ड्रग्स तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मुंबई पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. पुलिस ने कर्नाटक के मैसूर शहर में छापेमारी कर एक अवैध मेफेड्रोन निर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया है. इस ऑपरेशन में 192 किलोग्राम मेफेड्रोन जब्त किया गया है. इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित कीमत करीब 390 करोड़ रुपए बताई जा रही है. इस मामले में अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से पांच आरोपी मुंबई के रहने वाले हैं.
पुलिस उपायुक्त दत्ता नलावडे ने सोमवार को बताया कि इस रैकेट की जांच की शुरुआत अप्रैल 2024 में हुई थी, जब मुंबई के साकीनाका इलाके में एक व्यक्ति को 52 ग्राम मेफेड्रोन के साथ पकड़ा गया था. पूछताछ के दौरान आरोपी ने पुलिस को एक बड़े ड्रग्स नेटवर्क की जानकारी दी. इसके बाद एक के बाद एक कड़ियां जुड़ती गईं और तीन और लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनसे 4.53 किलोग्राम मेफेड्रोन बरामद किया गया, जिसकी कीमत 8 करोड़ रुपए थी.
पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाते हुए 25 जुलाई को बांद्रा रिक्लेमेशन से सलीम इम्तियाज शेख उर्फ सलीम लांडगा (45) को गिरफ्तार किया. पूछताछ में शेख ने मैसूर में एक ऐसे ठिकाने का खुलासा किया, जो बाहर से एक होटल और गैरेज जैसा दिखाई देता था, लेकिन अंदर एक पूरी ड्रग्स फैक्ट्री संचालित हो रही थी. इस फैक्ट्री में तैयार मेफेड्रोन मुंबई और उसके आसपास के जिलों में सप्लाई किया जा रहा था. 26 जुलाई को मैसूर में की गई छापेमारी में तीन और लोगों को गिरफ्तार किया गया.
इस प्रकार अब तक इस मामले में कुल आठ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. डीसीपी के मुताबिक, यह एक सुनियोजित और संगठित ड्रग्स नेटवर्क है. इसकी जड़ें मुंबई से लेकर कर्नाटक तक फैली हुई हैं. पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपियों को मेफेड्रोन तैयार करने का फार्मूला कहां से मिला और नेटवर्क का फाइनेंशियल सपोर्ट कैसे हो रहा था. पुलिस का मानना है कि इस सिंडिकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं. आगे की जांच में अतिरिक्त गिरफ्तारियां संभव हैं.
सभी आरोपियों के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क के वित्तीय लेनदेन, सप्लाई चैन और अंतरराज्यीय कनेक्शन की परत-दर-परत पड़ताल कर रही है. मुंबई और मैसूर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई को अब तक की सबसे बड़ी सिंथेटिक ड्रग्स सीज़र में से एक माना जा रहा है. यह ऑपरेशन दिखाता है कि देश में फैले ड्रग्स माफिया के खिलाफ लड़ाई में पुलिस की सतर्कता कितनी निर्णायक हो सकती है.
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