8 साल की बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या, महज 25 दिन में अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सजा

Firozabad Rape Case: एक फास्ट ट्रैक अदालत ने पिछले महीने आठ साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के मामले में अपराधी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत में फैसले में ये भी कहा है कि अंतिम सांस तक अपराधी को जेल की सलाखों के पीछे रखा जाएगा.

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बच्ची से बलात्कार और हत्या के मामले में अदालत का त्वरित फैसला. (Photo: Representational) बच्ची से बलात्कार और हत्या के मामले में अदालत का त्वरित फैसला. (Photo: Representational)

aajtak.in

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  • 31 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 8:23 PM IST

एक वक्त था जब इंसाफ की आस में अदालत जाने वाले लोगों की उम्र गुजर जाती थी, लेकिन उनके मामलों में फैसले नहीं मिल पाते थे. तारीख पर तारीख मिलती थी, लेकिन इंसाफ नसीब नही होता था. लेकिन समय के साथ न्याय प्रणाली में भी बदलाव आ रहा है. खासकर रेप केस में अदालतें कम से कम समय में अपना फैसला सुना रही हैं. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में सामने आया है.

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यहां एक फास्ट ट्रैक अदालत ने पिछले महीने आठ साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के मामले में अपराधी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत में फैसले में ये भी कहा है कि अंतिम सांस तक अपराधी को जेल की सलाखों के पीछे रखा जाएगा. विशेष न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट) मुमताज अली ने बुधवार को आरोपी कौशल को बच्ची से बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई.

विशेष न्यायाधीश ने अपराधी कौशल के पिता अर्जुन सिंह, माता राधा और भाई मनीष को भी इस मामले में मदद करने के लिए दोषी ठहराते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई है. यह घटना 18 जून को नारखी थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई थी. पीड़िता बच्ची अपनी नानी के घर गई हुई थी. इस दौरान कौशल उसे अपने घर ले गया. वहां उसने नाबालिग बच्ची को अपनी हवस का शिकार बना डाला.

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अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को बताया कि बलात्कार के बाद कौशल ने पीड़ित बच्ची की हत्या कर दी. उसके शव को ईंटों के नीचे दबा दिया. पीड़िता के परिवार ने इस संबंध में कौशल, अर्जुन, राधा और मनीष के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और पॉक्सो एक्ट तहत केस दर्ज कराया था. पुलिस ने शव बरामद करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

इसके बाद अदालत में 25 दिनों तक केस चला. इस दौरान अदालत के समक्ष नौ गवाह और साक्ष्य पेश किए गए. पुलिस की सक्रियता और अदालत की त्वरित सुनवाई की वजह से इस मामले में इतने कम दिनों में फैसला हो गया. इस तरह के फैसले किसी मिसाल से कम नहीं है, जो कि न्यायपालिका की प्रति लोगों के भरोसे को दोबारा कायम करने में मदद करते हैं.

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