सैफुल्ला कसूरी की साजिश, आसिफ फौजी-सुलेमान-अबु तल्हा की कायराना हरकत... पहलगाम में PAK की संलिप्तता के 7 सबूत

सैफुल्ला कसूरी की साजिश और पाक आतंकियों की करतूत से पहलगाम हमला हुआ. जानिए कैसे आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा ने इस हमले को अंजाम दिया और भारत के पास PAK की संलिप्तता के 7 बड़े सबूत हैं.

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पहलगाम हमले में शामिल पाकिस्तान के खिलाफ भारत के पास कई सबूुत हैं पहलगाम हमले में शामिल पाकिस्तान के खिलाफ भारत के पास कई सबूुत हैं

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 5:20 PM IST

Pahalgam Baisaran Valley Terror Attack Investigation: पहलगाम की जिस बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने हमला किया, उस जगह पर एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं था. यही वजह है कि अब जांच एजेसियां चश्मदीदों के बयानों के आधार पर अपनी जांच को आगे बढ़ा रही हैं. खबर ये भी है कि पहलगाम में जहां पर्यटकों की सबसे ज्यादा भीड़ हुआ करती थी, वहां पर सीआरपीएफ की दो कंपनियां तैनात रहती थीं. लेकिन कुछ महीने पहले ही सीआरपीएफ की उन दो कंपनियों में से एक को किसी दूसरी जगह पर तैनात कर दिया गया.

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NIA और फॉरेंसिक टीम ने जुटाए सबूत
पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल की दोपहर करीब तीन बजे आतंकवादियों ने 26 सैलानियों की जान ली थी. उस जगह पर उस दोपहर की वो खौफनाक निशानियां भी मौजूद थीं. कारतूस के खाली खोखे भी जहां तहां पड़े साफ नजर आ रहे थे. फिर पूरी तरह से उस जगह को सील कर दिया गया और वहां मीडिया की एंट्री पर भी रोक लगा दी गई थी. चूंकि ये एक क्राइम सीन था, लिहाजा एनआईए और फॉरेंसिंक की टीमें वहां से तमाम सबूत हासिल करने की कोशिश में जुटी थीं. 

एक घंटे में पहुंची थी CRPF की क्विक एक्शन टीम 
जिस जगह ये हमला हुआ, वहां से सबसे करीब में मौजूद सीआरपीएफ की 116 बटालिन की क्विक एक्शन टीम को भी मौका-ए-वारदात पर पहुंचने में करीब एक घंटा लग गया. दरअसल, जिस जगह हमला हुआ वहां तक गाड़ी जा ही नहीं सकती. या तो वो पैदल का रास्ता है या फिर घोड़े से जा सकते हैं. यही वजह है कि जब तक क्विक एक्शन टीम मौके पर पहुंची, तब तक आतंकवादी जंगलों में घुस कर गायब हो चुके थे. 

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चश्मदीदों के बयान पर ही टिकी है पूरी जांच
हमलावर आतंकवादियों में से जिन तीन आतंकवादी की जम्मू-कश्मीर पुलिस ने स्केच जारी की है, उन तीनों के स्केच हमले वाले दिन मौके पर मौजूद कुल 42 चश्मदीदों के बयान के बाद बनाए गए थे. असल में जहां पर ये हमला हुआ वहां एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं था. लिहाज़ा, अब एनआईए की पूरी जांच चश्मदीदों के बयान पर ही टिकी है. चश्मदीदों के बताए हुलिए के आधार पर तैयार इन स्केच की जब जांच की गई तो तीनों की शिनाख्त आसिफ फौजी, अबू तल्हा और आदिल हुसैन ठकेर के तौर पर हुई. आसिफ फौजी का कोड नेम मूसा है. जबकि अबू तल्हा का आसिफ. ये दोनों पाकिस्तानी हैं, जबकि आदिल लोकल यानी कश्मीर घाटी के अनंतनाग डिस्ट्रिक्ट के बिजबेहरा का रहने वाला है. 

लोकल आतंकी के घर को बम से उड़ाया
इसके अलावा हमले में शामिल जिन दो और आतंकवादियों की शिनाख्त हुई है, उनमें से एक का नाम सुलेमान शाह कोड नेम यूनुस और दूसरे का आसिफ शेख है. सुलेमान शाह पाकिस्तान का रहने वाला है जबकि आसिफ शेख कश्मीर के त्राल का रहने वाला है. अनंतनाग डिस्ट्रिक्ट के बिजबेहरा के रहने वाले आदिल थोकर उर्फ आदिल गुरी का घर शुक्रवार को सुरक्षा बलों ने बम से उड़ा दिया. आदिल पर हमले की साजिश बुनने और उसे अंजाम देने में पाकिस्तानी आतंकवादियों की मदद करने का इल्ज़ाम है. आदिल की पहचान होते ही शुक्रवार को सुरक्षा बल उसके घर पहुंचे और फिर उसके घर को बम से उड़ा दिया गया.

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पश्तू और कश्मीरी में बात कर रहे थे आतंकी
आदिल 2018 में अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए वैध तरीके से पाकिस्तान गया था. पाकिस्तान जाने के बाद उसने टीआरएफ के कैंप में ट्रेनिंग ली थी. ट्रेनिंग लेने के बाद 2024 में वो पास घाटी लौट आया. पहलगाम हमले के कुछ चश्मदीदों ने बताया​ था कि कुछ आतंकी आपस में पश्तू भाषा में बातचीत कर रहे थे, जबकि दो लोग कश्मीरी जुबान में. इसी के बाद आदिल और आसिफ की पहचान हो पाई. आदिल की बहन ने बताया कि वो घर से चला गया था नहीं पता कहां गया. 

बुल्डोजर से गिराया गया एक आतंकी
आदिल के अलावा हमले में शामिल दूसरे लोकल आतंकवादी आसिफ शेख के त्राल में मौजूद घर को भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बुल्डोजर से गिरा दिया है. हालांकि, आदिल और आसिफ के साथ-साथ बाकी के तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों की तलाश अब भी जारी है. उनकी तलाश में सेना, पैरा मिलिट्री फोर्सेज और लोकल पुलिस लगातार जंगलों को खंगालने में जुटी हैं. शक है कि सभी आतंकवादी अब भी जंगल में ही छुपे हैं.

दो सालों से घाटी में एक्टिंव थे मूसा और अबू तल्हा
अब तक जांच में ये भी सामने आया है कि मूसा और अबू तल्हा पिछले करीब दो सालों से घाटी में एक्टिंव हैं. मूसा के बारे में अंदेशा है कि वो सितंबर 2023 में सरहद पार घाटी पहुंचा था जबकि तल्हा मूसा के बाद घाटी आया. सूत्रों के मुताबिक सरहद पार कर मूसा पहले श्रीनगर के करीब बडगाम डिस्ट्रिक्ट पहुंचा और इसी इलाके को अपने ऑपरेशन के लिए चुना. जबकि तल्हा श्रीनगर के बाहर दचीगाम के जंगलों में एक्टिव था. दचीगाम नेशनल पार्क त्राल से जाकर जुड़ता है और फिर घने जंगलों से होता हुआ पहलगाम तक पहुंचताा है. सूत्रों के मुताबिक पहलगाम हमले के दौरान तीनों पाकिस्तानी आतंकवीदियों की लोकल आतंकवादी आदिल और आसिफ ने बतौर गाइड भी मदद की. 

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NIA कर रही जांच में मदद
फिलहाल जांच की कमान संभाले एनआईए जांच टीम के हेड इंस्पेक्टर जनरल विजय शंकर श्रीनगर में ही अपनी टीम के साथ मौजूद हैं और जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद से हमले से जुडड़े सारे सबूतों को इक्ट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं.

भारत के पास PAK के खिलाफ सबूत
इस आतंकवादी हमले में तीन पाकिस्तानी आतंकियों के शामिल होने की बात सामने आ चुकी है. भारतीय एजेंसियों ने ना सिर्फ ऐसा दावा किया है, बल्कि बाकायदा तीन आतंकवादियों के नाम उनकी स्केच भी जारी किए हैं. लेकिन हमेशा की तरह पाकिस्तान ने इस वारदात में अपना हाथ होने की बात से इनकार किया है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर भारत के पास ऐसे कौन-कौन से सबूत हैं, जो ये साबित करते हैं कि पहलगाम हमले में पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ है? 

पाकिस्तान में ही रहता है सैफुल्ला कसूरी उर्फ खालिद 
तो आइए इसका जवाब स्टेप बाइ स्टेप समझने की कोशिश करते हैं. हमले के लिए टीआरएफ का जिम्मेदारी लेना टीआरएफ यानी द रिजेस्टेंस फ्रंट एक ऐसा आतंकवादी संगठन है, जिसका जन्म ही लश्कर-ए-तैय्यबा से हुआ है और इसी आतंकवादी संगठन ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली है. और तो और इस हमले का अंजाम दिलाने वाला टीआरएफ का कमांडर सैफुल्ला कसूरी उर्फ खालिद भी पाकिस्तान में ही रहता है. ऐसे में कायदे से अब ये साबित करने की जरूरत ही नहीं बचती कि हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ है, क्योंकि पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन खुद ही इसके लिए जिम्मेदारी ले रहा है. ये और बात है कि पाकिस्तान की हुकूमत सबकुछ जानते हुए भी इन बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं.

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सुरक्षा एजेंसियों के सामने बड़े सवाल
तीनों आतंकवादियों की पहचान मामले की तफ्तीश में जुटी भारतीय एजेंसियों ने सिर्फ आतंकवादियों के पाकिस्तानी होने का दावा ही नहीं किया है, बल्कि उनकी पहचान भी क्लीयर कर दी है. मसलन, उनके नाम क्या हैं? वो कहां के रहने वाले हैं? उन्हें कहां और कब ट्रेनिंग मिली है? उन्होंने कैसे भारत में घुसपैठ की? ये सारी जानकारी फिलहाल भारतीय एजेंसियों के पास हैं, जो अपने-आप में पुख्ता और बड़ी बात है. इन तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों के नाम आसिफ फुजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं और चश्मदीदों के हवाले से बाकायदा इनके स्केच भी जारी कर दिए गए हैं. 

घात लगा कर बेगुनाह सैलानियों का कत्ल
टीआरएफ से जुड़े ये तीनों के तीनों आतंकी पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर यानी पीओके के रहने वाले हैं। जबकि इनके संगठन की सारी गतिविधियां पाकिस्तान के गुजरांवाला इलाके से संचालित होती हैं वगैरह. इन तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों के नाम आसिफ फुजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा हैं, जो पीओके के रहने वाले हैं. हमले का तरीका भी हु-ब-हू पाकिस्तानी आतंकियों जैसा है जिस तरह से हमलावरों ने पहले भारत पाकिस्तान सीमा से घुसपैठ की, जिस तरह से वो कई महीनों तक जंगलों में छुपे रहे और जिस तरह उन्होंने घात लगा कर बेगुनाह सैलानियों को निशाना बनाया. 

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पाकिस्तानी आतंकियों की पुरानी मॉडस ऑपरेंडी
सिक्योरिटी एजेंसीज के मुताबिक वो पाकिस्तानी आतंकवादियों की पुरानी मॉडस ऑपरेंडी रही है. पाकिस्तानी आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में पहले भी इसी तरीके से कई आतंकवादी हमलों को अंजाम देते आए हैं. ये और बात है कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में इससे पहले इतना बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ था और पहले आतंकवादियों ने इस तरह चुन-चुन कर सैलानियों को निशाना भी नहीं बनाया था. सिर्फ तरीका ही नहीं ट्रेनिंग भी पाकिस्तान के जैसी आतंकवादी जिस तरह से जंगल में छुप कर बैठे थे, जिस तरह से उन्होंने हमले में अत्याधुनिक हथियारों और दूसरे गैजेट्स का इस्तेमाल किया और जैसे वो वारदात को अंजाम देकर फिर से जंगलों में गायब हो गए, वैसी ट्रेनिंग पाकिस्तानी फौज ही आतंकवादियों को देती रही है.

अत्याधुनिक और सॉफिस्टिकेटेड हथियारों का इस्तेमाल
चश्मदीदों से मिली जानकारी और गन शॉट्स को देख कर ये साफ है कि हमले में एके-47 जैसे अत्याधुनिक और सॉफिस्टिकेटेड हथियारों का इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा हमलावरों के पास बॉ़डी कैम, ट्रैकिंग एप और तमाम तरह के आधुनिक साजो सामान थे, जो बगैर फौजी ट्रेनिंग के मुमकिन ही नहीं है. घने पहाड़ी जंगलों में शून्य के आस-पास वाले तापमान के बीच रहना और उन जंगलों में खुद को छुपाते हुए लगातार पैदल चलना कोई आसान काम नहीं है. ऐसा काम वही कर सकता है, जिसे बाकायदा फौजी ट्रेनिंग मिली हो और पहलगाम हमले को अंजाम देने का तरीका आतंकवादियों के इसी फौजी ट्रेनिंग का सबूत है.

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दोनों कश्मीरी आतंकियों को पाकिस्तान में मिली ट्रेनिंग 
इसके अलावा जिन दो भारतीय आतंकियों के इस हमले में शामिल होने की बात साफ हुई है, उनकी भी पाकिस्तान में ट्रेनिंग की बात सामने आई है. आदिल गुरी उर्फ आदिल हुसैन थोकर और आसिफ शेख के बारे में ये जानकारी सामने आई है कि दोनों ना सिर्फ द रेजिस्टेंस फ्रंट नाम के आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए हैं, बल्कि इन्होंने आतंकी हमले के लिए बाकायदा पाकिस्तान में जाकर ट्रेनिंग भी ली है. फौज से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि बिजबहेरा का रहने वाला गुरी 2018 में अटारी वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान गया था और वहां उसने आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की ट्रेनिंग ली. उसने आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप में बाकायदा कमांडोज जैसी ट्रेनिंग हासिल की और पिछले साल यानी 2024 में ही वो जम्मू-कश्मीर वापस लौटा था. 

कश्मीर के दोनों आतंकवादियों की भी पाकिस्तान में हुई ट्रेनिंग दो कश्मीरी आतंकी आदिल गुरी उर्फ आदिल हुसैन थोकर और आसिफ शेख के बारे में ये जानकारी सामने आई है कि दोनों ना सिर्फ द रेजिस्टेंस फ्रंट नाम के आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए हैं, बल्कि इन्होंने आतंकी हमले के लिए बाकायदा पाकिस्तान में जाकर ट्रेनिंग भी ली है.

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