बिहार में NIA का बड़ा एक्शन.. फुलवारीशरीफ साजिश केस में PFI का प्रदेश अध्यक्ष गिरफ्तार

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के बिहार प्रदेश अध्यक्ष महबूब आलम नदवी को गिरफ्तार किया. यह गिरफ्तारी 2022 के फुलवारीशरीफ आपराधिक साजिश मामले से जुड़ी है. इसमें एनआईए ने पहले ही कई बड़े चेहरों को बेनकाब किया है.

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बिहार के किशनगंज में दबोचा गया इस केस का अहम आरोपी महबूब आलम नदवी. (Photo: ITG) बिहार के किशनगंज में दबोचा गया इस केस का अहम आरोपी महबूब आलम नदवी. (Photo: ITG)

अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली ,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:56 PM IST

साल 2022 के फुलवारीशरीफ आपराधिक साजिश मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष महबूब आलम नदवी को गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब जांच एजेंसी पहले से ही इस मामले में कई अहम आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है.

गिरफ्तार किया गया आरोपी महबूब आलम उर्फ महबूब आलम नदवी बिहार के जिला कटिहार के हसनगंज क्षेत्र का रहने वाला है. एनआईए ने उसे किशनगंज से दबोचा. वो इस केस में गिरफ्तार और आरोपपत्र दाखिल किए जाने वाला अहम आरोपी है. इस मामले में शुरूआती केस स्थानीय पुलिस ने दर्ज किया था. इसमें 26 लोगों को आरोपी बनाया गया था.

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एनआईए ने बताया कि ये मामला आरसी-31/2022/एनआईए/डीएलआई के तहत दर्ज है. इस केस में पीएफआई सहयोगियों पर गैरकानूनी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप है. एजेंसी का कहना है कि आरोपी धार्मिक दुश्मनी फैलाकर समाज में आतंक का माहौल तैयार कर रहे थे. उनकी साजिश का मकसद सार्वजनिक शांति को भंग करना था. 

इस मामले में सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब 11 जुलाई 2022 को पटना के फुलवारीशरीफ इलाके के अहमद पैलेस से एक गुप्त दस्तावेज बरामद किया गया. इसका शीर्षक था, "भारत 2047 इस्लाम के शासन की ओर भारत, आंतरिक दस्तावेज: प्रसार के लिए नहीं". इस विजन डॉक्यूमेंट में पीएफआई की साजिश का खाका साफ-साफ दर्ज था. 

एनआईए की जांच के अनुसार, महबूब आलम इसी खतरनाक साजिश का हिस्सा था. एजेंसी का कहना है कि आलम न केवल पीएफआई की विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम कर रहा था, बल्कि भर्ती, प्रशिक्षण, बैठकों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से शामिल था. उसने सह-आरोपियों और पीएफआई कार्यकर्ताओं के लिए धन जुटाया था.

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महबूब आलम की भूमिका संगठन की साजिश को जमीन पर उतारने में बेहद अहम रही. एनआईए ने यह भी साफ किया है कि पीएफआई के सदस्य भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने की ख्वाहिश रखते थे. इसके लिए हर स्तर पर योजना बनाई गई थी. आरोपियों ने आपराधिक बल प्रयोग को भी उचित ठहराया. लोगों के बीच भय का माहौल बनाया. 

एजेंसी का कहना है कि यही रणनीति पीएफआई के जब्त किए गए दस्तावेजों से भी साबित होती है. फुलवारीशरीफ आपराधिक साजिश केस की जाच अब आईपीसी और यूए(पी) अधिनियम के तहत जारी है. आलम की गिरफ्तारी एक बड़ी सफलता है, क्योंकि अब एनआईए के पास पीएफआई की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी जुटाने का अवसर मिलेगा.

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