इटली का दावाः पहली बार कोरोना वायरस को न्यूट्रलाइज़ करने में मिली कामयाबी

इजराइल के बाद इटली ने भी घोषणा की है कि उसने कोरोनावायरस के इलाज की वैक्सीन बना ली है. और सबसे बड़ी बात ये कि ये वैक्सीन जानवरों के अलावा इंसानों पर भी काम कर रही है. माना जा रहा है कि इस स्टेज तक पहुंचने वाली दुनिया की ये पहली वैक्सीन है.

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कोरोना की दवा बनाने के लिए कई देशों के वैज्ञानिक और डॉक्टर रात दिन रिसर्च कर रहे हैं कोरोना की दवा बनाने के लिए कई देशों के वैज्ञानिक और डॉक्टर रात दिन रिसर्च कर रहे हैं

aajtak.in / परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2020,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST

  • इटली के स्पैलैंजानी हॉस्पिटल में हुआ वैक्सीन टेस्ट
  • वैक्सीन ने मानव कोशिकाओं से खत्म किया वायरस

इस वक्त पूरी दुनिया में 80 लैब्स में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की कोशिश की जा रही है. कई जगह वैक्सीन बना लेने का दावा भी किया जा रहा है. तो कहीं वैक्सीन का बस इंसानों पर ट्रायल होना बाकी है. तो कुछ देश ऐसे भी हैं जो वैक्सीन का विकल्प खोज रहे हैं. इसी सिलसिले में अब इटली ने दावा किया है कि उसने जानवरों पर अपनी वैक्सीन का कामयाब टेस्ट कर लिया है. और अब वो इस वैक्सीन को इंसानों पर टेस्ट करने के लिए तैयार है.

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इजराइल के बाद इटली ने भी घोषणा की है कि उसने कोरोनावायरस के इलाज की वैक्सीन बना ली है. और सबसे बड़ी बात ये कि ये वैक्सीन जानवरों के अलावा इंसानों पर भी काम कर रही है. माना जा रहा है कि इस स्टेज तक पहुंचने वाली दुनिया की ये पहली वैक्सीन है. और तो और राजधानी रोम में इंफेक्शियस डिसीज़ के हॉस्पिटल स्पैलैंजानी में इसका कामयाब परीक्षण भी किया जा चुका है.

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बताया जा रहा है कि रोम के स्पैलैंजानी हॉस्पिटल में इस वैक्सीन से चूहों में एंटीबॉडी विकसित किए गए. विकसित एंटीबॉडी वायरस को कोशिकाओं पर हमला करने से रोकेंगी. टेस्ट के दौरान पाया गया कि पांच टीकों ने बड़ी तादाद में एंटीबॉडी पैदा किए और इनमें से दो से तो बेहतरीन नतीजे मिले. लिहाज़ा इन्हीं पर और रिसर्च हुई जिसके बाद ये वैक्सीन तैयार किए जाना का दावा हुआ.

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अब सवाल है कि ये वैक्सीन कितनी जल्द लोगों तक पहुंच पाएगी, ताकि जल्द से जल्द दुनिया से कोरोना का पैकअप हो सके. तो आपको बता दें कि इस वैक्सीन की बड़ी बात ये है कि इसने लैब में इंसानी कोशिकाओं पर पॉज़िटिव असर भी दिखाना शुरु कर दिया है. और अब तो वैक्सीन की टेस्टिंग सबसे एडवांस स्टेज में है. लिहाज़ा जल्द ही इंसानों पर भी इसका टेस्ट कर दिया जाएगा. इटली की टैकिज बॉयोटेक ने इस वैक्सीन को विकसित किया है. जो फिलहाल दुनिया की बड़ी मेडिसिन मैनुफैक्चरिंग कपंनियों से करार करने में जुट गई है ताकि बड़ी तादाद में इसका प्रोडक्शन हो सके.

कुल मिलाकर कोरोना की वैक्सीन बनने में देर भले हो रही हो. लेकिन ऐसा लग रहा है कि जल्द ही कोई ना कोई कोरोना की वैक्सीन लेकर बाज़ार में उतरने वाला है. मगर वैक्सीन लाने की जल्दबाजी में कहीं कोई दूसरा बड़ा खतरा ना पैदा हो जाए. इसलिए WHO इन तमाम ट्रायल पर अपनी नज़र बनाए हुए है. और इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए ब्रिटेन ने भी इस बात की आशंका जताई है कि कोरोना वैक्सीन की जो डेडलाइन उसने तय की थी. उसमें अभी थोड़ा और वक्त लग सकता है. आपको बता दें कि ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड यूनिविर्सिटी की लैब में कोरोना के दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन ट्रायल चल रहा है.

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अप्रैल के आखिरी हफ्ते में शुरु हुए इस ट्रायल में ब्रिटेन की माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एलिसा ग्रैनेटो को कोविड-19 का पहला टीका लगाया गया. वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए आठ सौ लोगों में से एलिसा ग्रैनेटो को चुना गया था. जबकि ह्यूमन ट्रायल के दूसरे चरण के लिए 18 से 55 साल तक के स्वस्थ लोगों का चयन किया गया है. हालांकि अभी वैक्सीन के पहले ट्रायल के नतीजे की ही पुख्ता तस्दीक होनी बाकी है. सबसे बड़े पैमाने पर वैक्सीन के ट्रायल के मामले में ब्रिटेन दुनिया के बाकी देशों से आगे है. मगर इसका ये मतलब नहीं है कि वैक्सीन जल्दी आ जाएगी. इससे पहले ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब भी साफ कर चुके हैं कि इस साल वैक्सीन का आना मुमकिन नहीं हो पाएगा.

यूं तो ब्रिटेन खुद ही कोरोना का बड़ा भुक्तभोगी है. फिर भी वो कोरोना की वैक्सीन के मामले में किसी भी जल्दबाजी से बचना चाहता है ताकि इस चक्कर में किसी और बड़े खतरे का सामना न करना पड़ जाए. लेकिन ये भी मान के चलिए कि अगर वैक्सीन को इस साल तक नहीं बनाई गई. तो इस वायरस की वजह से दुनिया कई साल पीछे चली जाएगी.

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