अश्लील वीडियो, डिजिटल सबूत, 'जेनिटल फीचर मैपिंग...', देश में पहली बार इस्तेमाल हुई ये तकनीक, ऐसे गुनहगार साबित हुए प्रज्वल रेवन्ना

कर्नाटक के प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल की जांच में एसआईटी ने एक ऐसी फॉरेंसिक तकनीक का इस्तेमाल किया है, जिसे भारत में पहली बार आजमाया गया. इस हाई-प्रोफाइल केस में पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की पहचान एक दोषी के रूप में 'जेनिटल फीचर मैपिंग' से की गई.

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प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल की जांच में एसआईटी ने खास फॉरेंसिक तकनीक का इस्तेमाल किया. (Photo: ITG) प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल की जांच में एसआईटी ने खास फॉरेंसिक तकनीक का इस्तेमाल किया. (Photo: ITG)

सगाय राज / नागार्जुन

  • बेंगलुरु,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:25 AM IST

कर्नाटक के प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल की जांच में एसआईटी ने एक ऐसी फॉरेंसिक तकनीक का इस्तेमाल किया है, जिसे भारत में पहली बार आजमाया गया. इस हाई-प्रोफाइल केस में पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की पहचान एक दोषी के रूप में 'जेनिटल फीचर मैपिंग' (Genital Feature Mapping) से की गई. यह वही विधि है, जो अब तक केवल तुर्की जैसे देशों में प्रयोग की जाती रही थी. लेकिन पहली बार भारतीय जांचकर्ताओं ने इसे किसी केस में इस्तेमाल कर आरोपी की पहचान को निर्णायक रूप से साबित किया.

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एसआईटी सूत्रों के मुताबिक, इस स्कैंडल के वायरल वीडियो से हाई-रिजॉल्यूशन स्क्रीनशॉट लिए गए. उनका मिलान रेवन्ना के मेडिकल टेस्ट के दौरान ली गई तस्वीरों से किया गया. इस प्रक्रिया में विशेषज्ञ त्वचा रोग विशेषज्ञ और मूत्र रोग विशेषज्ञ भी शामिल थे. उन्होंने मेडिकल प्रोटोकॉल के तहत प्राइवेट पार्ट, कमर और हाथ की शारीरिक तुलना की. जैसे फिंगरप्रिंट किसी इंसान की विशिष्ट पहचान माने जाते हैं, वैसे ही इस तकनीक में शारीरिक बनावट की तुलना से ठोस निष्कर्ष निकाले गए. अदालत में ये सबूत बेहद मजबूत साबित हुए. 

इन्हीं सबूतों के आधार पर प्रज्वल रेवन्ना को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. पुलिस जांच में सबसे बड़ा आधार वही वीडियो बना, जिसे खुद प्रज्वल रेवल्ला ने अपने मोबाइल फोन (सैमसंग गैलेक्सी जे4) पर रिकॉर्ड किया था. इन वीडियो में पीड़िता को गन्निकाडा स्थित फार्म हाउस और बेंगलुरु स्थित घर पर यौन उत्पीड़न का शिकार होते साफ देखा गया. वीडियो फुटेज में पीड़िता को जबरन कपड़े उतारने और बिना सहमति के शारीरिक संबंध बनाते हुए दिखाया गया. क्राइम सीन की पहचान खुद पीड़ित महिला ने एसआईटी के सामने की थी.

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एफएसएल की रिपोर्ट में पुष्टि

फोरेसिंक साइंस लैबोरेटरी (FSL) ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सभी वीडियो असली हैं. इनमें किसी तरह की एडिटिंग या छेड़छाड़ नहीं की गई. वीडियो में आरोपी का चेहरा और आवाज दोनों स्पष्ट पहचानने योग्य थे. आरोपी की आवाज के नमूने एकत्र कर वीडियो से मिले ऑडियो ट्रैक से मिलाए गए. एफएसएल की रिपोर्ट में दोनों आवाजे एक जैसी पाई गईं. इस वैज्ञानिक विश्लेषण से साबित हो गया कि रिकॉर्ड किए गए कृत्यों में आरोपी खुद शामिल था. इसके बाद फॉरेंसिक जांच में भी प्रज्वल रेवन्ना की मौजूदगी और भी मजबूत हुई.

यह भी पढ़ें: प्रज्वल रेवन्ना की नई पहचान 'कैदी नंबर 15528'... उम्रकैद के बाद कैसी गुजरी पहली रात, जेल के अंदर क्या हुआ?

डीएनए और फोरेंसिक साक्ष्य

प्रज्वल रेवन्ना के घर के गद्दे से दाग बरामद हुए. पीड़िता के कपड़ों और बालों से नमूने एकत्र किए गए. इन दागों और नमूनों का डीएनए आरोपी के जैविक सैंपल (वीर्य और उपकला कोशिकाएं) से मिलाया गया. रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि अपराधी ने पीड़िता के साथ पहचाने गए स्थानों पर यौन संपर्क किया था. अटल बिहारी वाजपेयी रिसर्च इंस्टीट्यूट में अपराधी का मेडिकल टेस्ट कराया गया. इस दौरान एफएसएल विशेषज्ञों ने प्रज्वल रेवन्ना के प्राइवेट पार्ट की हाई-रेजॉल्यूशन तस्वीरें ली थी. इसके बाद इनका मिलान वायरल वीडियो से किया गया. 

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पीड़िता की मेडिकल जांच

फॉरेंसिक टीम ने पुष्टि की है कि वीडियो और तस्वीरों में दिख रहे प्राइवेट पार्ट बिल्कुल मेल खाते हैं. इस निर्णायक सबूत ने मामले को और मजबूत कर दिया. पीड़िता की मेडिकल जांच में यौन उत्पीड़न से जुड़ी स्पष्ट चोटें और निशान पाए गए. शरीर पर पुराने घाव, फटने के निशान, स्वाब में वीर्य और डीएनए के अंश, ये सबूत पीड़िता की गवाही को पुष्ट करते हैं. अदालत ने इन सभी को निर्णायक माना. गन्निकाडा फार्महाउस स्थित लेबर क्वार्टरों से 11 वस्तुएं बरामद हुईं. इनमें कपड़े, बाल और निजी सामान शामिल थे. इन पर आरोपी के जैविक अंश मिले.

पीड़िता की सुसंगत गवाही

इससे पीड़िता के बयान की पुष्टि हो गई. पीड़िता ने अदालत में लगातार एक ही बयान दिया, जिसे फॉरेंसिक, डिजिटल और मेडिकल सबूतों ने पूरी तरह समर्थन दिया. रिपोर्ट दर्ज कराने में हुई देरी को अदालत ने जायज ठहराया, क्योंकि पीड़िता ने राजनीतिक दबाव, धमकियों और बंधक बनाकर रखे जाने जैसे कारण बताए थे. एफएसएल ने सुनिश्चित किया कि सभी सबूत जैसे कि मोबाइल, कपड़े, स्वाब और आवाज के नमूने कानूनी प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षित रखे गए. बचाव पक्ष की आपत्तियों को अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया.

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