दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने करोड़ों रुपए के एक हाई-टेक साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश करते हुए ग्रेटर नोएडा से एक ठग को गिरफ्तार किया है. आरोपी सोशल मीडिया के जरिए ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट स्कीम का लालच देकर लोगों से ठगी करता था. अब तक की जांच में सामने आया है कि उसने सिर्फ एक पीड़ित से ही 6 करोड़ 3 लाख रुपए ऐंठ लिए थे. पुलिस उसके नेटवर्क की जांच कर रही है.
डीसीपी (क्राइम) आदित्य गौतम के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी का नाम कृष्ण कुमार है. उसकी उम्र 29 साल है. उसने ग्रेटर नोएडा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.टेक किया था. पढ़ाई पूरी होने के बाद उसने साइबर ठगी को अपना पेशा बना लिया. आरोपी ने सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म्स पर ग्रुप और चैनल बनाए, जिनके जरिए वो खुद को एक सफल इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के रूप में पेश करता था.
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी ने "Plus500 Global CS" नाम से एक चैनल बनाया था. इस पर वह फर्जी प्रॉफिट स्क्रीनशॉट, जाली ट्रेडिंग डैशबोर्ड और स्क्रिप्टेड चैट डालकर लोगों को विश्वास दिलाता कि उसके बताए रास्ते पर चलकर लाखों का मुनाफा कमाया जा सकता है. इसी भरोसे में फंसकर दिल्ली में रहने वाले एक पीड़ित ने अपने करोड़ों रुपए ऑनलाइन इन्वेस्ट कर दिए.
इस तरह ठग लिए 6.03 करोड़ रुपए
आरोपी ने पीड़ित को लगातार प्रॉफिट के सपने दिखाकर कई किस्तों में 6.03 करोड़ रुपए अपने नेटवर्क के खातों में ट्रांसफर करवा लिए. लेकिन जब पीड़ित ने अपने पैसे मुनाफे के साथ निकालने की कोशिश की, तो उसे चैनल और सभी ग्रुप से ब्लॉक कर दिया गया. तभी पीड़ित को एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो गया है. उसने तुरंत दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई.
सुनियोजित नेटवर्क और फर्जी पहचान
जांच में खुलासा हुआ कि कृष्ण कुमार का गिरोह फर्जी और वर्चुअल मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करता था, ताकि उनकी पहचान उजागर न हो सके. ठगी की रकम को कई बैंक खातों के जरिए घुमाया जाता था, जिससे ट्रांजेक्शन ट्रेस करना मुश्किल हो जाए. इसी दौरान पुलिस को ठगी के 57 लाख रुपए 'प्रियंका प्लेसमेंट एंड लोन सर्विस' नामक संस्था के खाते में मिले, जो दरअसल आरोपी का ही फ्रंट था.
साइबर कैफे से चलता ठगी का खेल
पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी दो साइबर कैफे चलाता था. इन्हीं के जरिए वह ठगी के काम को अंजाम देता और पैसों के लेन-देन को छिपाने के लिए डिजिटल ट्रेल को तोड़ता. आरोपी को हिरासत में लेकर उससे नेटवर्क के सदस्यों के बारे में पूछताछ की जा रही है. पुलिस आरोपी के डिवाइस क्लोनिंग, एडवांस डिजिटल फॉरेंसिक और फाइनेंशियल-ट्रेल मैपिंग के जरिए नेटवर्क को खत्म करने में जुटी है.
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