दिल्ली के शातिर अपराधीः ठगी के नए-नए तरीके, झांसा देकर लोगों को बनाते हैं शिकार

दिल्ली के हरि नगर में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सीसीटीवी फुटेज सामने आई है. जिसमें देखा जा सकता है कि बैंक के बाहर इस वक्त कई लोग अपने-आपने काम से मौजूद हैं. लेकिन इन्हीं लोगों में एक लंबे क़द का शख्स भी है, जिसने अपने सिर पर कैप और मुंह पर मास्क लगा रखा है.

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CCTV में कैद ठगी की वारदात देखकर पुलिसवाले भी हैरान हैं CCTV में कैद ठगी की वारदात देखकर पुलिसवाले भी हैरान हैं

शम्स ताहिर खान

  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:26 PM IST
  • दिल्ली के शातिर ठगों की करतूत
  • बैंक के सीसीटीवी में कैद ठगी की वारदात
  • बैंक में मदद करने के नाम पर होती है ठगी

चोरी और ठगी का इतिहास सदियों पुराना है. जब जब दौर बदला चोरी और ठगी का तरीका भी बदल गया. आमतौर पर चोर या ठग वारदात को अंजाम देते वक्त ये देखते हैं कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा. जब उन्हें आस-पास कोई इंसान नजर नहीं आता तो वे अपना काम करके आराम से निकल जाते हैं. लेकिन जब से तीसरी आंख आई है, तब से उनका काम मुश्किल हो गया है. अब चोर और ठगों को पता हीं नहीं चलता कि तीसरी आंख भी उन्हें देख रही है. और इसी वजह से कई सारे मामले सुलझ जाते हैं. दिल्ली में ऐसे कई वारदातें सामने आई हैं. 

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दिल्ली के हरि नगर में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सीसीटीवी फुटेज सामने आई है. जिसमें देखा जा सकता है कि बैंक के बाहर इस वक्त कई लोग अपने-आपने काम से मौजूद हैं. लेकिन इन्हीं लोगों में एक लंबे क़द का शख्स भी है, जिसने अपने सिर पर कैप और मुंह पर मास्क लगा रखा है. असल में वो जिस काम से बैंक आया है, वो बहुत ही बुरा और गिरा हुआ काम है. चंद मिनटों तक उस शख्स पर निगाह रखने पर पता चलता है कि उसका इरादा नेक नहीं है.

वीडियो में दिखता है कि वो बैंक के बाहर अपने शिकार की तलाश कर रहा है. ये जानने में लगा है कि किसकी जेब में मोटी है, किसकी जेब काटी जा सकती है. इसी कोशिश में वो पहले एक शख्स के बिल्कुल करीब जाकर खड़ा हो जाता है. उसे बातों में उलझा कर उसकी जेब भी टटोलता है. लेकिन जब उसे अहसास हो जाता है कि उसकी जेब में ज़्यादा पैसे नहीं हैं, वो उसे टार्गेट करने का इरादा बदल देता है. 

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ऐसा भी नहीं है कि वो वहां अकेला है, बल्कि उसके साथ उसका एक ऑटो ड्राइवर साथी भी बैंक के बाहर मौजूद है. वो मौका ताड़ कर उसके पास आता है और फिर कुछ बातें करने के बाद दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते हैं. अब बारी है दूसरे शिकार के तलाश की. लिहाज़ा, वो पहले बाहर से झांक कर बैंक के भीतर देखता है और फिर अंदर दाखिल हो जाता है. ऐसा नहीं है कि बैंक में सुरक्षाकर्मी नहीं हैं. सुरक्षाकर्मी भी हैं लेकिन उन्हें एक ट्रांसफार्मर के पीछे छुप कर गप्पें हांकने से फुर्सत नहीं है. बहरहाल, जब सुरक्षाकर्मी ही खुमारी में हों, तो फिर चोरों को कौन रोक सकता है.

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बैंक के अंदर की सीसीटीवी फुटेज में देखने पर पता चलता है कि वही लंबे क़द का शख्स यहां काउंटर पर आकर खड़ा हो गया है. उसने ना तो रुपये निकालने हैं और ना जमा करने हैं. फिर भी वो काउंटर पर कुछ ऐसे खड़ा है, जैसे अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा हो. लेकिन उसका असल मकसद है अपने लिए एक शिकार की तलाश करना है. यही वजह है कि वो लाइन में आगे भी नहीं बढ़ता. कोशिश जारी रहती है और फिर आख़िरकार उसकी नज़र एक बुजुर्ग शख्स पर पड़ती है, जो बैंक से रुपये निकालने पहुंचे हैं. वो मामला भांप जाता है और अपना सारा ध्यान बुजुर्ग पर टिका देता है. 

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बुजुर्ग आने वाले खतरे से बेखबर अपनी जेब से चैक निकाल कर काउंटर की ओर बढ़ाते हैं. यानी अब घात करने का मौका और क़रीब आ चुका है. किसी भी वक़्त वो रुपये लूट सकता है. लिहाज़ा, वो चंद सेकेंड्स से लाइन से हट कर बैंक के बाहर जाता है और अपने ऑटो ड्राइवर साथी को अलर्ट कर आता है. जाते-जाते वो लाइन में खड़े दूसरे लोगों को अपनी जगह सुरक्षित रखने की बात भी कह कर जाता है, ताकि लोगों को लगे कि वो भी कोई कस्टमर है और अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा है. 

चंद सेकंड्स में ही वो अपने ऑटो ड्राइवर साथी अलर्ट कर वापस लाइन में आकर खड़ा हो जाता है. अब बारी है टार्गेट हिट करने की. उधर, चैक लेने के बाद कैशियर फ़ौरन बुजुर्ग शख्स को 45 हज़ार रुपये थमा देता है. लंबे क़द का ये ठग अब हरकत में आता है. वो बुजुर्ग से नोटों पर निशान ना होने की बात कह कर उन्हें चेक करने की सलाह देता है. बुजुर्ग उसकी बातों में आ जाते हैं. वो वहीं काउंटर पर खड़े होकर नोट चैक करने लगते हैं. ठग उन्हें मदद करने का झांसा देता है. उनसे नोट लेता है और उन्हें उनके सामने ही चेक करने लगता है. लेकिन इसी बीच हाथ की सफ़ाई दिखाते हुए 45 हज़ार की गड्डी से कुछ नोट खिसका कर अपनी जेब में भर लेता है और बाकी रुपये बुजुर्ग को थमा देता है.

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लेकिन इससे पहले कि बुजुर्ग कुछ समझ पाएं, वो इतनी तेज़ी से नौ दो ग्यारह होता है कि बस पूछिए मत. हालांकि ठगी का शिकार हो चुके बुजुर्ग को कुछ ही पल में ये समझ में आ जाता है कि उनकी गड्डी से नोट कम हो चुके हैं. अब वो भी उल्टे पांव बैंक से बाहर निकल चुके ठग की तरफ़ भागते हैं. लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है. ठग बैंक से बाहर निकल कर ऑटो में बैठ चुका होता है. बुजुर्ग शोर मचा कर ऑटो की तरफ़ भागते हैं. लेकिन ऑटो ड्राइवर भी ठग ठहरा. वो पूरी रफ्तार से ऑटो भगा ले जाता है. बुजुर्ग कुछ दूर तक ऑटो के पीछे-पीछे भागते हैं. लेकिन कोई फायदा नहीं होता.

ठगी की ये कहानी अभी खत्म नहीं हुई. ध्यान से देखने पर पता चलता है कि बैंक के सिक्योरिटी गार्ड अभी भी ट्रांसफार्मर के पीछे खड़े होकर गप्पे हांक रहे हैं. फिलहाल, इस वारदात को हफ्ते भर का वक़्त गुज़र चुका है. लेकिन दिल्ली पुलिस भी इन ठगों का पता नहीं लगा पाई है.
 

 

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