गुजरात पुलिस ने साइबर अपराध के इतिहास में एक बड़े नेटवर्क का खुलासा करते हुए 719 करोड़ रुपए के इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड मामले में बैंक स्टाफ समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यह कार्रवाई गांधीनगर स्थित साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तकनीकी जांच के आधार पर की गई है. इस मामले में अब तक 10 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं.
पुलिस के मुताबिक, यह गैंग देशभर में साइबर फ्रॉड के शिकार लोगों से ठगे गए पैसों को म्यूल बैंक अकाउंट में जमा कराता था. इसके बाद चेक निकासी, ऑनलाइन ऐप, क्रिप्टो ट्रांजैक्शन और अंगड़िया के ज़रिए रकम दुबई और चीन में बैठे साइबर सिंडिकेट के सदस्यों तक पहुंचाई जाती थी. इन आरोपियों के विदेशी साइबर गिरोहों से सीधे कनेक्शन भी सामने आए हैं.
इंडसइंड बैंक की भावनगर ब्रांच के 110 म्यूल बैंक अकाउंट में देशभर के 130 अलग-अलग पेयी अकाउंट से कुल 1447 मामलों में 719 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए. यही पैसा आगे इंटरनेशनल साइबर नेटवर्क तक पहुंचाया गया. पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इस गैंग ने देश के 26 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 1594 साइबर फ्रॉड को अंजाम दिया.
इनमें महाराष्ट्र में 300, तमिलनाडु में 203, कर्नाटक में 194, तेलंगाना में 128, गुजरात में 97, केरल में 91, उत्तर प्रदेश में 88, दिल्ली में 74, आंध्र प्रदेश में 64, पश्चिम बंगाल में 60, राजस्थान में 42 और अन्य राज्यों में 253 मामले दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में निवेश के नाम पर ठगी, डिजिटल फ्रॉड, UPI फ्रॉड, लोन फ्रॉड और विशिंग कॉल जैसे साइबर अपराध शामिल हैं.
आरोपी अलग-अलग तरीकों से लोगों को जाल में फंसाकर उनके खाते खाली कराते थे. गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से 30 से ज्यादा क्रिप्टो वॉलेट और 14 मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं. पुलिस का कहना है कि जब्त किए गए डिजिटल सबूतों की फॉरेंसिक जांच जारी है, जिससे इस नेटवर्क से जुड़े और बड़े खुलासे हो सकते हैं.
गुजरात पुलिस का दावा है कि तकनीकी विश्लेषण और ट्रांजैक्शन ट्रेल के ज़रिए इस पूरे नेटवर्क की परतें खोली गई हैं. अब इंटरनेशनल स्तर पर भी इस गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचने की तैयारी की जा रही है. यह कार्रवाई देशभर में फैले साइबर फ्रॉड नेटवर्क के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जांचों में से एक मानी जा रही है.
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