Bhilai Murder Case: जमीन में 6 फीट नीचे लाश दफन कर लगा दिए थे पौधे, लास्ट कॉल ने खोला हाई प्रोफाइल मर्डर का राज

खौफनाक साजिश से लबरेज़ जुर्म की ये ऐसी दास्तान है, जो इस तरह से उलझी हुई थी कि उस वक्त एक पूरे सूबे की पुलिस और सरकार को इस केस ने हिलाकर रख दिया था. सिपाही से लेकर राज्य के पुलिस महानिदेशक तक, पूरा पुलिस महकमा इस वारदात को लेकर हलकान था.

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अभिषेक मिश्रा के कत्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी अभिषेक मिश्रा के कत्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले का मशहूर शहर भिलाई. मध्य भारत का ये शहर एक बड़ा शिक्षा केन्द्र भी है. मगर 7 साल पहले शिवनाथ नदी के किनारे बसा हुआ ये शहर अचानक चर्चाओं में आ गया था. वो दिन था 10 नवंबर 2015. उस दिन भिलाई शहर का पुलिस-प्रशासन हैरान परेशान था. वजह थी एक शख्स का अचानक गायब हो जाना. जिसका नाम था अभिषेक मिश्रा. 

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अगवा होने की ख़बर
उसके परिवार का रुतबा और साख भी सूबे में कम नहीं है. शिक्षा क्षेत्र से सियासत के गलियारों तक उसके परिवार की पहुंच है. ऐसे परिवार का बेटा अचानक गायब हो गया था. पुलिस की परेशानी में उस वक्त इजाफा हो गया, जब ये पता चला कि वो शख्स गायब नहीं हुआ बल्कि उसे अगवा किया गया था. खौफनाक साजिश से लबरेज़ जुर्म की ये ऐसी दास्तान है, जो इस तरह से उलझी हुई थी कि उस वक्त एक पूरे सूबे की पुलिस और सरकार को इस केस ने हिलाकर रख दिया था. सिपाही से लेकर राज्य के पुलिस महानिदेशक तक, पूरा पुलिस महकमा इस वारदात को लेकर हलकान था. 

कौन थे अभिषेक मिश्रा?
दरअसल, अभिषेक मिश्रा भिलाई के मिश्रा परिवार के वारिस और गंगाजली एजुकेशन सोसायटी के चेयरपर्सन और शंकराचार्य ग्रुप के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे थे. उनके भिलाई और रायपुर में चार इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जहां मैनेजमेंट, फार्मेसी और बीसीए/एमसीए की पढ़ाई होती है. पूरा मिश्रा परिवार अभिषेक पर जान छिड़कता था. उसी साल रायपुर में हुए चैम्पियंस टेनिस लीग में शामिल होने वाली रायपुर रेंजर्स टीम के मालिक भी वही थे. यही नहीं अभिषेक ने नक्सल समस्या पर आधारित 'आलाप' नाम की एक फिल्म भी प्रोड्यूस की थी. 
 
अगवा होने से पहले दिल्ली से लौटा था अभिषेक
10 नवंबर 2015 की शाम अभिषेक मिश्रा को अगवा कर लिए जाने की खबर आई थी. अपहरण की खबर पूरे शहर ही नहीं बल्कि राज्य में आग की तरह फैल गई थी. पुलिस के आला अफसर और तमाम पुलिस वाले आईपी मिश्रा के घर पहुंच चुके थे. अधिकारियों ने मिश्रा जी से अभिषेक के बारे में जानकारी हासिल की. उन्होंने बताया कि अभिषेक 9 नवंबर को ही दिल्ली से लौटकर आया था. 

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अभिषेक को तलाश रहे थे कई लोग
वारदात के दिन यानी 10 नवंबर की सुबह से ही अभिषेक अपने रुटीन काम निपटा रहा था. पर अचानक शाम को वो बिना बताए कहीं गायब हो गया. उसका मोबाइल फोन भी बंद आ रहा था. उसकी कार का भी कुछ अता-पता नहीं था. परेशान हाल मिश्रा परिवार के घर में जैसे मातम सा छा गया था. हर कोई दुखी था. घरवाले बस इसी बात की दुआ कर रहे थे कि उसके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए. शाम से ही अभिषेक के पिता और उनके कर्मचारी उसे तलाश कर रहे थे. पुलिस भी अभिषेक की तलाश में जुट गई थी. पुलिस को अंदाजा नहीं था कि ये तलाश लंबी होने वाली है.

नहीं मिल रहा था अभिषेक का कोई सुराग
भिलाई पुलिस ने मामले की नजाकत को समझ लिया था. लिहाजा कई काबिल अफसरों की सरपरस्ती में अलग-अलग टीम बनाकर अभिषेक को तलाश किया जा रहा था. इस दौरान सर्विलांस टीम भी एक्टिव हो चुकी थी. मगर कोई ऐसा सुराग नहीं मिल पा रहा था कि जिससे अभिषेक का पता चल सके. पुलिस अभिषेक के करीबियों और दोस्तों से भी पूछताछ करने लगी थी. पुलिस ने उन लोगों की एक लिस्ट बना ली थी, जिनके साथ अभिषेक का उठना बैठना था. पुलिस ये भी पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि आखिर 9 तारीख को दिल्ली से लौटने के बाद अभिषेक किन किन लोगों से मिला था? गायब हो जाने की शाम यानी 10 तारीख की शाम तक उसने किन किन लोगों से मुलाकात की थी?

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सीडीआर निकालने की तैयारी
मामले की तफ्तीश के दौरान पुलिस कोई भी सुराग छोड़ना नहीं चाहती थी. लेकिन पुलिस के हाथ इस मामले का सिरा नहीं आ रहा था. छानबीन जारी थी. इसी बीच पुलिस ने अभिषेक के मोबाइल पर ध्यान केंद्रित किया. पुलिस ने उसके नंबर की सीडीआर निकलवाने का फैसला कर लिया. पुलिस की सर्विलांस टीम ने इस काम शुरू कर दिया था. पुलिस को पूरा भरोसा था कि उसके मोबाइल की डिटेल में ही उसके गुम हो जाने का राज छुपा हो सकता है. 

कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही थी पुलिस 
दूसरी तरफ, पुलिस की एक टीम आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही थी. ताकि इस मामले से जुड़ा कोई सुराग या सबूत हाथ लग सके. पुलिस के अधिकारी आईपी मिश्रा से पूछ रहे थे कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं? क्या अभिषेक से किसी की कोई रंजिश थी? लेकिन इन सब सवालों का जवाब पुलिस को ना में मिला. इतना सब होने के बाद भी पुलिस को ठोस सबूत नहीं मिल रहा था. दिन बीतते जा रहे थे. मगर पुलिस के हाथ खाली थे.

रायपुर में लावारिस मिली थी अभिषेक की कार
पुलिस ने तफ्तीश का दायरा बढ़ा दिया. कॉलेज के स्टाफ और वहां से जुड़े तमाम लोगों से पूछताछ जारी थी. इसी दौरान भिलाई पुलिस को सूचना मिली कि अभिषेक की कार रायपुर में एयरपोर्ट रोड पर लावारिस हालत में बरामद हुई है. ये खबर पुलिस के लिए बहुत अहम थी. पुलिस की तफ्तीश अब भिलाई से रायपुर के बीच सिमटी नजर आ रही थी. मगर सवाल था कि आखिर कार वहां लावारिस हालत में किसने छोड़ी? क्योंकि अभिषेक अपनी कार को इस तरह बीच रास्ते में छोड़कर कहां जाता? 

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फुटेज में नहीं दिख रहा था कार चालक का चेहरा
बहरहाल, पुलिस का ध्यान अब रायपुर के एयरपोर्ट रोड और उससे जुड़ने वाले तमाम रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों पर था. कैमरों की फुटेज को खंगालने का काम शुरू हुआ तो पुलिस के हाथ अहम सुराग लगा. रायपुर और भिलाई के बीच कुम्हारी टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी कैमरे में अभिषेक की कार दिख रही थी. हालांकि कार में बैठे लोगों के चेहरे पहचान में नहीं आ रहे थे. मगर पुलिस इतना तो जान चुकी थी कि कार किस वक्त वहां से होकर गुजरी थी.

अभिषेक की सीडीआर से मिला अहम सुराग 
उधर, सर्विलांस की टीम ने अभिषेक के मोबाइल की सीडीआर के आधार पर कई नंबरों को रडार पर ले लिया. उन नंबरों की छानबीन की जा रही थी. यही नहीं उन संदिग्ध नंबरों की अलग-अलग कॉल डिटेल भी पुलिस हासिल कर रही थी. ये सिलसिला इतना बढ़ा कि निगरानी के दायरे में हजारों नंबर आ चुके थे. मगर इस पूरी कवायद में पुलिस की सर्विलांस टीम को कुछ ऐसे नंबर मिले, जिनसे इस मामले का या अभिषेक का कुछ तो कनेक्शन था. क्योंकि वे नंबर अभिषेक की पुरानी और नई सभी सीडीआर में मौजूद थे. 

पता चली मोबाइल की आखरी लोकेशन
सर्विलांस टीम को इस काम में वक्त तो लग रहा था, लेकिन काम सही लाइन पर चल रहा था. नंबरों को खंगालने और उन पर हुई बातचीत की अवधि और टाइम को भी पुलिस के एक्सपर्ट केल्कोलेट कर रहे थे. तफ्तीश के दौरान पुलिस के हाथ एक अहम सुराग और लगा. वो था अभिषेक मिश्रा के मोबाइल की लास्ट लोकेशन. यानी अभिषेक का मोबाइल फोन जहां आखरी बार ऑन था और फिर स्वीच्डऑफ हो गया था. इस केस में एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका था. लेकिन यही वो लम्हा था, जब पुलिस को अभिषेक के बारे में पुख्ता सुराग हाथ लगा था और वो थी उसके मोबाइल की आखरी लोकेशन. 

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भिलाई का स्मृति नगर था अभिषेक की लास्ट लोकेशन 
छानबीन के दौरान अभिषेक की सीडीआर से जो नंबर निकाले गए थे. उन्हीं में से एक मोबाइल नंबर वो था, जिस पर अभिषेक का मोबाइल फोन बंद होने से पहले बातचीत हुई थी और सबसे अहम बात ये थी कि जिस लास्ट लोकेशन पर अभिषेक का मोबाइल फोन, जिस वक्त बंद हुआ था. उस मोबाइल की भी एक लोकेशन वहां की थी. अब पुलिस के हाथ दो अहम सुराग आ चुके थे. एक उस शख्स का नाम पता, जिसने अभिषेक का मोबाइल बंद होने से पहले उसके नंबर पर बात की थी और दूसरा उसकी लोकेशन का अभिषेक की लास्ट लोकेशन से ठीक उसी वक्त पर मेल खाना. वो लोकेशन थी भिलाई का स्मृति नगर.

आखरी बार बात करने वाले विकास जैन की गिरफ्तारी
यानी पुलिस को पता चल चुका था, कि अभिषेक के अगवा होने के पीछे उसी शख्स का हाथ हो सकता है, जिससे उसने लास्ट टाइम बात की थी. सही कहें तो पुलिस के हाथ इस उलझे हुए मामले का सिरा आ चुका था. अब पुलिस ने लोकेशन पर जाने से पहले उस शख्स को उठाने का प्लान बनाया और दबिश देकर भिलाई से ही उस शख्स को गिरफ्तार कर लिया. पकड़े गए शख्स का नाम था विकास जैन. लेकिन विकास जैन का अभिषेक के गायब होने से क्या कनेक्शन था? इस सवाल का जवाब मिलना बाकी था. 

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पुलिस के सामने थे कई सवाल
41 दिनों से पुलिस जिस ब्लाइंड केस में छानबीन कर रही थी, उस केस के खुलासे का वक्त करीब आ चुका था. गिरफ्तार किए गए विकास जैन से पुलिस ने पूछताछ में कई सवाल किए? मसलन..

- वो अभिषेक मिश्रा को कैसे जानता है? 
- 10 नवंबर 2015 को उसने अभिषेक मिश्रा को फोन क्यों किया था? 
- उसने अभिषेक मिश्रा से क्या बात की थी?
- और अभिषेक मिश्रा इस वक्त कहां हैं?  

पुलिस की पूछताछ में विकास जैन ने खोला राज
पुलिस की पकड़ में आया विकास जैन इन सवालों के गोलमाल जवाब देता रहा. वो पुलिस को इधर-उधर की तमाम बातें बताता रहा. लेकिन पुलिस की सख्ती के सामने उसकी एक नहीं चली. उसके खिलाफ पुलिस के पास अहम सुराग था, उसकी सीडीआर में अभिषेक से बातचीत और दोनों की एक लोकेशन का सेम होना. लिहाज, विकास जैन पुलिस के सामने टूट गया. और उसने अभिषेक के बारे में जो खुलासा पुलिस के सामने किया वो हैरान करने वाला था. क्योंकि पुलिस ने कम से कम इस मामले में ऐसा कोई एंगल सोचा नहीं था.

कौन है विकास जैन?
पहले आपको ये बता दें कि आखिर विकास जैन है कौन? अभिषेक मिश्रा के भिलाई वाले मैनेजमेंट कॉलेज में एक टीचर हुआ करती थी. जिसका नाम था किम्सी काम्बोज. लेकिन शादी के बाद वो किम्सी जैन हो गई थी. क्योंकि उसका पति कोई और नहीं बल्कि वही विकास जैन था, जिसे पुलिस ने अभिषेक को अगवा किए जाने के मामले में गिरफ्तार किया था. 

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हो चुका था अभिषेक मिश्रा का कत्ल
पुलिस विकास के सामने सवाल रखती जा रही थी. विकास सवालों के जवाब देता जा रहा था. पुलिस उसके जवाबों से सवाल निकाल रही थी. और वो उन सवालों के जवाब देकर पुलिस के सामने एक खौफनाक साजिश का पर्दाफाश कर रहा था. विकास ने पुलिस को बताया कि अभिषेक मिश्रा अब इस दुनिया में नहीं है. उसकी लाश भिलाई के स्मृति नगर इलाके में दफ्न है. अब पुलिस को पता चल चुका था कि अभिषेक मिश्रा का कत्ल हो चुका है. इस खुलासे के बाद पुलिस के सवाल जारी थे. विकास ने पुलिस को बताया कि स्मृति नगर में उसके दोस्त विजय का घर है. किम्सी और विकास ने अभिषेक को फोन कॉल करके वहीं मिलने के लिए बुलाया था. 

विकास ने किया था अभिषेक पर वार
10 नवंबर की शाम 6 और 7 बजे के बीच अभिषेक उनसे मिलने के लिए स्मृति नगर पहुंचा था. विजय के घर पर पहले से ही किम्सी, विकास जैन और उसके चाचा अजीत सिंह भी मौजूद थे. जैसे ही अभिषेक उस घर में दाखिल हुआ, पीछे से विकास जैन ने लोहे की रॉड उसके सिर पर पूरी ताकत से वार किया. अभिषेक इस वार को झेल नहीं पाया और अधमरा होकर जमीन पर गिर पड़ा. विकास अपनी करतूत की गठरी खोलता जा रहा था. पुलिस वाले ध्यान से उसके अज़ीम गुनाह की दास्तान सुन रहे थे. विकास ने एक लंबी सांस लेकर आगे बताया- जब अभिषेक जमीन पर गिर पड़ा. तब विकास और उसके चाचा ससुर ने मिलकर चाकू से उसके शरीर को गोद डाला. घर के उस कमरे में हर तरफ खून ही खून बिखरा हुआ था. अभिषेक की सांसों की डोर टूट चुकी थी. अब उसका जिस्म ठंड़ा पड़ चुका था.

लाश दफन कर लगा दिए थे पौधे
अब बारी थी अभिषेक की लाश को ठिकाने लगाने की. तो उसकी तैयारी भी विकास जैन ने पहले से कर रखी थी. पूछताछ करने वाले पुलिस अफसरों को भी इस बात का अहसास हो गया था कि विकास जैन उस दिन किसी भी हाल में अभिषेक का कत्ल करना चाहता था और उसने ऐसा ही किया. विकास ने पुलिस को बताया कि अभिषेक खून से सनी लाश को उन तीनों ने मिलकर एक बड़े पॉलीथिन बैग में भर दिया था. इसके बाद उसने विजय के घर के आंगन में पहले से खोदे गए 6 फीट के गड्ढे में उसकी लाश को डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दी थी. यही नहीं उस मिट्टी में फूल पौधे भी लगा दिए थे. ताकि किसी को शक ना हो.

कार को ले गए थे रायपुर
इसके बाद विकास और विजय अभिषेक की कार लेकर भिलाई से रायपुर पहुंचे. और प्लान के मुताबिक अभिषेक की कार वहां एयरपोर्ट रोड पर लावारिस छोड़कर एक बाइक से वापस भिलाई लौट गए. वे कार लेकर कुम्हारी टोल प्लाजा से निकले थे. इसीलिए वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में अभिषेक की कार दिख भी रही थी. लेकिन उसमें बैठे लोगों के चेहरे पहचान में नहीं आ रहे थे.

जमीन के 6 फीच नीचे मिली थी अभिषेक की लाश
पुलिस ने 23 दिसंबर 2015 की सुबह विकास जैन की निशानदेही पर भिलाई के स्मृति नगर में मौजूद विजय के घर पर छापा मारा. विकास की बताई जगह पर जब पुलिस ने खुदाई कराई तो जमीन के 6 फुट नीचे से अभिषेक मिश्रा की सड़ी-गली लाश बाहर निकाली गई. उस लाश की शिनाख्त करना मुश्किल हो रहा था. अभिषेक के परिवारवालों को भी पुलिस ने इत्तला कर दी थी. वो भी मौके पर पहुंच चुके थे. परिजनों ने लाश के जूतों, अंगूठी और कपड़ों के आधार पर उसकी शिनाख्त कर ली. हालांकि पुलिस ने इसके बाद लाश का डीएनए भी कराया था. इसके बाद अभिषेक की लाश को पहले रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. और फिर वो लाश घरवालों के हवाले कर दी गई. 24 दिसंबर को मिश्रा परिवार ने अपने लाडले अभिषेक का अंतिम संस्कार किया.

क्यों किया गया था अभिषेक का कत्ल?   
इस केस में अभी एक अहम सवाल बाकी था. आखिर विकास जैन ने अभिषेक मिश्रा का कत्ल क्यों किया? विकास जैन की अभिषेक मिश्रा से क्या दुश्मनी थी? दरअसल, ये मामला लव ट्राएंगल का था. इसका खुलासा खुद इस साजिश के मास्टरमाइंड विकास जैन ने पुलिस के सामने किया. विकास ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी शादी से पहले अभिषेक मिश्रा के कॉलेज में पढ़ाती थी. वहीं उसकी मुलाकात कॉलेज के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा से हुई थी. अभिषेक मिश्रा किम्सी को चाहने लगा था. दोनों एक दूसरे के करीब आ गए थे. लेकिन इसी दौरान किम्सी ने अचानक कॉलेज छोड़ दिया और उसकी शादी विकास जैन के साथ हो गई. जब ये बात अभिषेक को पता चली तो वो बौखला गया. वो किम्सी को बार-बार फोन करता था. उससे मिलने की जिद करता था. वो चाहता था कि उन दोनों का रिश्ता पहले की तरह चलता रहे.

अभिषेक से तंग आ चुकी थी किम्सी
विकास के मुताबिक किम्सी अभिषेक से तंग आ चुकी थी. परेशान होकर उसने ये बात अपने पति विकास को बताई. इसके बाद विकास ने अभिषेक को खत्म करने की खौफनाक साजिश रची. इस साजिश में उसने अपने दोस्त विजय और किम्सी के चाचा अजीत सिंह को भी शामिल किया. इस हत्याकांड का सनसनीखेज खुलासा होने के बाद पुलिस ने किम्सी जैन, विजय और अजीत को भी गिरफ्तार कर लिया.

दोनों कातिलों को मिली उम्रकैद की सजा
कत्ल के इस मामले में जांच पूरी होने के बाद दुर्ग की जिला अदालत में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी. इस केस में साल 2016 से लेकर अब तक सुनवाई चलती रही. पिछले साल यानी 11 मई 2021 को अदालत ने इस केस में ऑनलाइन फैसला सुनाया. जिसमें किम्सी जैन को अदालत ने बरी कर दिया. लेकिन विकास और अन्य दोषियों को उम्रकैद की सजा सुना दी. साथ ही दोनों पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया. अब उनकी सारी जिंदगी सलाखों के पीछे बीतेगी.
 

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