पिछले महीने कथित गैंगरेप का शिकार होने वाली 19 साल की युवती के हड़बड़ी में कराए गए अंतिम संस्कार को 48 घंटे भी नहीं बीते कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बूलगढ़ी गांव को किले में तब्दील कर दिया गया. गांव के बाहर अपनी ड्यूटी को अंजाम देने के लिए पीड़ित युवती के परिजनों से मिलने जाने के लिए मशक्कत करते मीडियाकर्मियों का डेरा है और उन्हें रोकने के लिए गांव के चारों ओर पुलिसकर्मियों से बनी अभेद्य दीवार.
किसी को भी गांव में जाने की इजाजत नहीं है. बांस की बल्लियों और रस्सियों से गांव के चारों ओर अवरोध खड़े हैं. गांव के अंदर और बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी है. हर वक्त अवरोधों पर बड़ी संख्या में तैनात खाकीधारियों का एक ही मिशन लगता है कि किसी को भी गांव में घुसने नहीं दिया जाए.
शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को हाथरस में प्रवेश करने से यूपी पुलिस ने रोक दिया. उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस की धक्कामुक्की के विरोध में तृणमूल कांग्रेस का ये प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार के घर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर धरने पर बैठ गया.
अतिरिक्त एसपी प्रकाश कुमार ने कहा, “विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में कोई बाधा न आए, इसे रोकने के लिए किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं है. जैसे ही यह काम पूरा हो जाएगा, मीडिया को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी. मीडिया को रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं है. लेकिन राजनीतिक नेताओं को अनुमति नहीं दी जाएगी. ”
कड़ी सुरक्षा के बीच, पीड़ित के चचेरे भाइयों में से एक ने किसी तरह पुलिस की नजरों से बचते हुए गांव से बाहर आकर मीडियाकर्मियों से बात की. खेतों से छुपते-छुपाते बाहर आए इस शख्स ने शुक्रवार सुबह लगभग 11.30 बजे मीडियाकर्मियों को बताया, “यहां कुछ नहीं हो रहा है. हमारे फोन ले लिए गए हैं. किसी को भी अपने घरों के बाहर कदम रखने नहीं दिया जा रहा. मैं यहां तक छुपकर आया हूं. वे हमें कहीं जाने नहीं दे रहे. डीएम ने मेरे चाचा की छाती में लात मारी और एक कमरे में बंद कर दिया. उनके साथ ये बर्ताव तब किया गया जब उन्होंने मीडिया को बुलाने के लिए कहा था. वे बेहोश हैं.”
शुक्रवार सुबह आठ बजे तक हमारा एक रिपोर्टर पीड़िता के छोटे भाई संदीप कुमार के संपर्क में था. शुक्रवार सुबह संदीप ने रिपोर्टर से बात करते हुए कहा, "हर तरफ पुलिस ही पुलिस है. हम डर और धमकियों के बीच रह रहे हैं और हमारे फोन संभवत टैप किए जा रहे हैं.” इस बातचीत के बाद से ही संदीप का फोन स्विच्ड ऑफ आ रहा है.
गुरुवार शाम को संदीप ने कहा था, “हम जांच से संतुष्ट नहीं हैं. हम सीबीआई जांच चाहते हैं. मेरे पिता से जो बयान लिया गया कि ’मुझे जांच पर पूरा भरोसा है’ वो दबाव में था. पुलिस हमारे घर के अंदर है और छत पर भी. वे सब कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हैं.”
शुक्रवार सुबह एक पत्रकार ने गांव में घुसने की कोशिश की. उसने बताया, ''जब मैंने गांव की ओर जाने वाली एक सड़क पर जाने की कोशिश की तो पुलिस ने मुझे रोका. वहां से पीड़ित का घर 1.7 किलोमीटर था. पुलिस ने कहा कि एसआईटी अंदर है और मीडिया या गांव के बाहर के किसी भी व्यक्ति को गांव में घुसने से रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए गए हैं. ताकि एसआईटी की जांच में बाधा न आए. कुछ समय बाद, पुलिस ने कहा कि पीड़ित के परिवार की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिसकर्मियों में से तीन कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए और दो अन्य ने भी इसी तरह के लक्षणों की शिकायत की है.'' यूपी सरकार की ओर से गांव को कोविड कंटेनमेंट जोन घोषित किए जाने की संभावना है.
आजतक/इंडिया टुडे की एक एंकर को भी प्रशासन की धौंसपट्टी का शिकार होना पड़ा. एंकर चित्रा त्रिपाठी के मुताबिक, वह गांव के बाहर खड़ी थीं, तब एक अधिकारी आया और उन्हें धमकी देने लगा. चित्रा के मुताबिक, “अधिकारी ने कहा कि मैं गलत खबर दिखा रही हूं और अपना काम ठीक से नहीं कर रही हूं. अधिकारी के साथ एक दर्जन पुलिसकर्मी मौजूद थे, मेरा कैमरापर्सन वहां नहीं था, जिससे मैं उन क्षणों को कैमरे में कैद कर सकी.” घटना के तुरंत बाद, कैमरापर्सन पहुंचे और त्रिपाठी ने अधिकारी से फिर से पूछताछ की, लेकिन फिर उसने मुंह नहीं खोला.
गुरुवार को वायरल हुए एक अन्य वीडियो में, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकार को यह कहते हुए सुना गया: “आधा मीडिया आज जा चुका है, बाकी आधा कल तक चला जाएगा. केवल हम आपके साथ खड़े रहेंगे. यह आप पर निर्भर है कि आप अपना बयान बदलना चाहते हैं या नहीं.” घर के अंदर बंद पीड़ित युवती के परिजन से इंसाफ अभी बहुत दूर है. उन्हें अभी जो सामना करना पड़ रहा है, वो है सिर्फ डराना-धमकाना.
तनुश्री पांडे / अभिषेक आनंद