सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के रेप केस में उम्रकैद काट रहे आसाराम के बेटे नारायण साईं को मिले दो हफ्ते के फरलॉ पर फैसला सुरक्षित रखा है. पिछली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने फरलॉ के आदेश पर रोक लगा दी थी. इस केस में गुजरात सरकार की तरफ से एसजी तुषार मेहता पेश हुए थे, वहीं मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने की.
नारायण साईं की बढ़ती मुश्किलें
जानकारी के लिए बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट ने नारायण साईं को 2 हफ्ते के लिए फरलॉ देने का आदेश दिया था. ये वहीं नारायण साईं है जिस पर दो बहनों संग दुष्कर्म करने का आरोप है. बताया गया था कि पीड़िता, नारायण साईं के आश्रम की साधिका थी. लेकिन तब नारायण ने उसका रेप किया था. मामले की शिकायत साल 2013 में दर्ज कराई गई थी. तब पीड़िता ने बताया था कि आरोपी नारायण लगातार उसे और उसके परिवार को धमका रहा था. जान से मारने की धमकी दी जा रही थी.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
इस केस में नारायण साईं को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पीपली इलाके से गिरफ्तार किया गया था. क्योंकि नारायण पर लगाए गए आरोप काफी गंभीर थे, ऐसे में जब गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई. तब तुषार मेहता ने दलील दी कि साई पर गंभीर आरोप हैं, इस मामले के गवाह पहले भी मारे जा चुके हैं. ऐसे में आरोपी को फरलॉ नहीं दी जा सकती.
नारायण का भविष्य क्या?
तुषार मेहता ने आगे कहा कि पुलिस अधिकारियों और चिकित्सा अधिकारियों को पहले भी रिश्वत दी जा चुकी है. पहले जब उनकी मां बीमार थीं तो हमने उनके फरलॉ का विरोध नहीं किया था. लेकिन इस बार यह उचित नहीं है. इस पर नारायण साईं के वकील ने कहा कि फरलॉ प्राप्त करने के लिए किसी कारण की आवश्यकता नहीं है. यह पैरोल नहीं है जो सख्त है. आदतन अपराधियों को फरलॉ से वंचित किया जाता है. मेरा मुवक्किल आदतन अपराधी नहीं है. उनके खिलाफ सिर्फ एक एफआईआर है.
अब सभी दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व कर लिया है. ऐसे में नारायण साईं को फरलॉ मिल पाती है या नहीं, इस पर सस्पेंस बरकरार है.
संजय शर्मा