पाकिस्तान की विशेष अदालत ने आतंकी सरगना हाफिज सईद को दो मामलों में 10 साल कैद की सजा सुनाई है. हाफिज सईद इससे पहले भी कई बार कानून के शिकंजे में रहा लेकिन वो हमेशा छूट जाता था. लेकिन इस बार वो आतंकवाद निरोधी अदालत की सख्ती के चलते सजा पा गया. हाफिज सईद भारत को दहला देने वाले मुंबई हमले का मास्टरमाइंड भी है. वो पहले लश्कर-ए-तैयबा नाम का आतंकी संगठन चलाता था. मगर उसके बैन हो जाने पर उसने जमात-उद-दावा नाम के संगठन की स्थापना की. हम आपको बता रहे हैं इन संगठनों के बारे में.
लश्कर-ए-तैयबा
वर्ष 1987 में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की नींव अफगानिस्तान के कुन्नार प्रोविंस में रखी गई थी. लश्कर-ए-तैयबा का अर्थ अच्छाई की सेना होता है. लेकिन हाफिज सईद ने इस संगठन के जरिए केवल बुरे काम किए. और गुनाहों की इबारत लिख दी. हाफिज सईद के साथ-साथ अब्दुल्ला आजम और जफर इकबाल नाम के दो और शख्स इस संगठन की स्थापना में शामिल थे.
सबसे बड़ी बात ये है कि लश्कर-ए-तैयबा की फंडिंग अल कायदा के सरगना आतंकी ओसामा बिन लादेन ने की थी. आतंकी संगठन लश्कर का मुख्यालय पंजाब प्रांत के मुरीद में मौजूद है, जो लाहौर के करीब है.
दिसंबर 2001 में अमेरिका ने लश्कर को अपनी आतंकी लिस्ट में शामिल कर दिया था. भारत ने भी इसे एक कानून के तहत बैन कर दिया था. 26 दिसंबर 2001 को अमेरिका ने इसे एफटीओ यानी फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन करार दिया. 30 मार्च 2001 को ब्रिटेन ने इसे प्रतिबंधित संगठन करार दिया. अमेरिका और ब्रिटेन के प्रतिबंध के करीब चार वर्ष बाद यूनाइटेड नेशंस ने मई 2005 में इस पर बैन लगाया था. आज जो परवेज मुशर्रफ लश्कर और हाफिज का समर्थन करते हैं, उन्होंने तख्तापलट के 3 वर्ष बाद यानी 12 जनवरी 2002 को इस संगठन को बैन कर दिया था.
वर्ष 1993 में लश्कर-ए-तैयबा ने पहली बार जम्मू-कश्मीर में दस्तक दी थी. उस वक्त 12 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कुछ अफगानी नागरिकों के साथ मिलकर एलओसी पार की थी. हाफिज सईद के संगठन ने इस्लामी इंकलाबी महाज नामक एक आतंकी संगठन के साथ पुंछ में अपना नेटवर्क बढ़ाना शुरू किया था. आतंकी हाफिज सईद कश्मीर के लोगों को जेहाद के नाम पर भड़काना चाहता था.
हाफिज सईद के इस आतंकी संगठन ने 90 के दशक में जेहाद को लेकर घाटी में हजारों पर्चे बांटे थे. उन पर्चों में भारत में इस्लामिक शासन वापस बहाल करने की बात भी लोगों से कही गई थी. उस वक्त पाकिस्तान से हाफिज को लश्कर के लिए फंड मिलता था. ये काम वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई के माध्यम से किया जाता था.
साल 2002 में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने दान के नाम पर कश्मीर में चंदा जमा करना शुरू किया था. इसके बाद उसने दूसरे देशों तक अपना नेटवर्क विकसित किया. नतीजा ये हुआ कि इस संगठन को यूनाइटेड किंगडम के साथ-साथ पर्शियन गल्फ, पाकिस्तान और कश्मीर के कुछ कारोबारियों से भी पैसा मिलने लगा था.
वर्ष 2008 में मुंबई हमले के बाद जब हाफिज सईद पर शिकंजा कसा. भारत ने उसके खिलाफ मिले सबूतों को पूरी दुनिया के सामने रखा तो पाकिस्तान पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया. क्योंकि उसने वहीं पनाह ले रखी थी. इसके बाद उसके संगठन लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लग गया. जो अंतरराष्ट्रीय स्तर से लेकर पाकिस्तान तक था.
जमात-उद-दावा
लश्कर पर बैन लगने के बाद हाफिज सईद ने दूसरा रास्ता निकाला. उसने जमात-उद-दावा नाम से नए संगठन की शुरुआत की. जो लश्कर के नाम पर पाक अधिकृत कश्मीर में मदरसों के नाम पर आतंकी कैंप चलाने लगा. पाकिस्तान के कई हिस्सों में हाफिज के आतंकी कैंप मौजूद हैं. बताया जाता है कि शातिर हाफिज सईद ने जमात-उद-दावा को मुंबई हमले से पहले ही स्थापित कर लिया था. लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया था. लश्कर पर बैन के बाद उसने इस संगठन को आगे बढ़ाया.
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान ने जब जमात-उद-दावा पर भी शिकंजा कसना शुरू किया तो हाफिज ने फलाह-ए-इंसानियत के नाम से टेरर फंडिंग का खेल शुरू किया. हालांकि जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत के नाम पर चलने वाले 160 मदरसे, 32 स्कूल, दो कॉलेज, चार हॉस्पिटल, 178 एंबुलेंस और 153 डिस्पेंसरी को पंजाब पुलिस ने सीज कर दिया था. हाफिज सईद अपने संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत को चैरिटी को समर्पित बताता है.
परवेज़ सागर