दिल्लीः दो भाइयों की मौत पर चौंकाने वाला खुलासा, लॉकडाउन और कर्ज ने ली जान

कारोबारी अर्पित और अंकित गुप्ता की आर्थिक हालत नोटबंदी के बाद से खराब हो गई थी. इसके बाद दोनों भाइयों ने ओबीसी बैंक से बिजनेस लोन लिया था. मगर उसमें भी घाटा हो गया. बैंक वाले लोन चुकाने का दबाव बनाने लगे तो दोनों ने एक फाइनेंसर से कर्ज ले लिया था.

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अंकित और अर्पित को नोटबंदी के बाद से कारोबार में घाटा ही होता रहा अंकित और अर्पित को नोटबंदी के बाद से कारोबार में घाटा ही होता रहा

तनसीम हैदर

  • दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 9:05 PM IST
  • दिल्ली के चांदनी चौक में थी दुकान
  • कर्ज की वजह से रहते थे परेशान
  • लॉकडाउन ने बढ़ा दी थी परेशानी

दिल्ली के दिल चांदनी चौक में ज्वैलरी का कारोबार करने वाले दो भाइयों की आत्महत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. जिसके मुताबिक कुछ लेनदार लगातार उन्हें परेशान कर रहे थे. इसी बात से परेशान होकर उन दोनों ने फांसी लगा ली. बताया जा रहा है कि आर्थिक तंगी की वजह से दोनों भाई गुमसुम रहते थे. उन्होंने अपनी परेशानी के बारे में परिवार को भी कुछ नहीं बताया था.  

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पुरानी दिल्ली के बाजार सीताराम निवासी मृतक अर्पित और अंकित गुप्ता के दोस्तों ने बताया कि अर्पित और अंकित की आर्थिक हालत नोटबंदी के बाद से खराब हो गई थी. इसके बाद दोनों भाइयों ने ओबीसी बैंक से बिजनेस लोन लिया था. मगर उसमें भी घाटा हो गया. बैंक वाले लोन चुकाने का दबाव बनाने लगे तो दोनों ने नीची फाइनेंसर से साल 2018 में अलग-अलग लोन ले लिया था. लेकिन वे दोनों फाइनेंसर का कर्ज भी नहीं चुका पाए. 

नतीजा ये हुआ कि उस रकम पर मोटा ब्याज हो गया. फाइनेंसर ने जुर्माना भी लगा दिया. फिर जबरन वसूली के लिए कोशिश करने लगे. लॉकडाउन के बाद फाइनेंसर ने उनके बीवी-बच्चों को उठा लेने की धमकी तक दे डाली. इसी बात से तंग आकर दोनों ने मौत को गले लगा लिया.

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नमित के मुताबिक साल 2016 में नोटबंदी के बाद उनकी माली हालत काफी खराब हो गई थी. वे बैंक का कर्ज भी चुका नहीं पा रहे थे. इसके बाद फाइनेंसर से कर्ज लिया तो फंस गए. दबाव बनने लगा. बात परिवार की जान पर आ गई तो उन्होंने ये कदम उठा लिया. 
 
उनकी दुकान में काम करने वाले विष्णु का कहना है कि अर्पित और अंकित दोनों भाई लॉकडाउन के बाद से काफी परेशान रहे. दुकान तो खुल गई थी. लेकिन काम नहीं था. दोनों भाई अपने केबिन में ही बैठे रहते थे. वहीं कुछ लोग पैसे की वसूली के लिए आते थे और उन्हें धमकी देकर जाते थे.

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