कर्नाटक के मंगलुरु के बहुचर्चित धर्मस्थल कांड में शनिवार देर शाम एक हैरतअंगेज मोड़ सामने आया. इस मामले का शिकायतकर्ता चिन्नैया अदालत में पूरी तरह पलट गया. उसने बेलथांगडी स्थित अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश और न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत में दर्ज कराए अपने बयान में स्वीकार किया कि उसने झूठे आरोप लगाए थे. बलात्कार, हत्या और शव दफनाने जैसी कहानियां उसने गढ़ी थीं.
अदालत में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 183 के तहत शिकायतकर्ता चिन्नैया का बयान दर्ज किया गया. वर्तमान में वह शिवमोग्गा जेल में बंद है. उसे भारी पुलिस सुरक्षा के बीच शनिवार सुबह अदालत लाया गया. उसकी पेशी कड़ी सुरक्षा और गोपनीयता के माहौल में हुई. इस केस की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उसे पहले ही झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.
चिन्नैया पर आरोप था कि उसने 11 जुलाई को अदालत की कार्यवाही के दौरान कई झूठे दावे किए थे. इनमें धर्मस्थल में दो दशक के दौरान हुए बलात्कार, हत्याएं और शवों को दफनाने जैसी गंभीर बातें शामिल थीं. लेकिन शनिवार को दिए गए स्वैच्छिक बयान में उसने मान लिया कि उसकी पिछली गवाही पूरी तरह झूठी थी. उसने अदालत को बताया कि यह सब बयान उसने कुछ व्यक्तियों के इशारे पर दिया था.
किसके कहने पर रची साजिश? पुलिस ने नाम नहीं बताए
हालांकि, तकनीकी कारणों से पुलिस उन व्यक्तियों के नाम फिलहाल उजागर नहीं कर सकी. अदालत में चिन्नैया ने यह भी खुलासा किया कि 11 जुलाई को उसने जो खोपड़ी सबूत के तौर पर पेश की थी, वह दरअसल सौजन्या के चाचा विट्ठल गौड़ा ने उसे सौंपी थी. यह तथ्य जांच एजेंसियों के लिए बेहद अहम है, क्योंकि अब तक खोपड़ी और नरकंकाल को इस केस का सबसे बड़ा सबूत माना जा रहा था.
मुख्य गवाह का पलटना केस की विश्वसनीयता पर चोट
एसआईटी अब इस पूरे मामले की नई दिशा में पड़ताल कर रही है. चिन्नैया की स्वीकारोक्ति के बाद जांच का दायरा और गहराई दोनों बढ़ गए हैं. पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह बयान न केवल धर्मस्थल केस बल्कि उससे जुड़े तमाम दावों पर गंभीर सवाल खड़े करता है. धर्मस्थल का यह विवाद लंबे समय से सुर्खियों में रहा है. लेकिन अब मुख्य गवाह का पलटना इस केस की विश्वसनीयता पर गहरी चोट है.
धर्मस्थल कांड पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने क्या कहा?
इससे पहले शनिवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने धर्मस्थल मामले पर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि सरकार का मकसद सच्चाई सामने लाना है. उन्होंने यह भी साफ किया कि जब तक एसआईटी रिपोर्ट सामने नहीं आती, तब तक इस पर कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं होगी. उपमुख्यमंत्री का यह बयान धर्मस्थल मंदिर के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के वक्तव्य के बाद आया.
धर्मस्थल मंदिर के धर्माधिकारी के बयान पर चुप क्यों हैं?
धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े ने शुक्रवार को सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा था कि एसआईटी के गठन के कारण अब इस मामले की सच्चाई सामने आ रही है. शिवकुमार ने कहा, "एसआईटी जांच रिपोर्ट आने दीजिए. मैंने हेगड़े का बयान देखा है. अंतिम रिपोर्ट आने तक इस मामले पर बोलने का कोई मतलब नहीं है. लोग राजनीतिक रूप से कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता.''
सुप्रीम कोर्ट ने धर्मस्थल की याचिका खारिज क्यों कर दी?
उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद राजनीति करना नहीं है, बल्कि लोगों को धर्मस्थल कांड से जुड़े सही तथ्यों से अवगत कराना है. उन्होंने कहा, "हमें पता है कि उन्होंने इसे जनहित याचिका बताकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालत ने उन्हें फटकार लगाकर वापस भेज दिया था. वे एक खोपड़ी भी दिल्ली ले गए थे. हमें इसकी जानकारी है. लेकिन सच जांच रिपोर्ट से ही सामने आएंगे."
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