसने खाकी को दागदार कर दिया है. वटकारा के डिप्टी SP ए. उमेश को गंभीर आरोपों के आधार पर तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है. ये मामला उस समय सुर्खियों में आया जब प्रॉस्टिट्यूशन केस में पकड़ी गई एक महिला ने आरोप लगाया कि पुलिस अफसर ने उसका यौन शोषण किया और इस रैकेट से जुड़े लोगों से रिश्वत भी ली.
जानकारी के मुताबिक, यह कार्रवाई राज्य पुलिस चीफ की सिफारिश पर की गई है. यह भी साफ हुआ कि यह कोई मामूली शिकायत नहीं, बल्कि पुलिस महकमे के भीतर लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार की परतें खोलने वाला है. विभागीय जांच ने डिप्टी SP की करतूतों का खुलासा कर दिया. ए. उमेश पलक्कड़ के वडक्केनचेरी थाने में पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में तैनात थे. उस वक्त प्रॉस्टिट्यूशन रैकेट का खुलासा हुआ था.
इस रैकेट में शामिल एक महिला को पकड़ा गया था. आरोप है कि पुलिस अफसर ने न सिर्फ उसका शोषण किया, बल्कि रैकेट से जुड़े लोगों से रिश्वत लेकर अपने पद का खुला दुरुपयोग किया. यह व्यवहार न सिर्फ अपराध है, बल्कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से अपेक्षित अनुशासन और नैतिकता के बिल्कुल विपरीत है. इसी बीच चेरपुलस्सेरी थाना के SHO बीनू थॉमस ने 15 नवंबर को आत्महत्या कर ली.
SHO के सुसाइड नोट ने पूरी जांच की दिशा बदल दी. उसमें कई ऐसे संकेत थे, जिनसे विभाग के भीतर अनुशासनहीनता और गैरकानूनी गतिविधियों की ओर इशारा मिलता था. इस नोट के सामने आते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया और पूरे केस की गहन जांच शुरू की गई. डिप्टी SP का नाम भी इसी दौरान सामने आया. विभागीय जांच की रिपोर्ट में उनके खिलाफ कई ठोस सबूत सामने आए.
रविवार को जारी आदेश में कहा गया कि पहली नजर में डिप्टी SP के खिलाफ गंभीर आरोप, घोर अनुशासनहीनता और पद के दुरुपयोग के सबूत मिले हैं. इस हालात में ए. उमेश को तुरंत सर्विस से सस्पेंड किया जाता है और आगे की डिसिप्लिनरी कार्रवाई पेंडिंग रहेगी. पुलिस चीफ को एक ऐसे पैनल की लिस्ट सौंपने के निर्देश भी दिए गए हैं, जिसमें जांच अधिकारी के तौर पर निष्पक्ष अफसरों के नाम शामिल हों.
सरकार ने साफ कर दिया है कि यह मामला सिर्फ एक अधिकारी का नहीं, बल्कि पुलिस बल की छवि से जुड़ा मुद्दा है. इसलिए कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा. एक सीनियर अधिकारी के ऐसे कृत्य ने विभाग के भीतर नैतिक गिरावट की गहराई को उजागर कर दिया है. यह मामला न सिर्फ एक अधिकारी के अपराध का है, बल्कि उस भरोसे का भी है जो आम जनता पुलिस पर करती है.
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