दिल्ली ब्लास्ट में फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका सामने आने का बाद एनआईए और ईडी जांच कर रही है. इसके तहत ईडी ने मंगलवार देर रात अल फलाह ग्रुप के चेयरपर्सन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया. बुधवार को उनको कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 13 दिन की ईडी की कस्टडी में भेज गया है. कोर्ट में जांच एजेंसी ने खुलासा किया कि सिद्दीकी ने 415 करोड़ का घोटाला किया है. वो विदेश भागने के फिराक में थे.
प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट में बताया कि जवाद अहमद सिद्दीकी के पास देश छोड़ने के स्पष्ट इरादे थे, क्योंकि उसके करीबी परिवार के कई सदस्य खाड़ी देशों में रहते हैं. उसके पास लगातार विदेश में छिपने का मौका था. जांच एजेंसी ने दावा किया कि उसकी भूमिका गंभीर आर्थिक अपराधों से जुड़ी है. वो जांच को प्रभावित कर सकता है, साक्ष्य छुपा सकता है या रिकॉर्ड नष्ट कर सकता है. इस गिरफ्तारी के पीछे अहम वजह अल फलाह ग्रुप का 415 करोड़ का घोटला है.
ईडी ने बताया कि अल फलाह ग्रुप, उसके ट्रस्ट, झूठे एक्रेडिटेशन और गलत रिकग्निशन के दावों के सहारे छात्रों और अभिभावकों से भारी भरकम फीस वसूली गई. अभी तक 415.10 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आ चुका है, जो इससे भी अधिक हो सकता है. इस ग्रुप से जुड़े यूनिवर्सिटी की भूमिका दिल्ली धमाके में सामने आई थी. यहां के तीन डॉक्टर एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल जुड़े हुए थे. इनमें से एक डॉ. उमर नबी ने ही लाल किले के पास धमाका किया था.
इसके बाद से ही जांच एजेंसियां अल फलाह यूनिवर्सिटी की जांच कर रही है. इस दौरान जवाद अहमद सिद्दीकी की भूमिका संदिग्ध पाई गई, जो कि अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का फाउंडर और मैनेजिंग ट्रस्टी है. उसके निर्देश पर ही एडमिशन रजिस्टर, फीस लेजर, अकाउंट सिस्टम और आईटी डेटा को मैनेज किया जाता था. एजेंसी ने साफ आरोप लगाया कि सिद्दीकी रिकॉर्ड्स में छेड़छाड़ कर सकता है, सबूत नष्ट कर सकता है. इसी वजह से उसकी कस्टडी बेहद जरूरी है.
दिल्ली पुलिस की दो FIR को आधार बनाते हुए ईडी ने 14 नवंबर को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज किया था. ईडी ने कहा कि अल फलाह यूनिवर्सिटी छात्रों को झूठ बोलकर दाखिला दिलवाती थी कि उसे UGC से मान्यता प्राप्त है और उसका NAAC एक्रेडिटेशन स्टेटस भी सत्यापित है. ईडी के अनुसार यह दोनों दावे बेबुनियाद पाए गए. UGC द्वारा फंडेड NAAC एक ऑटोनॉमस बॉडी है. देशभर की यूनिवर्सिटीज की विश्वसनीयता जांचती है. इसका गलत इस्तेमाल किया गया.
साल 1990 में शुरू हुआ अल फलाह ग्रुप देखते-देखते एक विशाल एजुकेशनल संस्थान बन गया, लेकिन उसकी असली वित्तीय स्थिति बेहद कमजोर है. ईडी ने कोर्ट को बताया कि संस्थान ने जितने एसेट्स और वेल्थ जमा किए हैं, वे किसी भी तरह यूनिवर्सिटी की डिक्लेयर्ड फाइनेंशियल हेल्थ से मेल नहीं खाते. दूसरी तरफ जवाद अहमद सिद्दीकी के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि उनके क्लाइंट को झूठे केस में फंसाया जा रहा है. दिल्ली पुलिस की दोनों FIR मनगढ़ंत और तथ्यहीन हैं.
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