इंसानियत के खिलाफ दुनिया में तमाम तरह के अपराध होते आए हैं. इस बात से हर कोई वाकिफ है. लेकिन सबसे बड़ा धक्का तब लगता है, जब इंसानियत के रक्षक माने जाने वाले लोग ही ऐसे अपराधों को अंजाम देते हैं. इसी तरह का एक मामला इस वक्त पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रहा है. इसके केंद्र में हैं, ऑस्ट्रेलिया के वो सैनिक, जिन्हें वॉर हीरो भी कहा जाता है. इनका नाम बेन रॉबर्ट्स-स्मिथ है.
उन्होंने तीन अखबारों के खिलाफ 200 करोड़ रुपये का मुकदमा दायर किया था. जिसे वो हार गए हैं. इन अखबारों ने स्मिथ पर अफगानिस्तान में युद्ध अपराध करने का आरोप लगाया था. स्मिथ ने अखबार- सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड, द एज और द कैनबरा टाइम्स के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. इनके आर्टिकल्स में स्मिथ पर आरोप था कि उन्होंने निहत्थे कैदियों को मारा है. ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत ने यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि अखबारों ने साबित कर दिया है कि उनके कई आरोप "पर्याप्त रूप से सच" हैं.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जज ने कहा कि हत्या के छह में से चार आरोप काफी हद तक सच हैं. जिन्हें सैनिक ने नकार दिया है.
रिपोर्ट में बताया गया कि अपराधों में ये भी शामिल हैं-
जस्टिस एंथनी बेसांको ने पाया कि अखबार बाकी के हत्या के दो आरोपों को साबित नहीं कर पाए हैं. इसके साथ ही ये रिपोर्ट भी सही साबित नहीं कर पाए कि स्मिथ ने जिस महिला के साथ अफेयर था, उसका शोषण किया, न ही ये रिपोर्ट सच साबित हो पाई कि वो अपने जूनियर सहकर्मियों के लिए खतरा थे. लेकिन अन्य आरोप कि उन्होंने गैरकानूनी रूप से बंदियों पर हमला किया और साथियों को तंग किया, ये सच पाए गए हैं.
पूर्व ऑस्ट्रेलियन स्पेशल फोर्सेज में सैनिक रहे स्मिथ पर इतने गंभीर आरोप हैं कि पूरा देश इस वक्त हैरानी जता रहा है. 44 साल के स्मिथ ने 2013 में डिफेंस फोर्स को छोड़ दिया था. वो फैसला सुनाए जाने वाले दिन गुरुवार को अदालत में मौजूद नहीं थे. इस फैसले के बाद तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि ये मामला अफगानिस्तान में विदेशी सैनिकों द्वारा किए गए 'अनगिनत अपराधों' का एक सबूत है. लेकिन ये भी कहा कि वह दुनिया की किसी भी अदालत पर भरोसा नहीं करते हैं. बता दें, ऑस्ट्रेलिया के सैनिकों को 2001 से 2021 में अफगानिस्तान में तैनात किया गया था. मामले में ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है.
विक्टोरिया क्रॉस से नवाजे गए
रॉबर्ट्स-स्मिथ ऑस्ट्रेलिया के सबसे प्रसिद्ध जीवित वॉर हीरो हैं और देश की विशिष्ट स्पेशल एयर सर्विस रेजिमेंट (एसएएस) में सेवाएं दे चुके हैं. उन्हें 2011 में देश के सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस से नवाजा गया था. ये उन्हें तालिबान मशीन-गनर पर काबू पाने के लिए मिला, जो उनकी पलटन पर हमला कर रहे थे. लेकिन उनकी पब्लिक के बीच तस्वीर तब बिगड़ गई जब 2018 में सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड टाइम्स, द एज और द कैनबरा टाइम्स ने 2009 से 2012 के बीच किए गए उनके अपराधों को लेकर आर्टिकल्स पब्लिश करना शुरू किया.
सैनिक ने तर्क दिया कि अखबारों द्वारा रिपोर्ट की गई हत्याओं में से पांच कानूनी रूप से युद्ध के दौरान हुई थीं, और छठी बिल्कुल नहीं हुई. उनका मानहानि का मामला 110 दिनों कर चला है. ऐसा कहा जा रहा है कि उसकी लागत 16.3 मिलियन डॉलर तक आई है. इसमें 40 से अधिक गवाह पेश हुए. इनमें अफगानिस्तान के ग्रामीण, एक सरकार का मंत्री, वर्तमान और पूर्व एसएएस सैनिक शामिल थे. इस बीच कुछ लोग सोशल मीडिया पर सैनिक का सपोर्ट करते भी दिख रहे हैं.
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