रूप कंवर सती कांड के 37 साल बाद सभी 8 आरोपी बरी, पति की चिता में जलाई गई थी 18 साल की युवती

देश के बहुचर्चित रूप कंवर सती कांड में बुधवार को 37 साल बाद फैसला आ गया है. इस मामले में सभी आठ आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. करीब 37 साल तक चली सुनवाई के बाद विशिष्ट न्यायालय सति निवारण कोर्ट जयपुर ने आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है.

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देश के बहुचर्चित रूप कंवर सती कांड में बुधवार को 37 साल बाद फैसला आ गया देश के बहुचर्चित रूप कंवर सती कांड में बुधवार को 37 साल बाद फैसला आ गया

aajtak.in

  • जयपुर,
  • 09 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 4:44 PM IST

देश के बहुचर्चित रूप कंवर सती कांड में बुधवार को 37 साल बाद फैसला आ गया है. इस मामले में सभी आठ आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. करीब 37 साल तक चली सुनवाई के बाद विशिष्ट न्यायालय सति निवारण कोर्ट जयपुर ने आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. इस मामले में आठ आरोपी श्रवण सिंह, महेंद्र सिंह, निहाल सिंह, जितेंद्र सिंह, उदय सिंह, नारायण सिंह, भंवर सिंह और दशरथ सिंह हैं.

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राजस्थान के जयपुर की रहने वाली 18 साल की रूप कंवर की शादी सीकर जिले के दिवराला में माल सिंह शेखावत से हुई थी. शादी के 7 महीने बाद माल सिंह की बीमारी से मौत हो गई. तब कहा गया रूप कंवर ने पति की चिता पर सती होने की इच्छा जताई है. इसके बाद 4 सितंबर 1987 को वो सती हो गई. गांव के लोगों ने उसको सती मां का रूप दे दिया और मंदिर बनवा दिया गया. वहां पर बड़ा चुनरी महोत्सव भी किया गया. 

इसके बाद में पूरे देश में हंगामा मच गया. इसकी जांच की गई तो पाया गया कि रूप कंवर अपनी इच्छा से सती नहीं हुई थी. उस वक्त राजस्थान के मुख्यमंत्री हरदेव जोशी थे. उन्होंने 39 लोगों के खिलाफ हाई कोर्ट में मामला दर्ज करवाया था. इन सब पर आरोप था कि दिवराला गांव में इकट्ठा होकर सती प्रथा का महिमामंडन किया गया. इसके बाद पीड़िता को सति के लिए मजबूर कर दिया गया. पहले राजस्थान में सती प्रथा की परंपरा थी. 

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इस पूरे मामले को दिवराला सती रूप कंवर कांड के नाम से भी जाना जाता है. राजस्थान के सीकर जिले के पास स्थित ये गांव जयपुर से करीब तीन घंटे की दूरी पर है. यहीं पर रूप कंवर का ससुर सुमेर सिंह टीचर था. उसका पति माल सिंह बीएससी की पढ़ाई कर रहा था. रूप के पिता जयपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में ट्रक ड्राइवर थे. ये घटना जिस वक्त हुई, रूप कंवर अपने मायके में थी. उसका पति गंभीर रूप से बीमार हो गया.

इसकी सूचना मिलते ही वो अपने पिता और भाई के साथ उसे लेकर सीकर के अस्पताल पहुंची. वहां से पिता और भाई तो चले गए लेकिन दो दिन बाद सुबह 8 बजे माल सिंह की मौत हो गई. परिजन शव को देवराला लेकर पहुंचे. इसके बाद अफवाह फैलाई गई कि रूप कंवर सती होना चाहती है. उसके सति होने का महिमामंडन किया जाने लगा. उसके हाथों में नारियल देकर सोलह शृंगार करके पति की चिता में झोंक दिया गया. 

रूप कंवर को जलाने के वक्त वहां मौजूद रहे तेज सिंह शेखावत ने बताया था कि 15 मिनट तक उसने पति की चिता की परिक्रमा लगाई. उससे कहा गया कि जल्दी करो नहीं तो पुलिस आ जाएगी. इस पर उसने कहा कि फिक्र न करो. फिर वो चिता पर चढ़ गई और पति का सिर गोद में रख लिया. माल सिंह के छोटे भाई ने माचिस जलाई लेकिन आग नहीं जली. उसने कहा कि आग तो अपने आप जली थी. 

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लोगों ने कनस्तर भर भर के चिता में घी झोंका था. वो जलती हुई चिता से नीचे गिरी लेकिन वापस पति का पैर पकड़कर लौट गई. उसके परिजनों को भी बेटी के जलने के बाद मामले का पता चला. चिता के स्थान पर उसके नाम पर मंदिर भी बना गया, जिसमें हजारों लोग पहुंचे थे. इस पूरे मामले में आईपीसी की धारा 306 के तहत पूरे गांव पर केस दर्ज किया गया था. इसमें रूप के ससुर को मुख्य आरोपी बनाया गया था.

 

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