उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक ऐसे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ, जिसके बारे में शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा. गाजियाबाद के कवि नगर इलाके में हर्षवर्धन जैन नाम का एक कारोबारी अपनी कोठी में फर्जी दूतावास चला रहा था. आरोपी खुद को वेस्ट आर्टिका और सेबोर्गा जैसे कई देशों का राजदूत बताता था. यूपी एसटीएफ की छापेमारी के दौरान इस रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है.
पिता राजस्थान के बड़े मार्बल कारोबारी
एसटीएफ ने आरोपी हर्षवर्धन की कोठी से डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगी कई लग्जरी गाड़ियां बरामद की हैं. साथ ही भारी मात्रा में कैश और फर्जी मुहरें भी जब्त की गई हैं. हर्षवर्धन ने लंदन के 'कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस' से MBA की डिग्री ली थी. इसके अलावा उसने गाजियाबाद के ITS कॉलेज से भी एमबीए कर रखा था.
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फर्जी दूतावास मामले में आरोपी हर्षवर्धन मजबूत पारिवारिक पृष्ठभूमि से आता था. उसके पिता की गिनती प्रभावशाली कारोबारियों में होती थी और वह राजस्थान में मार्बल माइंस के मालिक थे. हर्षवर्धन के पिता की मौत के बाद बिजनेस में उसे काफी नुकसान हुआ. 2000 के दशक में आरोपी की मुलाकात गाजियाबाद में विवादित धर्मगुरु चंद्रास्वामी से हुई. चंद्रास्वामी ने ही हर्षवर्धन को लंदन भेजा, जहां उसने कई कंपनियों की शुरुआत की.
विदेश में नौकरी का सपना दिखाकर ठगी
जांच एजेंसियों के मुताबिक चंद्रास्वामी ने ब्लैक मनी छुपाने के लिए हर्षवर्धन से कंपनियां खुलवाई थीं. धीरे-धीरे उसका साम्राज्य बढ़ता गया और हर्षवर्धन ने अपने राजनयिक संबंधों का फायदा उठाया, साथ ही विदेश में नौकरी और वीजा का झांसा देकर लोगों को ठगने लगा. उस पर हवाला लेनदेन, धोखाधड़ी और दलाली में शामिल होने के भी आरोप हैं.
एसटीएफ के SSP सुशील घुले ने बताया कि हर्षवर्धन जैन लोगों को विदेश में नौकरी और संपर्क का झूठा वादा करके उन्हें फंसा रहा था. उन्होंने आगे बताया कि उसका मकसद इन फर्जी पहचानों का इस्तेमाल दलाली करने, विदेशों में नौकरी दिलाने का दावा करने और फर्जी कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट चलाने के लिए करना था.
कोठी से कैश और फर्जी नंबर प्लेट जब्त
एसटीएफ के मुताबिक ने सेबोर्गा, पोल्बिया और लोडोनिया जैसे अंजान स्वघोषित देशों से जुड़कर उसने खुद को एक राजनयिक व्यक्ति के रूप में पेश किया था. ये ऐसे छोटे देश हैं जिनकी कोई कानूनी अंतरराष्ट्रीय मान्यता तक नहीं है. उसने अपनी विश्वसनीयता बनाने और लोगों को धोखाधड़ी वाली नौकरी और बिजनेस डील में फंसाने के लिए 'राजदूत' और 'सलाहकार' जैसे फर्जी पदों का इस्तेमाल किया.
गाजियाबाद में हर्षवर्धन की कोठी पर अलग-अलग देशों के झंडे लगाए जाते थे, ताकि उसका दबदबा बना रहे. साथ ही खुद को राजदूत दिखाने के लिए वह नकली राजनयिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियां इस्तेमाल करता था. उसने बिना इजाजत के नकली राजनयिक और प्रेस कार्ड भी जारी किए थे और कोठी से कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला से जुड़ा रैकेट चलाता था.
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छापेमारी के दौरान एसटीएफ ने फर्जी राजनयिक सामान बरामद किया, जिसमें राजनयिक नंबर प्लेट वाली चार लग्जरी कारें, माइक्रोनेशन के बारह राजनयिक पासपोर्ट, विदेश मंत्रालय के जाली दस्तावेज, दो फर्जी पैन कार्ड, चौंतीस नकली मुहरें, दो फर्जी प्रेस कार्ड, 44.7 लाख रुपये नकद, विदेशी करेंसी और अठारह फर्जी राजनयिक नंबर प्लेटें शामिल हैं.
अरविंद ओझा