मथुरा में अवैध रूप से रह रहे हैं रोहिंग्या और बांग्लादेशी... दावे को यूपी पुलिस ने इस दलील के साथ किया खारिज

उत्तर प्रदेश के मथुरा में पुलिस का कहना है कि यहां कोई भी रोहिंग्या या बांग्लादेशी अप्रवासी अवैध रूप से नहीं रह रहा है. पुलिस ने उन दावों को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यहां के स्क्रैप डीलर (मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय) उन्हें शरण दे रहे हैं.

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मथुरा में पुलिस का कहना है कि यहां कोई भी रोहिंग्या या बांग्लादेशी अप्रवासी अवैध रूप से नहीं रह रहा है. मथुरा में पुलिस का कहना है कि यहां कोई भी रोहिंग्या या बांग्लादेशी अप्रवासी अवैध रूप से नहीं रह रहा है.

aajtak.in

  • मथुरा ,
  • 28 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 7:21 PM IST

उत्तर प्रदेश के मथुरा में पुलिस का कहना है कि यहां कोई भी रोहिंग्या या बांग्लादेशी अप्रवासी अवैध रूप से नहीं रह रहा है. पुलिस ने उन दावों को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यहां के स्क्रैप डीलर (मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय) उन्हें शरण दे रहे हैं. पुलिस की ओर से यह प्रतिक्रिया तब आई जब श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में दो याचिकाकर्ताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अवैध अप्रवासियों और स्क्रैप व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

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गोवर्धन निवासी दिनेश कौशिक ने आरोप लगाया कि ये प्रवासी दिन में कूड़ा बीनने का काम करते हैं और रात में चोरी और डकैती जैसे विभिन्न अपराधों में शामिल होते हैं. उन्होंने दावा किया कि राज्य के सभी जिलों में अवैध घुसपैठिए मौजूद हैं. उन्होंने मांग की है कि उन्हें देश से बाहर निकाला जाए. उनका दावा किया कि पुलिस निरीक्षण के दौरान स्क्रैप व्यापारी इन प्रवासियों को अपने गोदामों में छिपा लेते हैं. उनकी मदद से अपना कारोबार चलाते रहते हैं. वृंदावन के कई संतों ने इस मांग को अपना समर्थन दिया है.

एक अन्य याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी ने अपने पत्र में दावा किया कि राज्य भर में अधिकांश कबाड़ व्यवसाय मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा संचालित किए जाते हैं, जो अपने संरक्षण में अवैध प्रवासियों को रोजगार देते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इन व्यक्तियों के पास फर्जी आधार कार्ड हैं, जिससे उन्हें राशन आपूर्ति जैसे सरकारी संसाधनों तक पहुंच मिलती है. वोट बैंक की राजनीति के तहत उन्हें समर्थन मिलता है. हालांकि, मथुरा के पुलिस अधिकारियों ने इन सभी आरोपों का सिरे से खंडन कर दिया है.

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पुलिस ने कहा कि वर्तमान में जिले में कोई भी अवैध रूप से रहने वाला रोहिंग्या या बांग्लादेशी प्रवासी नहीं है. कुछ महीने पहले जैंत क्षेत्र में करीब एक दर्जन रोहिंग्या रहते पाए गए थे, लेकिन उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई थी. एक पुलिस अधिकारी ने कहा ये व्यक्ति शरणार्थी परमिट के तहत रहने वाले रोहिंग्या मुसलमान थे. जब उनके परमिट की अवधि समाप्त हो गई, तो कानूनी कार्रवाई शुरू की गई. उन्हें जेल भेज दिया गया. उनमें से कुछ अभी भी जेल में हैं, जबकि अन्य जमानत पर बाहर हैं.

यह भी दावा किया गया कि हाल के वर्षों में जिले में अवैध रूप से रह रहे 135 बांग्लादेशी नागरिकों को अदालत ने सजा सुनाई है. उन्हें बाद में बांग्लादेश भेज दिया गया. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) श्लोक कुमार ने कहा, "मुझे (मुख्यमंत्री को भेजे गए किसी पत्र के संबंध में) कोई जानकारी नहीं है. इस बारे में किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया है और न ही कोई औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है. मेरी जानकारी के अनुसार जिले में अवैध रोहिंग्या या बांग्लादेशी घुसपैठ की कोई रिपोर्ट नहीं है.''

इसके अलावा वृंदावन के कई धार्मिक नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है. महामंडलेश्वर रामदास महाराज ने कहा, "अवैध मुस्लिम प्रवासियों को बाहर निकाला जाना चाहिए और संतों को जरूरत पड़ने पर कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए." राम की दासी युगेश्वरी देवी ने कहा, "अवैध रोहिंग्या हमारे देश को नरक बनाने की कोशिश कर रहे हैं." देवी मीरा किशोरी ने मांग की है कि सभी अवैध मुस्लिम प्रवासियों को देश से बाहर निकाला जाना चाहिए. वैसे पूरे देश में इनके खिलाफ कार्रवाई चल रही है.

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