27 साल बाद 5 कत्ल, हर लाश पर 2-2 गोलियां और एक अजीब बदला... वाराणसी में हुए एक करोड़पति फैमिली के मर्डर की Inside Story

फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' का एक मशहूर डायलॉग था, जिसमें मां-बाप, चाचा-दादा का बदला लेने की बात कही गई थी. उस फिल्म का वही डायलॉग इस वक्त वाराणसी में हरेक की जुबान पर है. खुद पुलिस उस फिल्मी डायलॉग और वाराणसी में हुए एक ही परिवार के पांच कत्ल से जोड़े जा रहे कनेक्शन को लेकर कनफ्यूज है.

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वाराणसी के करोड़पति शराब व्यापारी राजेन्द्र गुप्ता के परिवार के हत्याकांड की पूरी कहानी. वाराणसी के करोड़पति शराब व्यापारी राजेन्द्र गुप्ता के परिवार के हत्याकांड की पूरी कहानी.

आजतक ब्यूरो

  • वाराणसी,
  • 12 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:16 AM IST

एक अजीब बदला... कई साल पहले आई फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' का एक मशहूर डायलॉग था, जिसमें मां-बाप, चाचा-दादा का बदला लेने की बात कही गई थी. उस फिल्म का वही डायलॉग इस वक्त वाराणसी में हरेक की जुबान पर है. खुद पुलिस उस फिल्मी डायलॉग और वाराणसी में हुए एक ही परिवार के पांच कत्ल से जोड़े जा रहे कनेक्शन को लेकर कनफ्यूज है. कनफ्यूजन ये है कि क्या पांच नवंबर को वाराणसी में हुए पांच कत्ल के तार 27 साल पहले हुए चार क़त्ल से जा कर जुड़ते हैं? और क्या 27 साल पहले जिस बच्चे ने अपनी आंखों के सामने अपने मां-बाप और दादा का कत्ल होते देखा था, 27 साल बाद उसी बच्चे ने अब जवान हो कर मां का, बाप का, दादा का बदला लिया है? ये कहानी एक ऐसे परिवार की है, जिसकी खूनी शुरुआत जिस शख्स ने की उसका खूनी अंत उसके मौत के साथ हुआ.

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मंगलवार 5 नवंबर भदैनी, वाराणसी

वाराणसी के करोड़पति शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता के परिवार में इस रोज़ एक बड़ी वारदात हुई. एक ऐसी वारदात, जिसने सिर्फ भदैनी ही नहीं बल्कि पूरे बनारस के लोगों को हिला के रख दिया. राजेंद्र गुप्ता की पत्नी नीतू गुप्ता, उनके दो बेटे नवनेंद्र और सुबेंद्र और बेटी गौरांगी की किसी ने उनके घर में घुस कर गोली मार कर हत्या कर दी थी. पुलिस को जब इस वारदात की खबर मिली, तो उसने मौके पर पहुंच कर मामले की जांच शुरू की. पुलिस ने गौर किया कि सभी के सिर और सीने में एक-एक गोली मारी गई थी. जबकि इतनी बड़ी वारदात के बावजूद हैरानकुन तरीके से घर के मुखिया यानी राजेंद्र गुप्ता गायब थे. 

ऐसे में सभी को ये लगने लगा कि शायद इन चार कत्ल के पीछे राजेंद्र गुप्ता का ही है, जिसने किसी वजह से अपने पूरे परिवार की जान ले ली और खुद फरार हो गया. लेकिन इस मामले में आखिरी नतीजे पर पहुंचने से पहले पुलिस के लिए इस बात की तस्दीक जरूरी थी. अब पुलिस ने राजेंद्र गुप्ता के मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रेस करने की शुरुआत की. और फोन की लोकेशन मौका ए वारदात से दूर रोहनिया के मीरापुर-रामपुर गांव में मिली. अब पुलिस सोच में थी कि जिसके पूरे परिवार का कत्ल हो गया, वो शहर से दूर एक गांव में आखिर क्या कर रहा है? खैर पुलिस की एक टीम फौरन मीरापुर-रामपुर गांव के लिए रवाना हुई. 

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मोबाइल की लोकेशन के मुताबिक वो एक अंडर कंस्ट्रक्शन वाले मकान में पहुंची. यहां पुलिस को जो कुछ मिला, वो और भी हैरान करने वाले था. इस मकान के अंदर बिस्तर पर राजेंद्र गुप्ता की लाश पड़ी थी. ठीक अपने परिवार के बाकी लोगों की तरह उसके भी सिर और सीने में एक-एक गोली लगी थी, लेकिन जो बात परिवार के बाकी लोगों से अलग थी, वो थी राजेंद्र गुप्ता की लाश का बिल्कुल बिना कपड़ों के होना. राजेंद्र गुप्ता इस हाल में मिली लाश ने इस केस को मानों अचानक से पलट दिया. क्योंकि अब तक पुलिस ये मान कर चल रही थी कि गुप्ता ने ही अपने पूरे परिवार की हत्या की होगी. 

कुछ लोग ये भी मान रहे थे कि हत्या करने के बाद उसने खुद को भी गोली मार कर जान दे दी होगी. लेकिन वहां जिस तरह से उसके सिर और सीने में एक-एक गोली लगी थी, उससे साफ था कि राजेंद्र गुप्ता ने कम से खुदकुशी तो नहीं की, क्योंकि ऐसा करने वाला आदमी अपने सिर और सीने में एक-एक कर दो गोलियां नहीं मार सकता. इसी के साथ अब ये भी कि जिस तरह से सभी को दो-दो गोलियां मारी गईं, वो राजेंद्र गुप्ता का नहीं, बल्कि किसी और क़ातिल का काम हो सकता है. लेकिन अब सवाल ये था कि आखिर वो है कौन?

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बहरहाल पुलिस की तफ्तीश आगे बढ़ी और अब पुलिस ने परिवार में जिंदा बची सबसे बुजुर्ग महिला शारदा देवी से पूछताछ चालू की. शारदा राजेंद्र गुप्ता की मां हैं. और इसी के साथ शारदा देवी ने इस क़त्ल को लेकर जो कहानी सुनाई उसने मामले को एक और ही नया मोड़ दे दिया. शारदा देवी ने शक जताया कि इस वारदात के पीछे उनका पोता और राजेंद्र का भतीजा विशाल उर्फ विक्की गुप्ता हो सकता है. असल में विक्की पहले भी राजेंद्र गुप्ता के पूरे परिवार के कत्ल की बात कह चुका था और विक्की की अपने ही ताऊ राजेंद्र गुप्ता से पुरानी दुश्मनी भी थी. पर सवाल है कैसी दुश्मनी? तो इसके लिए आपको 27 साल पीछे चलना होगा.

साल 1997. यही वो साल था जब गुप्ता परिवार में खून खराबे की शुरुआत हुई. असल में राजेंद्र गुप्ता के पिता लक्ष्मी नारायण गुप्ता बनारस के बड़े कारोबारी थे. उनका प्रॉपर्टी और शराब का काम था. लक्ष्मी नारायण के दो बेटे रजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता थे. लेकिन लक्ष्मी नारायण अपने बड़े बेटे राजेंद्र गुप्ता के रवैये को लेकर नाखुश थे. और उन्होंने अपने कारोबार का ज्यादातर हिस्सा अपने छोटे बेटे कृष्णा गुप्ता के हवाले कर दिया था. इसका नतीजा ये हुआ कि गुस्से में आकर राजेंद्र ने इसी साल यानी 1997 में एक रोज़ अपने छोटे भाई कृष्णा गुप्ता और उसकी पत्नी सोते समय गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी. 

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इसके बाद राजेंद्र तो गिरफ्तार हो कर जेल चला गया, लेकिन इस वारदात से अपने बड़े बेटे राजेंद्र पर लक्ष्मी नारायण गुप्ता का गुस्सा और बढ़ गया. उन्होंने अब कृष्णा के दो बेटों विक्की और जुगनू को काम सिखाना शुरू कर दिया.उधर, जेल में बंद राजेंद्र अब भी अपने पिता के रवैये से गुस्से में था. 6 साल जेल में गुजारने के बाद साल 2003 में उसे जैसे ही अपने भाई और भाभी के क़त्ल की सजा में पेरोल मिली, बाहर आकर उसने एक और बड़ी वारदात को अंजाम दिया. असल में वो अब भी अपने पिता से प्रॉपर्टी और कारोबार का हिस्सा मांग रहा था, लेकिन लक्ष्मी नारायण इसके लिए तैयार नहीं थे. 

अचानक एक रोज़ शहर के रामचंद्र शुक्ला चौराहे के पास गुमनाम कातिलों ने लक्ष्मी नारायण गुप्ता और उनके पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड की गोली मार कर हत्या कर दी. इस मामले में शक की सुई पहले ही दिन से बेटे राजेंद्र गुप्ता पर ही थी. ऐसे में जब जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि राजेंद्र गुप्ता ने ही सुपारी दे कर अपने पिता और उनके सिक्योरिटी गार्ड का कत्ल करवा दिया. राजेंद्र ने दो शादियां की थी. पहली शादी 1995 में हुई थी, लेकिन अपनी पहली पत्नी को राजेंद्र ने शादी के दो साल बाद ही छोड़ दिया था. इसके बाद साल 2003 में जब वो बाहर आया, तो उसने नीतू से दूसरी शादी की और जिससे उन्हें तीन बच्चे हुए. 

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नवनेंद्र, सुबेंद्र और गौरांगी. इन बच्चों के सिर पर तो खैर मां-बाप का साया था, लेकिन राजेंद्र की वजह से ही कृष्णा के बच्चे कई साल अनाथ हो चुके थे. विक्की, जुगनू और उनकी बहन को वैसे तो राजेंद्र ने ही पाला था, लेकिन परवरिश के मामले में भी उसका परिवार अपने भतीजों के साथ सौतेला रहा. ऐसे में राजेंद्र के भतीजे गुस्से और बदले की आग में जलते रहे. और अब जब ये वारदात हुई, तो शक की सुई राजेंद्र के बड़े भतीजे विक्की पर ही जाकर टिक गई है. क्योंकि पुलिस को उसके खिलाफ कई सबूत भी मिले हैं और वारदात के बाद से ही वो फरार भी है. राजेंद्र की बुजुर्ग मां शारदा देवी ने भी विक्की पर ही शक जताया है. 

पुलिस की मानें तो विक्की और उसका भाई जुगनू दोनों दिल्ली एनसीआर में ही कर अपना काम करते थे. इस वारदात के बाद जुगनू तो बनारस पहुंचा, लेकिन विक्की का कोई पता नहीं चला. इस बीच जब पुलिस ने विक्की के बारे में जानकारी जुटाई, तो ये पता चला कि उसने अपने करीबियों से कई बार राजेंद्र गुप्ता और उसके परिवार को मार डालने की बात कही थी. पुलिस ने इस वारदात के बाद विक्की के बहनोई को नोएडा से हिरासत में लिया, जिसने पूछताछ में इस बात पर मुहर लगाई. बहनोई ने बताया कि विक्की ने उससे कहा था कि इस बार दिवाली में वो अपने ताऊ और उसके परिवार को मार डालेगा. 

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पुलिस को छानबीन में विक्की के अपने बहनोई के संपर्क में होने के सबूत भी मिले. लेकिन जाहिर है जब तक विक्की की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, इस थ्योरी का कोई पुख्ता प्रमाण फिलहाल पुलिस के पास भी नहीं है. इस बीच पुलिस को पता चला है कि विक्की कुछ समय पहले तामिनलाडु में था. वहीं वेल्लोर में रह कर उसने बीटेक की पढ़ाई की थी. ऐसे में पुलिस की एक टीम वेल्लोर पहुंची, जहां उसने विक्की के चार दोस्तों और उसकी गर्लफ्रेंड से पूछताछ कर उसके बारे में जानकारी जुटाने की शुरुआत कर दी. अब तक की छानबीन में बारे में उसके राजेंद्र गुप्ता और उसके परिवार के क़त्ल से विक्की का कनेक्शन होने के कई सबूत तो मिले हैं.

लेकिन खुद विक्की अब भी पुलिस के रडार से बाहर है. वैसे तफ्तीश अपनी जगह पर है, लेकिन केस के कुछ इत्तेफाक भी हैरान करते हैं. अव्वल तो जिस तरह राजेंद्र और उसके परिवार के सभी लोगों को गिन-गिन कर दो-दो गोलियां मारी गईं, वैसा आम तौर पर देखने को नहीं मिलता. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ. इससे पहले जब राजेंद्र ने अपने भाई कृष्णा और उसकी पत्नी की हत्या की थी, तब उन्हें भी उसने ठीक वैसे ही दो-दो गोलियां मारी थीं. गौर कीजिए कि जब कृष्णा और उसकी पत्नी की हत्या हुई, वो मंगलवार का दिन था. अब भी ये कत्ल मंगलवार को ही हुए. वो भी कार्तिक पूर्णिमा का दिन था और इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा था.

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