150 से ज्यादा आतंकी संगठन, भारत के खिलाफ साजिश और कश्मीर पर निशाना... ऐसे आतंक की फैक्ट्री बना पाकिस्तान

पाकिस्तान में 150 से ज्यादा आतंकी संगठन सक्रिय हैं, जिनका मकसद कश्मीर में आतंक फैलाना है. भारत को नुकसान पहुंचाना है. इस काम में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भी शामिल है. ये एजेंसी कैसे करती है आतंकियों की मदद? कैसे चलते हैं ये आतंकवादी संगठन? पढ़ें पूरी कहानी.

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पाकिस्तान तीन दशकों से आतंक का अड्डा बना हुआ है पाकिस्तान तीन दशकों से आतंक का अड्डा बना हुआ है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:51 PM IST

पाकिस्तान में इस वक्त 150 से ज्यादा आतंकी संगठन सक्रीय हैं. लेकिन इन आतंकी संगठनों के हिस्से सिर्फ पांच काम हैं. और इन पांच में भी सबसे ज्यादा फोकस सिर्फ एक काम पर है, और वो है कश्मीर. पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई की मदद से ये सभी आतंकी संगठन कैसे काम करते हैं? इनके लॉन्चिंग पैड कहां हैं? इनके ट्रेनर और ट्रेनिंग कैंप कहां पर हैं? आज आपको बताएंगे ये पूरी कहानी.

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तीन दशक से आतंक का खेल
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तब जो कहा था वो आज भी उतना ही सच है. हम दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं. और बस बरसों से यही दिक्कत है हमारी. ऊपर से पड़ोसी अगर पाकिस्तान हो तो ये दिक्कत नहीं मुसीबत बन जाती है. पिछले तीन दशक से पाकिस्तान सरहद पार से भारत में आतंक भेजता रहा. अब अगर ये बात खुद पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर भी ऐलानिया कह दें तो फिर शक की कोई गुंजाइश बचती ही कहां है.

PAK में न्यूक्लियर बम और 150 से ज्यादा आतंकी संगठन
2024 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया था. तब बाइडेन ने कहा था कि मुझे लगता है कि पाकिस्तान दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है. उसके पास बिना किसी निगरानी के न्यूक्लियर बम है. और 150 से ज्यादा आतंकवादी संगठन. दरअसल, बाइडेन ने तब गलत नहीं कहा था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानि UNSC ने 2024 में ये बताया था कि पाकिस्तान में 150 से ज्यादा आतंकवादी संगठन और आतंकवादियों को ब्लैकलिस्ट में डाल रखा है.

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मज़हब के नाम पर कट्टरवाद
सरहद की लकीरों को बांट कर बना था हिंदुस्तान और पाकिस्तान. मगर लकीर के उस पार जाने के बाद क्या हुआ पाकिस्तान का? जम्हूरियत के पहनावे में अकसर फौजी वर्दी का पहनावा क्यों हावी हो जाता है पाकिस्तान में? मज़हब के नाम पर क्यों कट्टरवाद को जगह दे दी जाती है पाकिस्तान में? आतंक के आकाओं को मज़हबी रहनुमाओं का दर्जा कैसे मिल जाता है पाकिस्तान में? आतंक की फैक्ट्री चलाने के लिए आतंकवादियों को सरकारी ज़मीन कैसे मिल जाती है पाकिस्तान में? यानी कुल मिला कर सवाल ये है कि आखिर पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए सबसे महफूज जगह क्यों है? 

पाकिस्तान के हर राज्य में आतंकी संगठन
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल यानि SATP की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे पाकिस्तान में एक भी ऐसा राज्य नहीं है जहां कोई आतंकवादी संगठन या आतंकवादी ना हो. दिसंबर 2023 में अमरिकी संसद में पेश एक दस्तावेज में बताया गया था कि पाकिस्तान में कुल पांच तरह के आतंकवादी संगठन काम करते हैं- 

- पहला, जो दुनिया के किसी भी देश में हमला करते हैं. 
- दूसरा, जो सिर्फ अफगानिस्तान में हमले करते हैं. 
- तीसरा, जो सिर्फ कश्मीर में हमले करते हैं. 
- चौथा, जो पाकिस्तान के अंदर ही हमला करते हैं.
- पांचवा, जो शिया बहुल इलकों पर हमले करते हैं.

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पाकिस्तान में मौजूद कुल तीन ऐसे आतंकवादी संगठन हैं, जो पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं-
 
- पहला, अलकायदा. 
- दूसरा, अलकायदा इन इंडियन सब कॉंटिनेन्ट 
- और तीसरा, इस्लामिक स्टेट खुरासान.

अफगानिस्तान के दुश्मन तालिबान और हक्कानी नेटवर्क
अफगानिस्तान पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों में जो दो सबसे बड़े संगठन है, उनमें एक है अफगान तालिबान और दूसरा, हक्कानी नेटवर्क. पाकिस्तान में फलने फूलने वाले ज्यादातर आतंकवादी संगठनों के निशाने पर शुरु से ही अगर कोई रहा है तो वो है कश्मीर. पहलगाम हमले के गुनहगार टीआरएफ जैसे शैडो संगठनों को छोड़ दें तो सिर्फ कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए पांच बड़े आतंकवादी संगठन काम कर रहे हैं. 

- पहला है हाफिज सईद की अगुवाई वाला लश्कर-ए-तैयबा 
- मौलाना मसूद अजहर का जैश-ए-मोहम्मद
- हरकत-उल जिहाद इस्लामी 
- हरकत-उल मुजाहिदीन 
- हिजबुल मुजाहिदीन

PAK में ही मिला था ओसामा-बिन-लादेन
पाकिस्तान शुरु से ही आतंक बोता रहा और आतंक की फसल काटता भी रहा. मगर जब भी उससे सवाल पूछा जाता हमेशा मुकर जाता. वो तो पहली बार पूरी दुनिया ने आतंक के मुद्दे पर उसकी चोरी तब पकड़ी जब 9/11 का गुनहगार और अल-कायदा का चीफ ओसामा-बिन-लादेन उसी की गोद में मिला. पाकिस्तान ने दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अपने घर एबटाबाद में छुपा कर रखा. 

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आतंकियों की पनाहगाह बना पाकिस्तान
कश्मीर पर बुरी नजर ड़ालने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों को पैदा किया. लश्कर सरगना हाफिज सईद को पनाह दी. जैश के चीफ मौलाना मसूद अजहर के सिर पर हाथ रखा, अफगानिस्तान से भागे तो पाकिस्तान में तालिबान के लिए जमीन मुहैया कराई. शिया-सुन्नी लड़ाई को सियासत के लिए हवा दी. और भारत का मोस्ट वॉन्टेड डॉन दाऊद इब्राहीम जब मुंबई में 93 करके हवा हुआ तो उसे भी अपनी गोद में छुपा लिया.

फौज और ISI ही चलाती है पाकिस्तान
अब इतने सारे अमन और इंसानियत के दुश्मन अगर एक साथ किसी मुल्क में हों तो एक पड़ोसी होने के नाते भारत की चिंता क्यों नहीं बढ़ेगी? पूरा पाकिस्तान और दुनिया जानती है कि पाकिस्तान को वहां की अवाम या चुनी हुई सरकार नहीं, पाक फौज और आईएसआई ही चलाती है. और इन दोनों से टकराने का मतलब क्या होता है ये पाकिस्तान के सारे सियासतदान जानते हैं. जनरल अयूब से लेकर जनरल जयाउल हक और उसके बाद जरनल परवेज मुशर्रफ से पहले का पाकिस्तान भी और बाद का पाकिस्तान भी.

आतंक का नया चेहरा सैफुल्ला कश्मीरी
मौलाना मसूद अज़हर. हाफिज़ सईद. जकीउर्रहमान लखवी. हाफिज तल्हा सईद. टाइगर मेमन. सैफुल्ला कश्मीरी. दाऊद इब्राहीम. जी हां. इन लोगों को कभी मत भूलिएगा. इन्हें हमेशा अपने ज़हन में रखिएगा. यही वो चेहरे हैं जिन्होंने अलग अलग रुप में आतंक के हज़ारों चेहरे हिंदुस्तान भेजे हैं. आतंक के इन पुराने और घाघ चेहरों में सबसे नया चेहरा ये है इसका नाम है सैफुल्ला कश्मीरी. 22 अप्रैल को पहलगाम में सैलानियों पर हमले की जिम्मेदारी जिस टीआरएफ यानि द रेजिस्टेंस फोर्स ने ली है, उसी टीआरएफ का ये चीफ है.  

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लश्कर का शैडो संगठन है TRF
टीआरएफ असल में लश्कर यानि हाफिज सईद का शैडो संगठन है. असल में जब लश्कर को आतंकवादी संगठन करार दे दिया गया तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईसआई के लिए लश्कर की फंडिंग मुश्किल हो गई इसीलिए लश्कर ने टीआरएफ ने नाम पर एक शैडो संगठन बना डाला. सैफुल्ला कश्मीरी हाफिज सईद के राइट हैंड में से एक और लश्कर की रैंकिंग में तीसरे नंबर पर है. यानि पहलगाम पर हुए हमले में सैफुल्ला कश्मीरी के जरिए सीधे हाफिज सईद का हाथ है. 

पाकिस्तान में आतंकियों के खुफिया ठिकाने
आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने के बाद से हाफिज सईद लाहौर के अपने घर को छोड़कर आईएसआई के संरक्षण में किसी गुप्त ठिकाने पर रह रहा है. इसी तरह पार्लियामेंट से लेकर कश्मीर तक कितने ही हमलों के जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर जो पिछले साल तक बहावलपुर में रहता था उसे भी आईएसआई ने गुप्त ठिकाने पर शिफ्ट कर दिया है. जकीउर्ररहमान नकवी जिसका आखिरी लोकेशन लाहौर था वो भी अब आईएसआई की निगरानी में अननोन लोकेशन पर भेज दिया गया है. टाइगर मेमन के अब भी कराची में होने की खबर है. इसी तरह दाऊद इब्राहिम का भी आखिरी पता कराची था. लेकिन अब उसे कराची के क्लिफटन से कहीं और शिफ्ट कर दिया गया है. हाफिज तलहा सईद भी लाहौर छोड़कर किसी गुप्त ठिकाने पर चला गया है. 

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PoK में 15 से ज्यादा आतंकी ट्रेनिंग कैंप
पाकिस्तान में मौजूद डेढ़ सौ आतंकवादी संगठनों में से ज्यादातर बड़े आतंकवादी संगठनों को ट्रेंड करने, ट्रेनिंग देने और ट्रेनिंग कैंप के इंतजाम करने की जिम्मेदारी अक्सर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की ही होती है. पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में ही ऐसे ज्यादातर टेरर ट्रेनिंग कैंप और लॉंचिंग पैड मौजूद है. सूत्रों के मुताबिक, इस वक्त पीओेके में 15 से ज्यादा ट्रेनिंग कैंप हैं, जिन पर भारत की भी नजर है. इसी तरीके से पीओके में 25 से ज्यादा टेरर लॉंच पैड की मौजूदगी के भी पुख्ता सबूत है.

पहलगाम के हमलावरों की पहचान
पहलगाम में 26 बेकसूर सैलानियों की मौत के लिए जिम्मेदार हमलावरों में से तीन की पहचान पाकिस्तानी के तौर पर हो चुकी है. तीनों का नाम पता और उसके पाकिस्तानी होने के पुख्ता सबूत जांच एजेंसियों के पास है. भारत सरकार ने दुनिया भर के देशों को इन सबूतों की जानकारी भी दी है. लेकिन पाकिस्तान अब भी यही कह रहा है कि पहलगाम में हुए हमले में उसका कोई रोल नहीं है. 

बर्बादी के कगार पर पहुंचा PAK 
हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है, जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर दिखावे की हमदर्दी जताई, झूठ पर सच का मुलम्मा चढ़ा कर उसे दुनिया के सामने पेश करने की कोशिश की. बल्कि सच्चाई तो ये है कि अपने वजूद में आने से लेकर अब तक पाकिस्तान सालों-साल यही तो करता रहा है. कश्मीर-कश्मीर रटते-रटते और नौजवानों को मुजाहिदीन बता-बता कर आतंकवादियों का निर्यात करते-करते आज खुद वो बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है. 

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नहीं सुधरेगा पाकिस्तान
सारी की सारी दशहत पाकिस्तान में जन्म लेती है. सारे के सारे आतंकी पाकिस्तान में पनाह लेता है. मगर फिर भी पाकिस्तान कहता है कि वो खुद आतंक का भुक्त-भोगी है. पडोसी मुल्क तो यहां तक दावा करता है कि वो इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई तो करना चाहता है मगर वो उसके मुल्क में हैं ही नहीं. और अगर हैं तो उसे उनका पता नहीं मालूम. हालांकि ये वो पता है जिसका पता सबको पता है. साफ है हमारा पड़ोसी सुधरने वाला नहीं और सच ये कि हम पड़ोसी बदल भी नहीं सकते.

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