नाभा जेल ब्रेक केस के संबंध में लगातार सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं. पुलिस पूछताछ में हरमिंदर सिंह मिंटू ने बताया है कि जेल ब्रेक से एक दिन पहले उसने स्काइप के जरिए पाकिस्तानी हैंडलर हरमीत से बात की थी. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की KLF के जरिए पंजाब में आतंकवाद बहाल करने की योजना थी. इसलिए बाकयदा पैसे उपलब्ध कराए गए थे.
जानकारी के मुताबिक, KLF आतंकी हरमीत ही जेल ब्रेक का असली मास्टरमाइंड है. वह पाकिस्तान के लाहौर के डेरा छाल गांव में ISI के संरक्षण में बैठकर इस साजिश को अंजाम दे रहा था. ISI मिंटू को जेल से भगाकर उसके नेतृत्व में पंजाब में आतंकवाद फैलाना चाहती थी. मिंटू ने साल 2009-2014 के बीच कंबोडिया, म्यांमार और थाइलैंड आदि देशों में मजबूत पकड़ बनाई थी.
यह भी पता चला है कि जर्मनी में बैठे KLF समर्थक वेस्टर्न यूनियन मनी के जरिए मिंटू को पैसा भेज रहे थे. जेल ब्रेक की घटना के दिन करीब एक लाख रुपये शगुन स्वीट शॉप के मालिक के जरिए मिंटू को भेजे जाने थे. आरोपी मिठाई के डिब्बे में पैसे भरकर जेल के अंदर पहुंचाया करता था. चूंकि उसी दिन जेल ब्रेक की घटना हो गई, सो मिंटू को पैसे नहीं मिल पाए.
बताते चलें कि नाभा के सहायक जेल अधीक्षक, हेड वार्डन जगमीत सिंह और दुकानदार तजिंदर शर्मा को जेल ब्रेक की साज़िश के लिए उकसाने और अंजाम देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. आरोप है कि हैप्पी दोनों पुलिस अफसरों की मदद से ही जेल के अंदर डिब्बे में रुपये रखकर पहुंचाया करता था. इसके साथ ही पुलिस ने एक और शख्स की पहचान की है.
इस शख्स के घर में आतंकियों ने कपड़े बदल कर वर्दी पहनी थी. वहीं, पुलिस जांच के पंरपरागत तरीकों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. सोशल मीडिया के जरिए जिस तरह जेल ब्रेक की घटना को फिल्मी अंदाज में हाईटेक तरीक से अंजाम दिया गया, ऐसे में पुलिस की जांच भी हाईटेक होनी चाहिए. आतंकी मिंटू ने जेल में सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया था.
मुकेश कुमार / हिमांशु मिश्रा