पिता की हत्या ने बना दिया गुनाहगार और कर चुका है 20 से ज्यादा कत्ल

अपने पिता के एक कातिल को तीन घंटे तक गोलियां मारने और उसके बाद बीस कत्ल कर बेशक ये सीरियल किलर इस वक्त बिहार में खौफ का दूसरा नाम है.

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अमित उर्फ अविनाश अमित उर्फ अविनाश

सुरभि गुप्ता / सुजीत झा

  • पटना,
  • 27 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 5:22 AM IST

वो एक ऐसा सायको किलर है, जिसका नाम गूगल पर टाइप करते ही उसके किस्सों से पन्ने भर जाते हैं, लेकिन इस सायको किलर को अपनी इन करतूतों पर अफसोस नहीं, बल्कि फख्र है. इसीलिए जब कभी पुलिस उससे पूछताछ करती है, वो सीधे उन अफसरों को अपना नाम गूगल में खोजने की सलाह दे देता है.

ये किलर इंफोसिस में कर चुका है नौकरी
उसने सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन से स्कूली पढ़ाई पूरी की और दिल्ली की जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी से एमसीए की डिग्री हासिल की. उसने इंडिया की टॉप कंपनियों में से एक इंफोसिस में भी नौकरी की और तो और उसने जहानाबाद जेल ब्रेक की वारदात पर इंग्लिश में एक किताब भी लिखी.

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गूगल पर उसके करतूतों की कहानी
इतना सब कुछ होने के बावजूद उसने 20 से ज्यादा लोगों की जान भी ली है और आगे भी लेने का इरादा रखता है. अब तो हालत ये है कि उसकी करतूतों ने इंटरनेट की वर्चुअल दुनिया में भी अच्छी-खासी जगह ले रखी है. वो कितना खूंखार सायको किलर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके नाम के साथ सायको किलर का लफ्ज गूगल पर टाइप करते ही स्क्रीन पर उसके करतूतों की कहानी बयान करने वाले कई लिंक एक साथ उभर आते हैं.

फिल्मी कहानी से कम नहीं उसकी जिंदगी
ये सायको किलर भी इसे अपनी एक कामयाबी मान बैठा है और वो ना सिर्फ ये बात अपनी जुबान से कुबूल कर रहा है, बल्कि अक्सर खुद से पूछताछ करने वाले पुलिसवालों को गूगल पर अपने बारे में सर्च करने की सलाह देता है. यकीनन बिहार के सबसे खौफनाक सायको किलर अमित उर्फ अविनाश की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.

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एक ऐसा लड़का जिसकी परवरिश इतने अच्छे माहौल में हुई, जिसे घरवालों ने ना सिर्फ टॉप इंग्लिश स्कूल में पढ़ाया, बल्कि बिहार में रहते हुए भी देश की राजधानी दिल्ली की एक टॉप यूनिवर्सिटी से तालीम दिलाई, वो बड़ा हो कर इतना बड़ा क्रिमिनल बना जाएगा कि उसके नाम से भी लोग कांपने लगेंगे, ये सोचना भी अजीब लगता है.

पुलिस की मानें तो अपने पिता के कातिलों को मौत के घाट उतारने के अलावा भी इस सायको किलर ने बहुत से लोगों की जान ली है और ज्यादातर वो पटना इलाके में ही ऑपरेट करता रहा है. पिछली बार उसे पटना पुलिस ने भी 2013 में ऐसे ही किसी कत्ल के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. फिलहाल इतने कत्ल के अलावा अमित ने वैशाली के ही एक बड़े ज्वेलर्स की पटना में हत्या और गायघाट में एक ज्वेलर्स से दो किलो सोना लूटने की बात कबूल की है, लेकिन पुलिस का मानना है कि उसके सीने में अभी और भी कई बड़े राज दफन हैं.

वो सिर्फ नीले लिबास में ही करता है कत्ल
अपने पिता के एक कातिल को तीन घंटे तक गोलियां मारने और उसके बाद बीस कत्ल कर बेशक ये सीरियल किलर इस वक्त बिहार में खौफ का दूसरा नाम है, लेकिन उसकी जिंदगी के भी अपने अलग उसूल हैं. अब इसे आप उसका अंधविश्वास कहें या फिर कुछ और वो जब भी कत्ल करने निकलता है तो सिर्फ नीले कपड़ों में ही निकलता है. पुलिस की मानें तो वो हर वारदात को नीले रंग के कपड़ों में ही अंजाम देता है क्योंकि वो ये मानता है कि नीले रंग के कपड़े उसके लिए शुभ हैं और अगर वो नीले रंग के कपड़ों में किसी वारदात को अंजाम देता है, तो वो पकड़ा नहीं जाएगा.

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वैशाली पुलिस ने जब शनिवार की रात अमित उर्फ अविनाश नाम के इस शख्स को एक बैंक में सेंधमारी करते रंगे हाथ गिरफ्तार किया, तब भी उसे अंदाजा नहीं था कि उसने इतने बड़े क्रिमिनल को पकड़ा है. ये और बात है कि उसके पास से बरामद एसयूवी और चोरी के सामान से पुलिस को इस बात का अहसास जरूर हो गया था कि ये कोई बड़ा चोर है.

बैंक लूटने की तैयारी में था यह सायको किलर
वैशाली का सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया इस बार अमित के निशाने पर था. अमित ने रात के अंधेरे में पूरा बैंक लूटने की तैयारी की थी और इसके लिए वो पूरे इंतजाम के साथ पहुंचा भी था. वो एक स्कॉर्पियो से गैस कटर, इलेक्ट्रिक कटर, उसके 17 ब्लेड्स, सिलिंडर, लोहा काटने वाली कैंची और दूसरे साजो-सामान के साथ पहुंचा था. वो पहली मंजिल पर मौजूद बैंक तक पहुंचने के लिए दो चैनल वाले गेट पहले ही काट चुका था. इसके बाद बैंक में दाखिल हो कर उसका चेस्ट तोड़ने ही वाला था कि पुलिस को उसकी भनक मिल गई और वो गिरफ्तार कर लिया गया.

इसके बाद जब उससे पूछताछ हुई, तो बिल्कुल नई कहानी सामने आ गई. ये पता चला कि रात के अंधेरे में सेंधमारी करते रंगे हाथ पकड़ा गया शख्स सिर्फ एक बड़ा चोर नहीं, बल्कि एक ऐसा सायको किलर है, जो किसी की जान लेने में पल भर की भी देरी नहीं करता और सालों से अपने दिल में नफरत की आग लिए घूम रहा है.

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गिरफ्तारी के साथ ही टूटा भ्रम
असल में साल 2003 में जब अमित ने पहली बार अपने पिता के कत्ल के मुल्जिम मोइन की जान ली थी, तब भी वो नीले रंग के कपड़ों में ही था और तब से लेकर अब तक उसने जितने भी कत्ल किए नीले रंग के कपड़ों में ही किए. इस बार भी बैंक में सेंधमारी के लिए वो नीले रंग के कपड़ों में ही पहुंचा था, लेकिन उसका भ्रम टूट गया और नीले कपड़ों के बावजूद वो रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया.

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