धर्मस्थला केस: सुप्रीम कोर्ट ने गैग ऑर्डर के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

एक स्थानीय अदालत के एकपक्षीय अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर याचिका में उस निर्देश की वैधता पर सवाल उठाया गया है, जिसमें 390 मीडिया संस्थानों को धर्मस्थला दफन मामले से संबंधित लगभग 9,000 लिंक और खबरें हटाने का निर्देश दिया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पक्ष से कहा- पहले हाईकोर्ट जाएं (File Photo) सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पक्ष से कहा- पहले हाईकोर्ट जाएं (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 8:22 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक के धर्मस्थला निवासी धर्माधिकारी डी. वीरेंद्र हेगड़े के भाई से जुड़े मामलों पर मीडिया संस्थानों की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने वाले व्यापक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. यह आदेश राज्य के दक्षिण कन्नड़ जिले के धर्मस्थला में महिलाओं की हत्या की खबरों से संबंधित था.

एक स्थानीय अदालत के एकपक्षीय अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर याचिका में उस निर्देश की वैधता पर सवाल उठाया गया है, जिसमें 390 मीडिया संस्थानों को धर्मस्थला दफन मामले से संबंधित लगभग 9,000 लिंक और खबरें हटाने का निर्देश दिया गया था.

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मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया गया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आप पहले उच्च न्यायालय जाएं.'

कथित तौर पर यह आदेश श्री मंजूनाथस्वामी मंदिर संस्थाओं के सचिव हर्षेंद्र कुमार द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में पारित किया गया था. हर्षेंद्र कुमार ने ऑनलाइन कथित रूप से झूठी और अपमानजनक सामग्री के प्रसार पर प्रकाश डाला था, जबकि किसी भी प्राथमिकी में उनके या मंदिर अधिकारियों के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं थे.

हाल ही में, कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने ज़ोर देकर कहा कि धर्मस्थला में महिलाओं की कथित हत्या के संबंध में किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले गहन जांच होनी चाहिए. इससे पहले, राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था.

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धर्मस्थला मंदिर में दफ़नाने के मामले में धर्मस्थला के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के भाई हर्षेंद्र कुमार डी के खिलाफ किसी भी अपमानजनक सामग्री के प्रकाशन पर रोक लगाने वाले बेंगलुरु की अदालत के आदेश के खिलाफ यूट्यूब चैनल थर्ड आई ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.

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