धर्मस्थल केस: फर्जी अधिकारी बनकर थाने पहुंचा पादरी, बड़ी साजिश का पर्दाफाश

धर्मस्थल कांड में एक सनसनीखेज फर्जीवाड़ा सामने आया है. एक पादरी और कुख्यात बदमाश ने खुद को मानवाधिकार आयोग का अधिकारी बताकर अफवाह फैलाने की साजिश रची. आरोप है कि इन दोनों ने धर्मस्थल के खिलाफ माहौल बिगाड़ने और धार्मिक सद्भाव को तोड़ने की कोशिश की है.

Advertisement
धर्मस्थल सामूहिक दफन मामले में अफवाह फैलाने की साजिश रची गई. (File Photo: ITG) धर्मस्थल सामूहिक दफन मामले में अफवाह फैलाने की साजिश रची गई. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • बेंगलुरु,
  • 07 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:26 PM IST

दक्षिण कन्नड़ जिले के धर्मस्थल सामूहिक दफन मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. यहां दो जालसाज खुद को कर्नाटक राज्य मानवाधिकार आयोग (केएसएचआरसी) का अधिकारी बताकर बेलथांगडी पुलिस स्टेशन में पहुंचे. दोनों में एक पादरी है, जबकि दूसरा एक कुख्यात बदमाश है. इन पर अफवाह फैलाने और धार्मिक माहौल खराब करने का आरोप है.

सूत्रों के मुताबिक, आरोपी बदमाश मदन बुगुडी हुबली का रहने वाला है. दूसरा आरोपी बेंगलुरु का निवासी है, जो डोड्डाबल्लापुरा स्थित एक चर्च में पादरी है. 31 अगस्त को तीन आरोपियों मदन बुगुडी, महेश शेट्टी थिमारोडी और गिरीश मट्टननवर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 204, 319(2) और 353(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था. 

Advertisement

आरोप है कि इन तीनों ने छद्म नाम का इस्तेमाल कर, धोखाधड़ी की और समाज में नफरत फैलाने के उद्देश्य से झूठी जानकारी फैलाई. महेश को हाल ही में दक्षिण कन्नड़ जिले से निष्कासित किया गया था. पुलिस के अनुसार, बेलथांगडी थाने के दौरे के दौरान मदन ने खुद को मानवाधिकार आयोग का अधिकारी बताया, लेकिन जांच में पता चला कि वो अपराधी है.

आरोपों में यह भी कहा गया है कि गिरीश मट्टननवर ने मदन बुगुडी के साथ मिलकर पत्रकारों से संपर्क किया. सामाजिक शांति और सद्भाव को बिगाड़ने, धर्मस्थल क्षेत्र के खिलाफ जनता को भड़काने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और आम जनता को धोखा देने की साजिश रची. यह विवाद तब भड़का जब सी.एन. चिन्नैया नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई.

उसने दावा कि धर्मस्थल में सामूहिक दफन हो रहे हैं. उसने कहा कि इनमें महिलाओं और लड़कियों के भी शव थे, जिन पर यौन उत्पीड़न के निशान भी मिले थे. इसमें मंदिर प्रशासक संलिप्त हैं. हालांकि, जब पुलिस ने साक्ष्य जुटाने शुरू किए, तो पाया गया कि शिकायत झूठे तथ्यों पर आधारित है. चिन्नैया को बाद में झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

Advertisement

इस विवाद पर राजनीतिक रंग भी चढ़ गया. भाजपा ने धर्मस्थल मंदिर को बदनाम करने की साजिश बताया. उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने साफ कहा कि यदि शिकायत झूठी पाई गई, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. मंजूनाथ स्वामी मंदिर के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े ने कहा, "हम पूरी पारदर्शिता से जांच चाहते हैं, ताकि सच्चाई सामने आए. धर्मस्थल की गरिमा बरकरार रहे."

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement