भारत-पाक युद्ध हुआ तो 'परमाणु सर्दी' से तबाह हो जाएगी आधी दुनिया!

Indo-Pak War अगर भारत-पाक के बीच जंग शुरू हो गई तो एक हफ्ते में दो करोड़ दस लाख लोग मारे जाएंगे. आधे से ज्याद उसी वक्त बम की तपिश से जल जाएंगे और जो बाकी जो बचेंगे वो रेडिएशन से मारे जाएंगे.

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परमाणु हमले के बाद आधी दुनिया के दो अरब लोग भूख से मर जाएंगे परमाणु हमले के बाद आधी दुनिया के दो अरब लोग भूख से मर जाएंगे

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बराबर बना हुआ है. मगर फिलहाल ऐसा भी नहीं कि दोनों देश खुद को जंग में झोंक दें. पर मान लें कि अगर दोनों देश जंग में कूद पड़ते हैं और फिर कहीं भारत-पाक के बीच परमाणु जंग शुरू हो गई तो क्या होगा? तस्वीर बेहद भयानक होगी. एक हफ्ते में ही दो करोड़ दस लाख लोग मारे जाएंगे. आधे से ज्याद लोग बम की तपिश से झुलस जाएंगे. जो बचेंगे वो रेडिएशन से मारे जाएंगे. दुनिया की आधी ओज़ोन परत बर्बाद हो जाएगी. आधी दुनिया से सर्दी-गर्मी का मौसम ही खत्म हो जाएगा. दुनिया को परमाणु सर्दी तबाह कर देगी. वनस्पतियों और पेड़-पौधों के निशान तक मिट जाएंगे. आधी दुनिया के दो अरब लोग सर्फ भूख से मर जाएंगे.

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आधी दुनिया भुगतेगी खामियाजा

बात सिर्फ हिंदुस्तान और पाकिस्तान की नहीं है. दाव पर आधी दुनिया है. जी हां, अगर गलती से भारत-पाकिस्तान के बीच जंग होती है और उस जंग में दोनों देश अपने सिर्फ आधे परमाणु बम का ही बटन दबा दें, तो हिंदुस्तान और पाकिस्तान में तो एक झटके में ही दो करोड़ दस लाख लोग मारे जाएंगे. मगर इसका असर ना सिर्फ बाकी पड़ोसी मुल्कों बल्कि आधी दुनिया को भी झेलना पड़ेगा.

खौफनाक होगा असर

भारत और पाकिस्तान के पास जो परमाणु बम हैं. उनमें से हर बम हिरोशिमा पर गिराए गए 15 किलोटन वाले बम के बराबर हैं. ये बम जैसे ही गिरेंगे सबसे पहले इसकी गर्मी, तपिश और रेडिएशन लोगों को मारेगी. उसके बाद भी जो बच जाएंगे उनके लिए जीना इतना आसान नहीं होगा. भोपाल गैस के तीस साल बाद आज तीसरी पीढ़ी भी बीमार पैदा हो रही है. फिर ये तो परमाणु बम है. अंदाजा लगाइए इसका असर कितना लंबा और खतरनाक होगा.

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बर्बाद हो जाएगी ओज़ोन परत

बमों के रेडिएशन का असर लोगों को सिर्फ तड़पाएगा ही नहीं बल्कि बाकी दूसरे तरीकों और नतीजों से भी उन्हें तिल-तिल कर मरेगा. वैज्ञानिकों की मानें तो इतने रेडिएशन से वायुमंडल में ओज़ोन परत बर्बाद हो जाएगी. अब वायुमंडल से ओजोन परत के गायब होने या बर्बाद होने का मतलब ये है कि हवा से वो गैस ही खत्म हो जाएगी जो मौसम को बदलती है. यानी आधी दुनिया में सर्दी-गर्मी के फिक्स मौसम का सिलसिले ही बंद हो जाएगा. ऐसे में बहुत मुमकिन है कि इस जंग के बाद ऐसी भयानक सर्दी पड़े कि दुनिया से वेजीटेशन यानी पेड़-पौधों का नामो-निशान ही मिट जाए. ऐसे में इंसानों की हालत क्या होगी ये सझा जा सकता है.

मारे जाएंगे 2 करोड़ से ज्यादा लोग

वैज्ञानिकों की मानें तो दोनों देशों के बीच एटमी जंग की सूरत में 2 करोड़ 10 लाख लोगों की मौत तो पहले ही हफ्ते में हो जाएगी. मौतों का ये आंकड़ा दूसरे विश्व युद्ध में मारे गए लोगों की तादाद के मुकाबले आधी होगी. इतना ही नहीं मौत का ये आंकड़ा हिंदुस्तान में पिछले 9 सालों में आतंकवादी हमलों में मारे गए आम लोगों, पुलिस, जवान और सुरक्षा बलों की कुल तादाद से 2 हज़ार 221 गुना ज़्यादा होगी. कहने का मतलब है कि इस वक्त आतंकवादी इंसान और इंसानियत को जितना नुकसान पहुंचा रहे हैं, परमाणु युद्ध उससे 2 हज़ार गुना ज़्यादा इंसानों की जान लेगा.

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हालत ये होगी कि दुनिया के एक बड़े इलाक़े से पेड़-पौधों और वनस्पतियों का नामो-निशान तक मिट जाएगा. वेजीटेशन यानी पेड़-पौधों का नामो-निशान भी खत्म हो जाएगा. और सिर्फ़ इसी वजह से लगभग 2 अरब लोग भूख से मारे जाएंगे. ये आंकड़े 2013 में भौतिक वैज्ञानिकों के अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने परमाणु युद्ध रोकने के लिए किए गए एक अध्ययन के बाद जारी किए थे.

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