FB पर विदेशी नागरिक बन करते थे ठगी, पुलिस ने किया गिरोह का पर्दाफाश

पुलिस के मुताबिक इस गिरोह के सैकड़ों लोग भारत में इस तरह की ठगी को अंजाम दे रहे हैं. जो कि अब तक करोड़ों रुपए की ठगी कर चुके हैं.

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पुलिस ने साइबर सेल के साथ मिलकर छानबीन शुरू कर दी पुलिस ने साइबर सेल के साथ मिलकर छानबीन शुरू कर दी

अकरम खान

  • अलीगढ़,
  • 01 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST
  • साइबर सेल की मदद से दिल्ली से गिरफ्तार किया
  • नाइजीरियन सरगना समेत अन्य सदस्य पकड़ाए

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है. गिरोह फेसबुक पर विदेशी नागरिक की आईडी बनाकर भारतीय लोगों से दोस्ती कर ऑनलाइन ठगी करता था. जिसमें नाइजीरियन सरगना समेत अन्य सदस्यों को साइबर सेल टीम की मदद से दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है.

इनके कब्जे से 400 नाइजीरियन करेंसी समेत एक लैपटॉप, 18 स्मार्टफोन, 9 कीपैड फोन, दो हार्ड डिस्क, दो वाईफाई डोंगल, 6 मोबाइल चार्जर और तीन लैपटॉप चार्जर बरामद किए हैं. पुलिस के मुताबिक इस गिरोह के सैकड़ों लोग भारत में इस तरह की ठगी को अंजाम दे रहे हैं. जो कि अब तक करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं. 

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पुलिस ने दी ये जानकारी

अलीगढ़ के एसपी देहात ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले कुछ दिन से फेसबुक पर विदेशी नागरिक इंग्लैंड, अमेरिका की आईडी बनाकर भारतीय लोगों से दोस्ती कर उन्हें पार्सल आदि का लालच देकर ऑनलाइन ठगी करते थे. पुलिस को जिसकी कई शिकायतें प्राप्त हो रही थी. इसी क्रम में 5 अगस्त को किशनपुर निवासी भगवती दत्त द्वारा क्वार्सी थाने पर 31 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी के संबंध में शिकायत दर्ज कराई गई थी. जिस पर पुलिस ने साइबर सेल के साथ मिलकर छानबीन शुरू कर दी. 

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जांच के दौरान सुराग खंगालते हुए टीम दिल्ली तक पहुंच गई. जहां से गैंग के सरगना दो नाइजीरियन जॉन बुल, मार्वेललॉस के साथ एक इंडियन समीर को गिरफ्तार कर अलीगढ़ लाया गया. जिनसे पूछताछ में पता चला कि वे पिछले कई सालों से भारत में रह रहे हैं. जब इनके वीजा की जांच की गई तो उसकी अवधि खत्म होने के बाद भी भारत में रह रहे थे.

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पकड़े गए आरोपियों से बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोन की जांच की गई, तो पाया कि विभिन्न लोगों को कस्टम अधिकारी बनकर मेल करते थे. इतना ही नहीं, यह लोग विभिन्न खातों में लोगों से ठगी करते हुए रुपए डलवाने के बाद उनको किसी अन्य द्वारा एटीएम से निकलवा कर उनको उनका कमीशन देते थे. पुलिस अब इनसे मिले विवरण और डेटा की जांच कर रही है.

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