कोरोना काल में बीमार पड़े लोगों को ऑक्सीजन का न मिल पाना और अस्पताल में बेड न होना एक बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है. ऐसे में कुछ जालसाज ऐसे माहौल में भी मजबूर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ धोखाधड़ी करने से बाज नहीं आ रहे हैं. एक ऐसा ही मामला साइबर सिटी गुरुग्राम से आया है. जहां पर एक शख्स को अपने बीमार दोस्त के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के इंतजाम के लिए ठगी का शिकार होना पड़ा.
Photo Credit- PTI
मयंक जैन जो एक आईटी प्रोफेशनल हैं, कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत के बाद से ही वो अपने होमटाउन पिंक सिटी जयपुर से काम कर रहे हैं. गुरुग्राम में रहने वाले उनके एक दोस्त को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी और जो गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती है. दोस्त के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम करने के दौरान वो एक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े. जहां से उन्हें कई ऑक्सीजन सप्लायर के नंबर मिले. व्हाट्सएप पर एक ऑक्सीजन सप्लायर ने उन्हें बताया कि उसके पास 50 kg सिलेंडर है, जिसकी कीमत 27500 रुपये है. मंयक जैन को फ्रॉड का अंदेशा था इसलिए उन्होंने ऑक्सीजन सप्लायर से कहा कि वो एडवांस पैसे नहीं देंगे और कैश ऑन डिलीवरी करेंगे.
Photo Credit- PTI
लेकिन शुक्रवार को अचानक से चीजें बदल गईं और उनके दोस्त का ऑक्सीजन लेवल नीचे गिरने लगा. अस्पताल ने द्वारा बोला गया कि जल्द से जल्द ऑक्सीजन का इंतजाम किया जाए. यह खबर सुनने के बाद मयंक घबरा गए और ज्यादा सोचे बिना उन्होंने ऑक्सीजन सप्लायर को 5 हजार रुपये एडवांस दिए और जल्द से जल्द ऑक्सीजन देने को कहा. लेकिन इस पर सप्लायर ने मयंक जैन से कहा कि उसे सिलेंडर के लिए आधी पेमेंट नहीं होगी वो ऑर्डर के प्रोसेस को आगे नहीं बढ़ा पाएगा.
Photo Credit- PTI
फिर मयंक ने 9 हजार रुपये और उसके बैंक में ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद वेंडर ने कहा कि वो अपनी मरीज की आधार कार्ड और पूरी डीटेल दें और मयंक ने तुरंत ही अपने बीमार दोस्ती की सारी डीटेल वेंडर को दे दी. इसके कुछ देर बाद ऑक्सीजन सप्लायर का फोन आता है और मयंक जैन से बोलता है कि उसके पास सिर्फ एक ही सिलेंडर बचा है और अब उसे पूरे पैसे देने होंगे. तभी वो ऑक्सीजन सिलेंडर दे पाएगा.
Photo Credit- PTI
इसके बाद उन्हें अपने साथ हुए फ्रॉड का कुछ अंदेशा हुआ लेकिन दोस्त को ऑक्सीजन की दरकार थी. इसके लिए उन्होंने यह जोखिम लेने का फैसला किया और 13500 रुपये ट्रांसफर कर दिए और वेंडर से कहा कि अब जल्द से जल्द उनके दोस्त के पास सिलेंडर पहुंचा दे. क्योंकि वो अपने बीमार दोस्त की जिंदगी के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहते थे.
Photo Credit- PTI
कुछ देर बाद उन्होंने यह चेक करने के लिए सप्लायर को फोन किया कि ऑक्सीजन सिलेंडेर उनके दोस्त के पास पहुंचा या नहीं, इस पर सप्लायर ने उनसे फिर से 15 हजार रुपये की डिमांड कर डाली और अब उन्हें पूरा यकीन हो गया था कि वो ठगी का शिकार हो चुके है. इस पर उन्होंने वापस पैसे मांगे लेकिन सारे प्रयास विफल रहे. फिर उन्होंने इसकी शिकायत के लिए दिल्ली साइबर हेल्पलाइन करना चाही. लेकिन जयपुर में होने की वजह से उन्हें राजस्थान पुलिस से शिकात दर्ज करानी पड़ी.
Photo Credit- PTI
मयंक जैन के अलावा ऐसे कई पीड़ित हैं, जिन्हें कोरोना काल में ठगी का शिकार होना पड़ा है. ठग सोशल मीडिया पर फेक आईडी बनाकर जरूरतमंद लोगों की तलाश करते हैं और मजबूर लोग उनके बने जाल में फंसकर रहे जाते हैं. शिखा टीकू जो एक हाउसवाइफ हैं और इस दौरान जरूरतमंद लोगों की वॉलेंटरी मदद कर रही हैं. खाली समय में वो इंटरनेट पर अस्पताल, ऑक्सीजन की तलाश करती हैं और जरुरतमंद लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचाती हैं.
Photo Credit- PTI
इस दौरान उन्हें दिल्ली के 58 साल के बुजुर्ग कोविड मरीज से मिले. जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत थी. इसके बाद शिखा ने दिल्ली मे रह रहे बुजुर्ग से संपर्क किया और उन्हें एक ऑक्सीजन वेंडर का नंबर दिया और कहा इनके पास 6 हजार रुपये में ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद है साथ ही उन्होंने उस वेंडर को भी बुजुर्ग का नंबर दे दिया. जिससे दोनों का समय बच जाए और बुजुर्ग को ऑक्सीजन मिल जाए.
Photo Credit- PTI
इसके बाद ऑक्सीजन सप्लायर ने बुजुर्ग से संपर्क किया और साढ़े 3 हजार रुपये एडवांस में मांगे. फिर बुजुर्ग ने ऑक्सीजन के लिए एडवांस में पैसे दे भी दिए. कुछ देर बाद ऑक्सीजन सप्लाय ने अपनी कंपनी का आधार कार्ड, पैन कार्ड और कंपनी के चेयरमैन का आई-कार्ड बुजुर्ग को भेजा और इसके आधार और पैसों की मांग कर डाली. इस पर बुजुर्ग ने पैसे देने से इनकार कर दिया. फिर बुजुर्ग को फोन किया जाता है कि कंपनी का सीओ का कार्ड भेजा है, हम झूठ कैसे बोल रहे हैं. ऐसे कई तरह प्रलोबन देकर उन्हें अपने जाल में फंसाने की कोशिश की गई. इस दौरान शिखा टीकू समझ आ गया कि फ्रॉड हो गया है. इस पर उन्होंने दिए वैसे वापस मांगे. लेकिन उन्हें भी कुछ हासिल न हो सका.
दिल्ली की रहने वाली कीर्ती शर्मा को भी एक ऐसे ही जालसाज नेटवर्क से दो दो हाथ करने का मौका मिला. फोन कॉल और फेक आई-कार्ड से उन्हें समझ आ गया कि मामला गड़बड़ है और उन्होंने मरीजों को एडवांस पैसे देने से मना कर दिया. इसके अलावा उन्होंने दूसरे लोगों को भी इस मामले की जानकारी दी जिससे वो भी किसी ठगी का शिकार न हो सकें.
Photo Credit- PTI
इसके अलावा सोशल मीडिया पर कुछ फर्जी डॉक्टर का नेटवर्क देखने में भी आया है. जो यह बता रहा है कि उसके पास रेमडेसिविर के काफी इंजेक्शन हैं. जिन्हें जरूरत हो वो नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं. लेकिन इन टि्वटर अकाउंट के फॉलोअर्स एक भी नहीं है, जिससे पता चलता है कि यह फेक आईडी है और लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए ऐसा किया गया है. पुलिस लगातार लोगों को ऐसे फ्रॉड से बचने के लिए जागरूक कर रही है. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि फोन की रिंग टोन किसी रीजनल भाषा में बज रही है, जिसे सुनकर भी सतर्क होने की जरूरत है.